सूचना-प्रसारण, युवा एवं खेल मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने आज वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर NDTV से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि, एक साथ चुनाव होंगे तो समय और पैसा बचेगा और सरकारें पूरा समय गरीबों के कल्याण और देश के विकास पर लगा पाएंगी. वन नेशन वन इलेक्शन राष्ट्र के हित में है. उन्होंने विपक्ष को निशाना बनाते हुए कहा कि वे बातचीत में विश्वास ही नहीं रखते. वे तो सड़क पर आरोप लगाते हैं, संसद में आकर हल्ला मचाते हैं. हम कभी भी इलेक्शन में जाएं, हम घमंडिया गठबंधन (इंडिया गठबंधन) पर भारी ही पड़ने वाले हैं. वे केवल अपने भ्रष्ट चेहरों को छिपाने के लिए एक प्लेटफॉर्म पर आए हैं. अनुराग ठाकुर से NDTV के एक्जीक्यूटिव एडिटर, पॉलिटिकल अखिलेश शर्मा ने खास बातचीत की.
आज देश में वन नेशन-वन इलेक्शन की चर्चा हो रही है. क्या जल्दी ही ऐसा होने जा रहा है? संसद का विशेष सत्र भी बुलाया गया जिसके एजेंडे के बारे में सरकार ने कुछ बताया नहीं है. क्या यह माना जाए कि इस विशेष सत्र में इस बारे में कोई पहल हो सकती है या सरकार अपनी ओर से कानून ला सकती है?
अखिलेश जी मैं इतना ही कहूंगा, वन नेशन वन इलेक्शन राष्ट्र के हित में है. लंबे समय से इसकी मांग भारतीय जनता पार्टी उठाती रही है. माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी स्वयं इसके बारे में कहा कि देश के संसाधनों को, देश के समय को बचाना इसके हित में है. और इसमें विरोध किस बात का है? आखिरकार एक समय पर चुनाव होंगे तो समय भी बचेगा, पैसा भी बचेगा और सरकारें पूरा समय गरीब कल्याण पर, देश के विकास पर लगा पाएंगी. आप भी एक साल में कम से कम पांच-छह चुनाव तो कवर करते होंगे, तो आपका भी एक तिहाई टाइम तो इलेक्शन में चला जाता है. आखिरकार वह सारा प्रयास और सारी ताकत राष्ट्र निर्माण में लगेगी तो भारत और आगे बढ़ेगा. लेकिन यदि बंटे रहेंगे, चुनाव समय-समय पर होंगे तो बहुत दिक्कत होगी.
घमंडिया गठबंधन का चेहरा बेनकाब हो रहायह जो विशेष सत्र बुलाया गया है, आखिर इसका एजेंडा क्या है? इसका एजेंडा बताया नहीं गया. विपक्ष कह रहा है कि कम से कम हमें विश्वास में तो लिया गया होता, बताया तो होता कि यह पांच दिन का विशेष सत्र बुलाया है.
देखिए संसद का सत्र बुलाना सरकार का अधिकार है. विपक्ष को तो इस बात की खुशी होनी चाहिए कि सरकार संसद का सत्र बुला रही है और उनको चर्चा का अवसर मिलेगा. इसका विरोध किस बात का? और दूसरा जहां वन नेशन वन इलेक्शन की बात है, वहां हमने विपक्ष के प्रतिनिधि को भी रखा है. आखिरकार वे अपनी बात रख सकते हैं. लेकिन क्या है, वे तो संवाद में विश्वास नहीं रखते, वे तो आरोप लगाएंगे और भाग जाएंगे.
वे तो छोड़कर चले गए. अधीर रंजन चौधरी ने पत्र लिखकर कह दिया कि वे इसका हिस्सा नहीं रहेंगे.
