Ground Report: बारामती का हर घर, हर शख्स 'साहेब' शरद पवार का इतना मुरीद क्यों है?

एनसीपी में शरद पवार नहीं तो कौन? उनके गढ़ बारामती में फिलहाल सबसे खास चेहरा भतीजे अजित पवार दिखते हैं. उनका रुख बारामती में नई तस्वीर पेश कर सकता है.

Ground Report: बारामती का हर घर, हर शख्स 'साहेब' शरद पवार का इतना मुरीद क्यों है?

शरद पवार को यशवंतराव चव्हाण और वसंतदादा पाटिल के बाद महाराष्ट्र का सबसे बड़ा नेता माना जाता है.

पुणे:

शरद पवार (Sharad Pawar) के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष पद से इस्तीफे के साथ-साथ बारामती की चर्चा लगातार हो रही है. मुंबई से करीब 250 किलोमीटर दूर बारामती पुणे जिले की छोटी तहसील है. ये शरद पवार और उनके परिवार का गढ़ रहा है. पांच दशक से भी ज्यादा समय से बारामती में एकछत्र राज करने वाले शरद पवार ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पहचान तो बनाई ही. साथ ही विकास के कामों से बारामती को भी राष्ट्रीय पटल पर लाकर खड़ा कर दिया.

शरद पवार के हर रुख पर उनके गढ़ बारामती का पक्ष जानना अहम हो जाता है. एनसीपी से उनके इस्तीफे के बाद बारामती में सन्नाटा पसरा है. यहां हर कोई अपने 'साहेब' से फैसले पर दोबारा सोचने की अपील कर रहा है. NDTV की टीम ऐसे में बारामती पहुंची और वहां जाना कि आखिर बारामती का हर घर, हर शख्स शरद पवार का इतना मुरीद क्यों है? 

 शरद पवार की लोकप्रियता के पीछे कृषि रोजगार का बड़ा रोल है. कृषि का वैज्ञानिकरण शरद पवार की बड़ी उपलब्धता रही. देखिए शरद पवार के गांव काटेवाड़ी और बारामती के कृषि विज्ञान केंद्र से NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट:- 

मुंबई से 250 किमी दूर पुणे जिले की तहसील बारामती से करीब 10 किमी की दूरी पर शरद पवार का गांव काटेवाड़ी पड़ता है. यहां हर रोज सुबह 8:30 बजे पंचायत बैठती है. एनडीटीवी भी इसका साक्षी बना. पंचायत में आवाज बुलंद थी. NDTV की टीम ने यहां के लोगों से कई सवाल किए.

जब हमने उनसे पूछा कि पार्टी का चेहरा आपके लिए कौन है? जवाब मिला- "अजित दादा. दादा जहां हम वहां. पक्ष (पार्टी) भी बदला तो हम उनके साथ. हर रोज़ जनता दरबार लगाते हैं दादा. हमसे मिलते हैं. पवार परिवार ने हमारे लिए बहुत कुछ किया. उन्होंने हर घर रोज़गार दिया. 40% बारामती के युवा MIDC में काम कर रहे हैं. बारामती के विकास कार्यों का मॉडल यहां हर पार्टी के कार्यकर्ताओं को पवार का करीबी बनाता है." 

एक और शख्स बताते हैं, "कई पीढ़ियों से पवार परिवार ने हमारे लिए इतना किया कि कोई भी पार्टी हो... सभी उन्हें अपना मानते हैं. हर एक की सुनी जाती है. 10 हजार महिलाओं को यहां रोज़गार दिया. महिलाएं सशक्त हुई हैं."

पवार मतलब बारामती
पवार मतलब बारामती. बारामती मतलब पवार. आखिर बारामती के हर घर का जुड़ाव पवार परिवार से इतना पुख़्ता क्यों है? ये समझने की कोशिश करें, तो कृषि रोज़गार की बड़ी भूमिका है. 1960 में सूखाग्रस्त बारामती को अवसर के तौर पर देखते हुए शरद पवार ने 22 जून 1971 में एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ट्रस्ट की नींव रखी. पानी के मैनेजमेंट से शुरुआत करते करते आज ये ट्रस्ट करीब 15 लाख किसानों को हाईटेक टेक्नीक की ट्रेनिंग दे रहा है, ताकि कैसे कम से कम कीमत में उनकी उपज बढ़ सके. 

संतोष करंजे, वैज्ञानिक फॉर्मर (एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ट्रस्ट) बताते हैं, "एक एकड़ के गन्ने की खेती में अगर किसान 2 से 2.5 करोड़ लीटर पानी खर्च कर रहे हैं, तो हम उन्हें 1 करोड़ लीटर में ये तकनीक सिखाते हैं, ताकि पानी की बचत हो."

230 एकड़ में फैला है कृषि विज्ञान केंद्र
कृषि क्षेत्र के लिए बना ये देश का ऐसा पहला ट्रस्ट है. करीब 230 एकड़ में फैले कृषि विज्ञान केंद्र में ट्रेनिंग ले रहे किसानों को हर मुमकिन हाईटेक ट्रेनिंग दी जाती है. देश के हर कोने से किसान ट्रेनिंग लेने यहां पहुंचते हैं.

ट्रेनिंग के लिए किसानों को विदेश भी भेजता है ट्रस्ट
एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ट्रस्ट के निदेशक निलेश नालावडे बताते हैं, "हम किसानों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भी भेजते हैं. इससे किसान बहुत सशक्त हुए हैं. प्लांट में केमिकल की जगह होम्योपैथी डालने की शुरुआत की गई है. 

क्या कहते हैं मार्केटिंग इंचार्ज?
मार्केटिंग इंचार्ज तुषार जाधव बताते हैं, "यहां कि मिट्टी बिल्कुल अलग किस्म की है. इस तरह से एक्सॉटिक सब्जियों की खेती सिखाई जाती है." 

शरद पवार के पूर्वज सातारा से विस्थापित होकर बारामती के काटेवाड़ी में बस गए थे. उन्होंने कड़ी मेहनत से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया और फिर गन्ने की खेती शुरू की. शरद पवार के हमेशा चीनी लॉबी पर हावी होने की असली वजह बीस पीढ़ियों से इस क्षेत्र में उनका प्रभाव है. एनसीपी में शरद पवार नहीं तो कौन? उनके गढ़ बारामती में फिलहाल सबसे खास चेहरा भतीजे अजित पवार दिखते हैं. उनका रुख बारामती में नई तस्वीर पेश कर सकता है. 

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