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This Article is From May 01, 2023

NDTV-CSDS सर्वे: केंद्र और राज्य में BJP सरकार से कितने संतुष्ट हैं कर्नाटक के लोग?

NDTV-CSDS के ओपिनियन सर्वे में लोगों से 'डबल इंजन की सरकार' को लेकर भी सवाल किए गए. इनमें से ज्यादातर लोगों ने राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार को लेकर पूरी संतुष्टि जाहिर की.

पीएम मोदी के साथ कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई.

नई दिल्ली:

कर्नाटक के 224 विधानसभा सीटों (Karnataka Assembly Elections 2023) के लिए 10 मई को वोटिंग होनी है. बीजेपी के लिए जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) समेत पार्टी के तमाम नेता 'डबल इंजन की सरकार' फिर से लाने पर जोर रहे हैं. 'डबल इंजन की सरकार' से मतलब केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार से है. बीजेपी का कहना है कि ऐसी सरकार से विकास के कामों में देरी नहीं होती.

NDTV-CSDS के ओपिनियन सर्वे में लोगों से 'डबल इंजन की सरकार' को लेकर भी सवाल किए गए. इनमें से ज्यादातर लोगों ने राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार को लेकर पूरी संतुष्टि जाहिर की. सर्वे के मुताबिक, 27 फीसदी लोगों का कहना है कि वे कर्नाटक में बीजेपी सरकार से 'पूरी तरह संतुष्ट' हैं. जबकि 24 फीसदी लोगों ने केंद्र में बीजेपी की अगुआई वाली सरकार पर पूरी तरह से संतुष्टि जाहिर की है.

सर्वे में 36 फीसदी लोगों का कहना है कि वो राज्य में बीजेपी सरकार से 'कुछ हद तक संतुष्ट' हैं, जबकि 42% लोगों ने कहा कि वो केंद्र की बीजेपी सरकार से कुछ हद तक संतुष्ट हैं. जनमत सर्वेक्षण से पता चलता है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए केंद्र और राज्य दोनों योजनाओं के लाभार्थी बीजेपी का पक्ष लेते हैं. 

सर्वे में शामिल लोगों से बीजेपी सरकार के पांच साल के किए गए कामों की रेटिंग देने के लिए कहा गया था. इनमें से 52 फीसदी लोगों का मानना है कि पांच साल के दौरान सड़कों पर अधिक काम हुआ है. यानी 52 फीसदी लोग मानते हैं कि बीजेपी सरकार में सड़कों की हालत में सुधार आया है. जबकि 31 फीसदी लोग मानते हैं कि सड़कों की हालत पहले जैसी ही है. वहीं, 16 फीसदी लोगों का मानना था कि सड़कों की हालत पांच साल के दौरान और खराब हो गई है.

बिजली सप्लाई को लेकर 46 फीसदी लोगों का मानना है कि इसमें सुधार हुआ है. 43 फीसदी लोगों ने कहा कि बिजली सप्लाई पहले जैसी ही है. वहीं, 10 फीसदी लोगों ने माना कि बिजली की सप्लाई पहले से और ज्यादा खराब हो गई है. सर्वे में 51 लोगों ने पेयजल की सप्लाई को लेकर पूरी तरह से संतुष्टि जाहिर की है. जबकि 14 फीसदी लोगों ने माना की पीने के पानी की सप्लाई पहले से खराब हो गई है. सर्वे में शामिल 30 फीसदी लोग मानते हैं कि सरकारी अस्पतालों की स्थिति में सुधार हुआ है. वहीं, 21 फीसदी लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते. सरकारी स्कूलों को लेकर पूछे गए सवाल पर सर्वे में शामिल 35 प्रतिशत लोगों ने माना कि स्कूलों की हालत में सुधार हुआ है. जबकि 18 फीसदी मानते हैं कि स्कूलों की हालत पहले से खराब हो गई है.

कैसे हुआ सर्वे?
सर्वे के लिए कर्नाटक के 21 विधानसभा क्षेत्रों के 82 मतदान केंद्रों में कुल 2143 लोगों से बात की गई. दो मतदान केंद्रों में फील्डवर्क पूरा नहीं हो सका. सर्वे के फील्‍ड वर्क का को-ऑर्डिनेशन वीना देवी ने किया और कर्नाटक में नागेश के एल ने इसका मुआयना किया.

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को 'प्रोबैबलिटी प्रपोर्शनल टू साइज (Probability Proportional to Size)' सैंपल का इस्तेमाल करके रैंडमली तरीके से चुना गया है. इसमें एक यूनिट के चयन की संभावना उसके आकार के समानुपाती होती है. हर निर्वाचन क्षेत्र से 4 मतदान केंद्रों को सिलेक्ट किया गया था. हर मतदान केंद्र सेसे 40 मतदाताओं को रैंडमली सिलेक्ट किया गया था.
 

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