मैंने इसलिए कहा, वे तो बातचीत में विश्वास ही नहीं रखते. वे तो सड़क पर आरोप लगाते हैं, संसद में आकर हल्ला मचाते हैं. दो हजार रुपये दिन का भत्ता पाएंगे, लेकिन चर्चा में भाग नहीं लेंगे. कितने दिन सदन के बर्बाद किए इन्होंने पिछली बार. कितने प्रमुख एजेंडा थे, जिन पर चर्चा हो सकती थी.. आखिरकार 15 दिन खराब करने के बाद चर्चा की और फिर इनकी पोल खुल गई मणिपुर पर. अखिलेश जी मैं यह इसलिए कह रहा हूं कि ये लोग जितनी मर्जी जनता को भ्रमित करने का प्रयास करें, ये घमंडिया गठबंधन का चेहरा बेनकाब हो रहा है. और जब-जब इन्होंने विरोध किया, वन नेशन-वन टैक्स, जीएसटी की बात आई, इन्होंने क्या नहीं किया. अब जैसे ही जीएसटी लागू हुआ तो देखिए, कहां 90 हजार करोड़ मुश्किल से टैक्स कलेक्ट होता था, आज एक लाख 60 हजार करोड़ एवरेज टैक्स कलेक्ट होता है, यह फर्क पड़ा. उसका लाभ किसको, गरीबों के कल्याण पर, देश के विकास पर, ज्यादा सड़कें बनने का, ज्यादा सुविधाएं मिलने का काम हुआ. और उसका पैसा कहां खर्च किया सरकार ने, चार करोड़ गरीबों को पक्के मकान बनाकर, 12 करोड़ शौचालय बनाकर, 13 करोड़ घरों को नल से जल देने का कार्य पूरा किया. हर घर को बिजली दे दी, 80 करोड़ गरीबों को अनाज मुफ्त में दिया, ढाई साल चार लाख करोड़ खर्च किया. ऐसी अनेक योजनाएं जो गरीब कल्याण की और विकास दूसरी ओर.. 74 एयरपोर्ट थे, हमने 75 नए बना दिए, नौ साल में. 600 मेडिकल कॉलेज थे, हमने 700 नए बना दिए, नौ साल में. सात एम्स थे, हमने 15 नए बना दिए... आप किसी क्षेत्र में तुलना करके देखोगे.. तीन लाख किलोमीटर सड़कें थीं, सात लाख 20 हजार किलोमीटर सड़कें कर दीं. कोई तुलना ही नहीं है, मोदी जी ने जो किया है नौ साल में वह 60 बनाम 8 भी कहोगे तो बहुत आगे है. इसलिए मैं कहता हूं कि चर्चा से ये भागते हैं.
घमंडिया गठबंधन के नेताओं की हिंदू विरोधी सोच क्या ऐसी ही रहेगी?लेकिन राहुल गांधी ने आज ट्वीट किया है, उन्होंने कहा है, अगर आप वन नेशन-वन इलेक्शन कराते हैं तो यह इंडिया, जो कि यूनियन आफ स्टेट्स है, तो यह यूनियन के भी खिलाफ है और स्टेट्स के भी खिलाफ है.
देखिए राहुल जी क्या कहते हैं मुझे नहीं पता उनके स्क्रिप्ट राइटर उनके लिए क्या-क्या लिखकर देते हैं, उनका आइडिया ऑफ इंडिया भी क्या है..और दुख की बात तो यह है कि ये लोग ऐसी-ऐसी बयानबाजी करते हैं कि अगर रामनवमी का जुलूस निकल रहा होगा पश्चिम बंगाल में उस पर बम फेंके जाएंगे, बंदूक चलाई जाएगी, गोली चलाई जाएगी.. रामायण के ऊपर, माता सीता के ऊपर अपशब्द, घमंडिया गठबंधन के नेता ये बिहार और उत्तर प्रदेश में बोलेंगे, बंगाल में बम फोड़ेंगे. अब दक्षिण भारत में इनके घमंडिया गठबंधन के नेता सनातन धर्म को डेंगू, मलेरिया.. एक मच्छर की तरह कुचलने की बात करते हैं. मेरा सवाल श्रीमान राहुल गांधी जी और विपक्ष के इस घमंडिया गठबंधन के नेताओं से है, क्या इनकी हिंदू विरोधी सोच ऐसी ही रहेगी? क्या ये ऐसे बयानों का समर्थन करते हैं? इनको स्पष्ट करना चाहिए कि इनकी सोच क्या है?
