कर्नाटक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के ज्यादातर लाभार्थियों ने संकेत दिया है कि वे विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी के पक्ष में वोट डालेंगे. एनडीटीवी के लोकनीति-सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS)के एक पब्लिक सर्वे में ये बात सामने आई है. सर्वे के मुताबिक, राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के 40 प्रतिशत से अधिक लाभार्थी चुनाव में बीजेपी को वोट देने का इरादा रखते हैं. जबकि 30 से अधिक लेकिन 40 फीसदी से कम लोगों ने संकेत दिया है कि वो कांग्रेस को वोट देंगे.
राज्य में गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों के लिए 'भाग्यलक्ष्मी योजना' लाई गई थी. इसके तहत राज्य सरकार लड़कियों को 10वीं कक्षा तक वित्तीय मदद देती है. इस स्कीम के तहत 45 प्रतिशत लाभार्थियों को फायदा मिला. 44 प्रतिशत लाभार्थियों ने कहा कि वे बीजेपी को वोट देना चाहते हैं. जबकि 32 फीसदी लोगों ने कहा कि कांग्रेस के चुनाव चिन्ह के बगल वाला बटन दबाएंगे.
इसी तरह एक प्रकार की वृद्धावस्था पेंशन स्कीम 'संध्या सुरक्षा योजना' से 29 प्रतिशत लाभार्थियों को दी गई. सर्वे के मुताबिक, 45 फीसदी ने कहा कि वे बीजेपी को वोट देंगे; जबकि 36 फीसदी ने कहा कि वे कांग्रेस को वोट देंगे. सरकार ने 'आरोग्य कवच योजना' के नाम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी स्वास्थ्य योजना लागू की थी. ये स्कीम 23 प्रतिशत लाभार्थियों के पास गई. सर्वे में शामिल 51 फीसदी लोगों ने कहा कि वे बीजेपी को वोट देंगे, जबकि 31 फीसदी लोगों का इरादा कांग्रेस को वोट देने का है.
कर्नाटक में केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों की एक बड़ी संख्या ने भी संकेत दिया है कि वे बीजेपी को वोट देंगे. उदाहरण के लिए 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)' 31 प्रतिशत लोग लाभान्वित हुए. वहीं, 46 फीसदी ने संकेत दिया कि उनका वोट बीजेपी को जाएगा, जबकि 34 फीसदी ने कहा कि वे कांग्रेस को वोट देंगे.
सरकार समर्थित दुर्घटना बीमा योजना "प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना" का लाभ 21 प्रतिशत लोगों को मिला. सर्वे में शामिल 47 फीसदी लोगों ने कहा कि वे बीजेपी के लिए मतदान का इस्तेमाल करेंगे. 33 फीसदी लोगों ने संकेत दिया कि वे कांग्रेस को वोट देंगे. बुनियादी ढांचे के विकास और आवश्यक सेवाओं की सप्लाई पर सर्वे में शामिल ज्यादातर लोगों ने कहा कि स्थिति में सुधार हुआ है. कुल मिलाकर सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार के विकास कार्यों को लेकर मतदाताओं का आकलन खराब नहीं है.
52 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कर्नाटक में सड़कों में सुधार हुआ है, जबकि 16 प्रतिशत लोगों का मानना है कि पांच सालों में सड़कों की हालत खराब हुई है. जबकि 31 फीसदी लोग मानते हैं कि सड़कों की हालत पहले जैसी ही है. बिजली सप्लाई को लेकर 46 फीसदी लोगों का मानना है कि इसमें सुधार हुआ है. 43 फीसदी लोगों ने कहा कि बिजली सप्लाई पहले जैसी ही है. वहीं, 10 फीसदी लोगों ने माना कि बिजली की सप्लाई पहले से और ज्यादा खराब हो गई है. सर्वे में 51 लोगों ने पेयजल की सप्लाई को लेकर पूरी तरह से संतुष्टि जाहिर की है. जबकि 14 फीसदी लोगों ने माना की पीने के पानी की सप्लाई पहले से खराब हो गई है.
सर्वे में शामिल 30 फीसदी लोग मानते हैं कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार हुआ है. वहीं, 21 फीसदी लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते. सरकारी स्कूलों को लेकर पूछे गए सवाल पर सर्वे में शामिल 35 प्रतिशत लोगों ने माना कि स्कूलों की हालत में सुधार हुआ है. जबकि 18 फीसदी मानते हैं कि स्कूलों की हालत पहले से खराब हो गई है.
कैसे हुआ सर्वे?
सर्वे के लिए कर्नाटक के 21 विधानसभा क्षेत्रों के 82 मतदान केंद्रों में कुल 2143 लोगों से बात की गई. दो मतदान केंद्रों में फील्डवर्क पूरा नहीं हो सका. सर्वे के फील्ड वर्क का को-ऑर्डिनेशन वीना देवी ने किया और कर्नाटक में नागेश के एल ने इसका मुआयना किया.
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को 'प्रोबैबलिटी प्रपोर्शनल टू साइज (Probability Proportional to Size)' सैंपल का इस्तेमाल करके रैंडमली तरीके से चुना गया है. इसमें एक यूनिट के चयन की संभावना उसके आकार के समानुपाती होती है. हर निर्वाचन क्षेत्र से 4 मतदान केंद्रों को सिलेक्ट किया गया था. हर मतदान केंद्र सेसे 40 मतदाताओं को रैंडमली सिलेक्ट किया गया था.
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