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मिल्कीपुर में बीजेपी की इस चाल का कैसे मुकाबला कर पाएगी समाजवादी पार्टी, क्या है वोटों का गणित

बीजेपी ने मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए पासी जाति के चंद्रभानु पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है.वो पासी जाति के हैं. उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद से है. अजीत भी पासी जाति के ही हैं. बीजेपी ने पासी जाति के नेता को टिकट देकर कौन सी चाल चली है.

मिल्कीपुर में बीजेपी की इस चाल का कैसे मुकाबला कर पाएगी समाजवादी पार्टी, क्या है वोटों का गणित
नई दिल्ली:

बीजेपी ने मंगलवार को अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया. बीजेपी ने चंद्रभानु पासवान को टिकट दिया है. सपा ने यहां से फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. इसके साथ ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मिल्कीपुर विधानसभा सीट का उपचुनाव काफी दिलचस्प हो गया है. इसकी वजह है सपा और बीजेपी उम्मीदवारों का एक ही जाति का होना. दोनों ही पासी जाति के हैं. करीब साढ़े तीन लाख मतदाताओं वाले मिल्कीपुर में पासी जाति के मतदाता सबसे अधिक करीब 60 हजार हैं. इस चुनाव में कांग्रेस ने सपा के उम्मीदवार का समर्थन किया है. वहीं बसपा ने यह उपचुनाव न लड़ने की घोषणा की है. ऐसे में मिल्कीपुर का मुकाबला इन बीजेपी और सपा के बीच ही लड़ा जाएगा. 

कौन हैं चंद्रभानु पासवान

बीजेपी उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान रुदौली के रहने वाले हैं. पेशे से वह कारोबारी हैं. उनकी पत्नी कंचन पासवान जिला पंचायत की सदस्य हैं. वो पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित मिल्कीपुर में बीजेपी की ओर से कई लोग टिकट के दावेदार थे.लेकिन बीजेपी ने पासी जाति के चंद्रभानु पासवान को चुना. बीजेपी की कोशिश मिल्कीपुर में पासी जाति के वोटों का बंटवारा करना था. मिल्कीपुर में करीब एक लाख दलित मदताता हैं, इसमें पासी जाति की आबादी सबसे अधिक है. यह वोट बैंक की अवधेश प्रसाद की जीत का बड़ा आधार रहा है. ऐसे में बीजेपी ने इसमें बंटवारा कर सपा को पटखनी देने की सोची है. एक ही जाति के दोनों उम्मीदवार होने की स्थिति में इस वोट बैंक में बंटवारा होना तय है.उत्तर प्रदेश का यह इलाका पासी बहुल है. इसलिए बीजेपी हो या सपा कोई भी इस जाति को अनदेखा नहीं करता है. बीजेपी भी पिछले काफी समय से इस जाति के वोट बैंक को अपने साथ रखने की कोशिश कर रही है. इसे देखते हुए ही बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 65 लाख की आबादी वाली इस जाति को छह टिकट दिए थे. 

मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए उम्मीदवारी की घोषणा के बाद प्रचार में जुटे चंद्रभानु पासवान.

मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए उम्मीदवारी की घोषणा के बाद प्रचार में जुटे चंद्रभानु पासवान.

एक बात जिसे सपा मुद्दा बना सकती है, वह है  चंद्रभानु पासवान का बाहरी होना. वो रुदौली के रहने वाले हैं. वहीं सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद मिल्कीपुर के ही रहने वाले हैं.लेकिन चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने स्थानीय स्तर पर होने वाली गुटबाजी को एक तरह से खत्म कर दिया है. मिल्कीपुर से किसी स्थानीय को टिकट दिए जाने से टिकट के दूसरे दावेदार गुटबाजी को हवा दे सकते थे.लेकिन अब शायद ऐसा न होने पाए. 

क्या कोशिश कर रही है समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी की कोशिश दलित वोटों का बंटवारा रोकने की है. इसलिए वह बाबा साहब भीम राव आंबेडकर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी को मुद्दा बना रही है. वहीं सपा पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक के मुद्दे पर पहले से ही काम कर रही है.लेकिन मिल्कीपुर में बिजनौर के सांसद चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी अपना उम्मीदवार उतार दिया है. चंद्रशेखर का वोट बैंक भी दलित और मुसलमान ही हैं. इससे मिल्कीपुर में दलित वोटों का और बंटवारा हो सकता है. आजाद समाज पार्टी ने मिल्कीपुर से सतोष कुमार उर्फ सूरज चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है.ऐसे में मिल्कीपुर में सपा की रणनीति कामयाब होगी या सपा की, इसका पता आठ फरवरी को चेलगा, जब उपचुनाव के नतीजे आएंगे.

मिल्कीपुर में चुनाव प्रचार करते समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद.

मिल्कीपुर में चुनाव प्रचार करते समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद.

मिल्कीपुर में पासी के अलावा दलित जातियों में कोरी करीब मतदाता 13 हजार और चमार 15 हजार से अधिक हैं. इनके अलावा पिछड़ी जातियों में करीब 50 हजार यादव, करीब 25 हजार बरई या चौरसिया, पांच हजार पाल और पाल से थोड़े अधिक मौर्य मतदाता हैं. यादव यहां काफी प्रभावशाली भी है. मिल्कीपुर के अनुसूचित जाति के आरक्षित होने से पहले यहां पांच बार यादव विधायक का चुनाव जीत चुके हैं. इनमें एक समय सीपीआई के कद्दावर नेता रहे मित्रसेन यादव भी शामिल हैं. वहीं मुसलमानों की संख्या भी 25 हजार से अधिक है. यादव और मुसलमान यूपी में सपा के कोर वौट बैंक हैं. वहीं अगर सवर्ण जातियों की बात करें तो करीब 75 हजार ब्राह्मण इस विधानसभा सीट पर हैं. इस समाज को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है. ब्राह्मण के अलावा राजपूत और वैश्य-बनिया भी मिल्कीपुर में ठीक-ठाक संख्या में हैं. मतदाताओं के इस बंटवारे को देखते हुए मिल्कीपुर की लड़ाई के कठिन होने का अनुमान लगाया जा रहा है.

मिल्कीपुर में कौन रहा है आगे

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर में सपा के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के गोरखनाथ को 12 हजार 923 वोटों से हराया था.वहीं पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में सपा ने अवधेश प्रसाद को फैजाबाद सीट से टिकट दिया था. उन्होंने बीजेपी के लल्लू सिंह को 55 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया था.लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी के लल्लू सिंह सपा के अवधेश प्रसाद से सात हजार 733 वोटों से पीछे रह गए थे.लोकसभा के लिए चुन लिए जाने के बाद अवधेश प्रसाद ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इस वजह से वहां चुनाव कराया जा रहा है.मिल्कीपुर में पांच फरवरी को मतदान कराया जाएगा.वहीं मतगणना आठ फरवरी को कराई जाएगी. मिल्कीपुर में नामांकन की अंतिम तारीख 17 जनवरी है. 

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