यह भी एक आशंका व्यक्त की जा रही है, या एक अनुमान लगाया जा रहा है विशेष सत्र इसलिए बुलाया जा रहा है ताकि जो लोकसभा के चुनाव हैं वह पहले करा लिए जाएं. क्या यह एक संभावना है कि लोकसभा के चुनाव समय से पहले हो सकते हैं?
देखिए, भारतीय जनता पार्टी, एनडीए ने शानदार काम पिछले नौ सालों में किया. जो 40 साल पुराने प्रोजेक्ट भी थे हमने भी अब पूरा किया, जो कांग्रेस नहीं कर पाई. हमने मंगलयान से लेकर चंद्रयान मिशन को भी सफल करने का कार्य किया. स्पोर्ट्स में नए कीर्तिमान स्थापित किए, तो देश को दुनिया भर में एक नई उम्मीद के रूप में लाकर खड़ा किया. द वर्ल्ड सी होप इन इंडिया.. द वर्ल्ड सी होप इन इंडियन लीडरशिप..और यह भारत और भारत के नेतृत्व में दुनिया को जो उम्मीद दिखती है, यह भारत की नई ताकत है, और इस नए भारत की नई पहचान है. हम इस ताकत को जानते हैं, लेकिन अगर विपक्ष के लोग सोचते हैं कि हम अभी इलेक्शन में जाने वाले हैं, हम कभी भी इलेक्शन में जाएंगे, हम घमंडिया गठबंधन पर भारी ही पड़ने वाले हैं.
यानी चुनाव समय पर ही होगा, जो अप्रैल-मई में लोकसभा का चुनाव होना है, वह समय पर ही होगा?
देखिए चुनाव इलेक्शन कमीशन को करवाना है. सरकार अपनी योजनाओं पर, कार्यक्रमों पर और देश को आगे बढ़ाने पर लगातार काम कर रही है. अभी तो सत्र बुलाया गया है, सत्र में क्या-क्या एजेंडा होगा, जल्द ही आपको उससे अवगत करवा दिया जाएगा. और वन नेशन-वन इलेक्शन पर मैं विपक्ष के नेताओं से कहता हूं, अगर आपके कोई सुझाव हैं, आप जरूर दें, इसमें देश का हित है. प्रधानमंत्री मोदी जी ने हर कदम देश के हित के लिए उठाया है. और देश का जो टैक्स पेयर अपना पैसा देता है उसका सही उपयोग चुनाव में हो, और एक समय पर हो, यह अच्छी दिशा में है, देश के हित में है.
घमंडिया गठबंधन के पास न नेता है, न नीति है और न ही नीयत हैआईएनडीआईए (INDIA) गठबंधन की बैठक हाल ही में मुंबई में हुई. उन्होंने यह तय किया है कि जो अगला लोकसभा चुनाव होगा, जब भी होता है, समय पर हो या उससे पहले हो, जब भी होगा जहां तक संभव होगा, हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने खास तौर पर कहा- जहां तक संभव हो.. तो क्या आपको लगता है कि क्या सहमति नहीं बन पा रही है इसलिए यह कहना पड़ रहा है कि जहां तक संभव हो?
तीन बैठकें, बड़े-बड़े फाइव स्टार होटल, चार्टड प्लेंस.. करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी उनका संयोजक कौन चुना गया? घमंडिया गठबंधन का संयोजक कौन है? कोई नाम तय हुआ? एक संयोजक तक नहीं चुन पाए.. इनके पास न नेता है, न नीति है और न ही नीयत है. ये तीनों में खोखले हैं. ये केवल अपने भ्रष्ट चेहरों को छिपाने के लिए एक प्लेटफॉर्म पर आए हैं जहां अहंकार और घमंड से भरे हुए लोग, जो कभी ओबीसी, कभी हिंदू, कभी सनातन.. इन सबका अपमान करने में कोई भी परहेज नहीं करते. और इनमें से एक भी व्यक्ति ने आज तक किसी की आलोचना नहीं की, जहां पर गलत काम हुआ. यह देश देख रहा है, इन सबको इसके जवाब देने पड़ेंगे. अगर इनके पास संयोजक कोई नहीं, चेहरा कोई नहीं, नेता कोई नहीं, तो लड़ेंगे क्या?
