
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर बड़ी घोषणा की है. दिसंबर महीने में शीतकालीन सत्र में ओल्ड पेंशन स्कीम नहीं देने की बात करने वाले फडणवीस ने अब विधान परिषद के चुनावों से पहले बयान दिया है की सरकार ओपीएस को लेकर नकारात्मक नहीं है. 21 दिसंबर को डिप्टी सीएम ने कहा था कि सरकार पुरानी स्कीम को लागू नहीं करेगी.ओल्ड पेंशन स्कीम के कारण सरकार को 1.10 लाख करोड़ का भार पड़ेगा.
हालांकि अब उन्होंने कहा है कि हम इसे लेकर नकारात्मक नहीं हैं. हम राजस्व और दूसरे विभागों से चर्चा करेंगे, लेकिन जो भी फैसला किया जाएगा वो लॉन्ग टर्म के लिए किया जाएगा, शॉर्ट टर्म के लिए नहीं. और अगर कोई बदलाव ला सकता है, वो हम ही ला सकेंगे, कोई दूसरा नहीं.
बताते चलें कि कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और आम आदमी पार्टी शासित पंजाब में जहां पुरानी पेंशन योजना लागू है तो वहीं फडणवीस बीजेपी के पहले नेता हैं जो ओल्ड पेंशन स्कीम के पक्ष में बात कर रहे हैं. ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत पेंशन की पूरी राशि सरकार देती थी. यह पेंशन रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन पर आधारित होती थी. नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए देते हैं.सरकार का मानना है की पुरानी पेंशन स्कीम का असर सरकार के राजस्व पर पड़ेगा.
पेंशन स्कीम को लेकर देवेंद्र फडणवीस की ओर से दिए गए बयान को कांग्रेस केवल एक राजनीतिक बयान बता रही है. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा कि विधान परिषद के हार को देखते हुए देवेंद्र फडणवीस के बोल बदल गए हैं. अब वो कह रहे हैं की ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की हिम्मत उनमें है. मेरा सवाल यह है की क्या यह हिम्मत नरेंद्र मोदी में नहीं है. केंद्र में सरकार आपकी है, आप डबल ट्रिपल इंजन सरकार की बात कर रहे हैं. तो करवा लीजिए इसे लागू . यह झूठ बोलना बंद कीजिए.
बताते चलें कि हाल ही में हुए हिमाचल प्रदेश के चुनावों में ओल्ड पेंशन स्कीम एक अहम मुद्दा रहा जिसे बीजेपी की हार की एक वजह मानी जा रही है. ऐसे में महाराष्ट्र में होने वाले विधान परिषद के पहले फडणवीस ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर अपनी भूमिका बदलते दिख रहे हैं.
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