लेकिन ये जो बात कह रहे हैं कि हम गिव एंड टेक के ऊपर काम करेंगे.. राजनीति में उन्होंने एक नई बात कही कि गिव एंड टेक.. हम जानते हैं कि जब गठबंधन सरकारें बनती हैं तो इसी तरह से काम होता है, कि चार बातें आप उनकी मान लेते हैं, दो बातें आप इनकी मान लेते हैं...
देखिए, ऐसा यूपीए में हुआ... इतना असहाय प्रधानमंत्री हमने जीवन में कभी नहीं देखा. रिमोट कंट्रोल कहीं और था, सरकार कहीं और चल रही थी.. कभी टूजी आता था घोटाला, कभी कॉमनवेल्थ आता था.. कभी जीजाजी आते थे, कभी कोल घोटाला आता था, कभी अंतरिक्ष घोटाला, कभी सबमरीन घोटाला.. कौन सा ऐसा क्षेत्र है जहां इन्होंने लूटने से कुछ छोड़ा? क्या देश फिर एक बार बर्बादी की राह पर जाएगा, नहीं. देश ने स्थिरता देखी है और ईमानदार नेतृत्व देखा है, और देश की जनता ने सही निर्णय पूर्ण बहुमत की मोदी सरकार बनाकर किया. एक नेता को चुना, जो दुनिया का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता है. एक ऐसे नेता को चुना जो सुशासन और विकास के नए आयाम स्थापित किए. बीजेपी इज नोज फॉर गुड गवर्नेंस एंड डेवलपमेंट मॉडल एंड द रिकार्ड्स सेज कमिंग फॉर द टेंथ लारजेस्ट इकॉनामी टू द फिफ्थ लारजेस्ट इकॉनामी.. लड़खड़ाती, चरमराती अर्थव्यवस्था से निकलकर हम दसवें नंबर से पांचवे नंबर की अर्थव्यवस्था बने. यह कुशल नेतृत्व और कल्याणकारी नीतियों के कारण, गरीब कल्याण के काम हुए. साढ़े 18 करोड़ गरीबी रेखा से बाहर आए. अखिलेश जी देश क्यों इससे दूर जाएगा? हम कल तक मोबाइल फोन इम्पोर्ट करते थे, आज पांच साल में दुनिया के सबसे बड़े मैन्यूफैक्चरर बने. कल तक हम सैटेलाइट के लिए दूसरी ओर देखते थे, आज हम स्पेस सेक्टर में चंद्रयान मिशन सफल करते हैं. आदित्य सोलर एन वन मिशन हमारा सफलता की दिशा में आगे बढ़ा है. एक के बाद अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर भारत एक लंबी छलांग लगा रहा है. अब भारत उस रफ्तार को रोकेगा नहीं, और तेज करेगा. और तेज तब होगी, जैसे 2014 से ज्यादा सीटें 2019 में, अब 2019 से ज्यादा सीटें 2024 में... फिर एक बार आएंगे तो मोदी.
अंग्रेजों की नीति पर चल रहा घमंडिया गठबंधनआपने कहा कि आईएनडीआईए (INDIA) में बहुत अंतर्विरोध है, कई मुद्दों पर एकराय नहीं है. जो उदयनिधि स्टालिन की बात आपने कही थी, उनका बयान काफी ज्यादा विवाद में आया है. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगी और मलेरिया से की, और कहा कि जिस तरह उन्हें खत्म करना वैसे सनातन धर्म को भी खत्म करना है.
देखिए, मॉडल कांग्रेस ने चलाया, और विपक्ष के नेता ने ध्रुवीकरण करने का, पोलराइजेशन करने का.. उन्होंने कर्नाटक के चुनाव में प्रतिबंध लगाने की बात की. उनको लगा कि ध्रुवीकरण होता, वोट का कुछ फायदा मिलता..कुछ तो करो..यही राजनीति दक्षिण भारत में डीएमके कई वर्षों तक करती रही. चार परेंसट ब्राह्मण फैमिली नहीं लेकिन जिस तरह का वे प्रोपेगेंडा करते हैं और जिस तरह का अपमान करके, ध्रुवीकरण करके वोट बैंक की राजनीति पर वे अपना प्रयास करते हैं, क्या यह बांटो और राज करो अंग्रेजों की नीति थी उसी पर घमंडिया गठबंधन नहीं चल रहा. लेकिन दूसरी ओर जनता ने देखा है कि कैसे सबका साथ, सबका विकास.. इस मूल मंत्र के साथ मोदी सरकार चली और दुनिया के सामने मॉडल आज हम यह रख रहे हैं. आज इंडिया के डिजिटल पेमेंट्स की बात है, आज इंडिया के वूमेन लेड डेवलपमेंट की बात करें, महिला नेतृत्व में विकास की बात करें, एक के बाद दूसरे सेक्टर की बात करें.. भारत एक उदाहरण के रूप में दुनिया के सामने आ रहा है. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि ये लोग आज भी इतनी हल्की बयानबाजी.. अखिलेश जी मैं कहना चाहता हूं.. जो देश को शर्मसार करता है. और मेरा सवाल घमंडिया गठबंधन के नेताओं से है, और विशेष तौर पर कांग्रेस से है, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बताएं, कमलनाथ जी बताएं, हमारे अशोक गहलोत जी बताएं, कि क्या इस बयान से वे सहमत हैं? राहुल गांधी जी बताएं, खरगे जी बताएं.. और बाकी ममता जी के यहां तो रामनवमी पर हमले होते हैं. वे तो तिलक लगाने से मना कर देती हैं.
जी20 नए भारत की नई पहचान दुनिया को दिखाने का मौकाएक दूसरे विषय पर आते हैं, दिल्ली की सड़कों पर यदि आज हम निकलें तो दिल्ली बेहद खूबसूरत नजर आ रही है. हर जगह जी20 की तैयारियां दिखाई दे रही हैं, कई फव्वारे दिख रहे हैं. सड़कें बिल्कुल साफ-सुथरी हैं, रंग-रोगन हो रहा है. एक बहुत बड़ा मौका भारत के लिए जब जी20 की शिखर सम्मेलन कुछ ही दिनों बाद होने जा रहा है, क्या हासिल करना चाहता है भारत इस आयोजन के जरिए? क्या संदेश हम दुनिया को देना चाह रहे हैं?
जी20 की अध्यक्षता भारत के पास अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. एक ऐसा पल, एक ऐसा मौका है, कि हम नए भारत की बुलंद तस्वीर दुनिया को दिखा सकें, नए भारत की नई पहचान दुनिया को दिखा सकें. भारत के गौरवशाली इतिहास को कला, संस्कृति, साहित्य और परंपराओं के माध्यम से दुनिया के सामने दिखा सकें. और अब तक जितनी जी20 की बैठकें हुईं, करोड़ों भारतीयों ने उसमें भाग लिया और 60 शहरों में 200 मीटिंग्स कराईं, हर राज्य, हर यूनियन टेरिटरी में मीटिंग हुई. हमने हर किसी को अवसर दिया, करोड़ों लोगों ने उसमें भागीदारी की. यह प्रधानमंत्री मोदी जी की सोच थी कि भारत को हमें दुनिया को दिखाना है. आज दुनिया का इतना इंटरेस्ट भारत में बना है, एक जी20 की अध्यक्षता के कारण इतना बड़ा पल आकर खड़ा हुआ. मुझे लगता है कि डिजिटल करेंसी की जो मैं बात कर रहा था, डिजिटल पेमेंट्स की बात करता हूं, यह नए भारत की ताकत है. स्टार्टअप्स देखिए..
यह जो जी20 का आयोजन हो रहा है इससे हम जो भारत के लोग हैं, उनकी भलाई के लिए क्या कदम उठाया जा सकता है इससे कि उनको सीधा फायदा हो?
वर्ल्ड इज वन फैमिली, वसुधैव कुटुम्बकम.. मोदी जी इस बात को दुनिया के सामने रखा ही नहीं, करके दिखाया. जी20 में भी हमने वन वर्ल्ड, वन फ्यूचर.. उसी की दिशा में हम लोग आगे बढ़े हैं. आपसे मुझे सिर्फ इतना कहना है कि भारत ने कहा ही नहीं, करके दिखाया, चाहे फर्स्ट रिस्पांडर हम टर्की, सीरिया, नेपाल, अफगानिस्तान में हों, हम लोगों ने यूक्रेन में भी करके दिखाया. भारत की एक नई पहचान, ग्लोबल साउथ की आवाज भारत बना है. ग्लोबल साउथ की आवाज बनना भारत की एक बड़ी ताकत है. हम उन देशों को जो प्रगतिशील देश हैं, जो आगे बढ़कर आ रहे हैं, उसके लिए, अफ्रीकन कंट्रीज हैं, उनके लिए आवाज बनकर उभरे हैं. तो भारत आज केवल अपने लिए नहीं, आज भारत दुनिया की आवाज बना है, ग्लोबल साउथ की आवाज बना है. और यह मोदी जी के नेतृत्व के कारण हुआ.
इसमें कांग्रेस पार्टी ने आपत्ति की है. वे कहते हैं कि जी20 की जो चेयरमैनशिप होती है, वह तो रोटेशन से मिलती है. कई देश हैं दुनिया में जो इसकी अध्यक्षता कर चुके हैं. तो इसमें क्या नई बात है? वे यह भी कहते हैं कि जी20 को लेकर इतना हल्ला इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इसका फायदा बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव में, 2024 में लेना चाहती है.
यानी यह तो कांग्रेस ने मान लिया कि हम लोगों ने बहुत सफल जी20 का आयोजन किया. धन्यवाद कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं को. हम कुछ भी करते हैं, मोदी जी के नेतृत्व में सफल ही करते हैं और बड़ा करते हैं. इन लोगों ने तो चंद्रयान 2 का बजट भी, इसरो का कम कर दिया था. ये तो मोदी जीने चंद्रयान 2 पूरा किया, चंद्रयान 3 भी किया और चंद्रयान वन, अखिलेश जी अटलबिहारी वाजपेयी जी की सरकार के समय शुरू हुआ. पहुंचा इनकी सरकार के समय लेकिन इन्होंने वहां पर भी जोहार पाइंट दे दिया. अब अगर हम शिवशक्ति पाइंट देते हैं तो उसका विरोध करते हैं. यह इनकी मानसिकता को दिखाता है, पहली बात यह है. इनको इस बात की खुशी होनी चाहिए कि जी20 भारत में हो रहा है, और भारत ने इसका इतना सफल आयोजन अब तक किया है. यह भारत के लिए बड़ा पल है, इसमें बंटे क्यों रहते हो? विपक्ष अगल थोड़ी है, भारत का ही है. यही इनकी सोच, इनका बार-बार जनता विरोध करती है, क्योंकि ये भारत के बारे में उस दिशा में नहीं सोच पाते.
जो काम दुनिया का कोई देश कर पाया वह मोदी जी ने भारत में करके दिखायाएक दूसरा मुद्दा चीन को लेकर भी उठ रहा है कि जिस तरह चीन ने इस जी20 की बैठक से ठीक पहले नक्शा जारी कर दिया.. फिर उस पर यह खबर आ रही है कि शी जिनफिंग इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए नहीं आ रहे हैं, तो इसको आप किस तरह से देखते हैं?
यह बहुत बड़ा प्लेटफार्म है साहब.. जहां दुनिया के इतने हेड ऑफ द स्टेट आने वाले हैं, जो दुनिया के भविष्य की चुनौतियां हैं उनसे पार कैसे निकलना, उसके बहुत सारे सफल प्रयोग और सफलता के उदाहरण भारत में देखने को मिलते हैं. इसलिए मैंने कहा डिजिटल पेमेंट्स की बात करें, ट्रांसपेरेंसी की बात करें, टेक्नालॉजी की बात करें,वूमेन लेड डेवलपमेंट की बात करें, सस्टेनेबल डेवलपमेंट की बात करें, भारत ने उस दिशा में बहुत शानदार कदम उठाए हैं. और एजेंडा जो होगा उस पर तो काम होगा ही, लेकिन बात यह है कि एक बंद कमरे की बैठक से ज्यादा इसको देश के कोने-कोने तक ले जाने का काम दुनिया का कोई देश कर पाया है तो मोदी जी ने भारत में करके दिखाया है. इसमें हजारों कार्यक्रम, 16 हजार कार्यक्रम केवल वाई20 में हुए. जहां 26 लाख तो सीधे युवाओं ने भाग लिया है और करोड़ों युवाओं तक हम पहुंचे हैं. इसी तरह से जो अन्य कार्यक्रम हुए, हम तो सिर्फ इंगेजमेंट ग्रुप में हैं, जो वर्किंग ग्रुप हैं, शेरपा मीटिंग्स हो रही हैं, फाइनेंशियल ग्रुप्स की मीटिंग हो रही हैं, उनमें तो तीन हजार से ज्यादा विदेशी प्रतिनिधि आए. 200 से ज्यादा स्थानों पर देश भर में मीटिंग हुईं. क्या यह भारत की ताकत नहीं दिखाता है? ऐसे में विपक्ष कहता हूं, योग तो कई लोग करते थे, लेकिन योग दुनिया को तो मोदी जी ने दिया.
मोदी जी ने सोच बदलने का काम किया, खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ायाजो भारत की ताकत की आपने बात कही है, वह ताकत एक दूसरे क्षेत्र में भी दिख रही है, जो आपके मंत्रालय से जुड़ा हुआ है- खेल. अभी हमने देखा वर्ल्ड एथलिटिक्स चैंपियनशिप हुई, नीरज चोपड़ा को उसें गोल्ड मिला. फोर बाई पोर हंड्रेड में भारत ने क्वालीफाई किया, एशिया का रिकार्ड बनाया...तो ये जो उपलब्धियां मिल रही हैं एक के बाद एक, इसके पीछे क्या कारण आप मानते हैं? क्या सोच बदली, पहले कहा जाता था कि भारत खेलों में फिसड्डी है. क्रिकेट के अलावा हम कोई दूसरा खेल खेलते नहीं हैं. लेकिन अब हम इस तरह से शाइन कर रहे हैं, ग्लोबल फोरम के ऊपर.
आपके सवाल में ही जवाब है, सोच बदलो, देश बदलेगा..और मोदी जी ने सोच बदलने का काम किया है. खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया, उनसे सीधा संवाद किया, खिलाड़ियों के परिवारों से तक मिले. उनको सुविधाओं से लैस किया. तीन गुना ज्यादा खेल का बजट कर दिया, योजनाएं लाकर खिलाड़ी का रहना, खाना-पीना, भोजन, ट्रेनिंग.. सारा खर्चा भारत सरकार करती है और छह लाख रुपये साल का जेब खर्च देती है. एक हजार खेलो इंडिया सेंटर हम बना रहे हैं, एक ही साल में बनाकर दे देंगे. एक हजार पूर्व खिलाड़ियों को उसमें रोजगार मिलेगा, चैंपियन एथलीट को और वे आगे सबको ट्रेंड करेंगे. 23 नेशनल सेंटर ऑफ एक्सिलेंस हमने बनाकर दे दिए. साठ के लगभग साई ट्रेनिंग सेंटर हमने बना दिए. और खेलो इंडिया अभियान में हमने 3300 करोड़ रुपये एक बार फिर अलाट किया है. इसमें से खेलो इंडिया यूथ गेम्स, खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स और खेलो इंडिया विंटर गेम्स में 15 हजार खिलाड़ी हर साल भाग लेते हैं. इसका लाभ अखिलेश जी क्या मिला, वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में 60 साल में भारत को केवल 18 मेडल मिले थे, हमने इस बार 26 मेडल जीते, जिसमें 10 गोल्ड हैं. सेफ फुटबाल गेम्स में हम चैंपियन रहे. हॉकी की एशियन चैंपियनशिप में मलेशिया को हराकर हम चैंपियन बने. हॉकी की जूनियर्स मेंस और वूमेंस दोनों का चैंपियन भारत बना. अंडर 20 रेस्टलिंग में अंतिम पंघाल से लेकर सवित और प्रिया गोल्ड मेडल जीतकर चैंपियन बने. हमारी चार बॉक्सर्स वर्ल्ड बॉक्सिंग में वर्ल्ड चैंपियन बनीं. और यही नहीं हमारे प्रगनंदा हैं, चेस में पहले दो खिलाड़ी फाइनल में पहुंचे और 18 साल की उम्र में करके दिखाया. अभी प्रधानमंत्री जी ने उनका सम्मान भी किया. मैं भी मिला. यह हमारे लिए गर्व के पल हैं जब यह नौजवान इतना अच्छा कर रहे हैं. और यही नहीं, एथेलिटिक्स में फोर बाई फोर हंड्रेड में एशिया और जो नेशनल रिकार्ड टूटा, आपने बताया, बीच में तो हम सेकेंड नंबर पर थे. फिर जो जेवलिन है, छठे नंबर पर मनु डीपी, पांचवे नंबर पर किशेर जेना, पहले नंबर पर गोल्डन ब्वॉय ऑफ एथेलिटिक्स नीरज चोपड़ा. तो छह में से तीन स्थान जेवलिन में भारत को मिलना, यह एथेलिटिक्स के क्षेत्र में भारत की नई पहचान है. लॉन्ग जंप में हमने बहुत अच्छा किया. अन्य खेलों में एथेलिटिक्स ट्रैक एंड फील्ड में हम लोग पहले से बहुत बेहतर कर रहे हैं. यह तब हुआ जब खिलाड़ी इस चिंता से मुक्त हो गया कि मेरी ट्रेनिंग पर कौन खर्च करेगा, मेरे जेब खर्च का क्या होगा, मेरे रोजगार का क्या होगा, मेरा भविष्य क्या होगा.. अब उसको लगता है कि मोदी सरकार में सब संभव है. अब खिलाड़ी केवल खेलने का प्रयास करता है, अपना बेस्ट परफार्मेंस देता है..और तिरंगा झंडा जहां खेल के मैदान में खिलाड़ी लहराता है, हमारे वैज्ञानिक चंद्रयान के माध्यम से चंद्रमा पर लहराते हैं.
लेकिन एक विवाद भी चल रहा है, जो कुश्ती संघ को लेकर, आपने देखा कि उसकी मान्यता का सस्पेंशन कर दिया गया. इससे भी तो फर्क पड़ता है. इस विवाद को सुलझाने के लिए आप क्या कर रहे हैं?
निश्चित तौर पर फर्क पड़ता है. लेकिन आप देखिए इन छह महीनों में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने जो एडहॉक बॉडी बनाई उसमें बहुत सफलता के साथ सिलेक्शन भी किए. उन्हीं खिलाड़ियों ने इतने सारे मेडल पिछले छह महीनों में जीते. एडहॉक कमेटी ने बहुत शानदार काम किया. चुनाव बीच में थे, लगभग वोटिंग का समय आने वाला था, कोर्ट में स्टे हुआ. जैसे ही वो हटता है, चुनाव पूरे हो जाएंगे. इसमें आईओए बात कर रहा है. जो यूडब्लूडब्लूडब्लू फेडरेशन है रेस्टलिंग का, उनके साथ कि, चुनाव हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द पूरे हो जाएं और हमारे सस्पेंशन को उठाया जाए.
हम यह सुनिश्चित करने की दिशा में बढ़ रहे कि 2036 का ओलंपिक भारत में होआपसे आखिरी सवाल, चंद्रयान की बात आपने की थी, कि चंद्रमा पर तिरंगा फहरा दिया. आपने कहा कि हमने वर्ल्ड एथेलिटिक्स में भी गोल्ड मेडल जीत लिया. ओलंपिक, यह भी एक टारगेट है, भारतीय चाहते हैं कि भारत में भी ओलंपिक हो. क्या यह मुमकिन होगा? यह सपना पूरा हो पाएगा?
अखिलेश जी आज मैं आपके चैनल पर एक बात जरूर कहूंगा, जैसे हमने हर क्षेत्र में, खेलों में नित रोज नए आयाम स्थापित किए हैं, लगातार ज्यादा, पहले से ज्यादास किया...टोक्यो ओलंपिक में सात मेडल, पैरालंपिक्स में 19 मेडल डेफ ओलंपिक्स में 20 मेडल, फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में 22 गोल्ड मेडल और 61 मेडल, थॉमस जीतना.. यह सब पहली बार ऐसा हुआ..अगर यह सब हुआ पहली बार तो ओलंपिक्स का हम रोडमैप तैयार करें कि 2036 तक हम कितने मेडल जीतेंगे और 2036 का ओलंपिक भारत में हो, यह भी सुनिश्चित करने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं.
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