विज्ञापन
This Article is From Jan 26, 2023

भारत के इन हथियारों और सुरक्षा बलों को देख खौफ में दुश्मन, खासियत जानकर आपको भी होगा गर्व

74th Republic Day के मौके पर डोगरा रेजिमेंट का उद्भव ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 17 वीं डोगरा रेजिमेंट से हुआ. डोगरा रेजिमेंट की यूनिटों ने आजादी के बाद के सारे जंग लड़े हैं. इस रेजीमेंट के जवान हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और पंजाब से आते हैं. 

भारत के इन हथियारों और सुरक्षा बलों को देख खौफ में दुश्मन, खासियत जानकर आपको भी होगा गर्व
Republic Day Parade : कर्तव्य पथ पर भारतीय थलसेना इस बार अपने सारे स्वदेशी हथियारों का प्रदर्शन कर रही है.

आत्मनिर्भर भारत की तस्वीर आज गणतंत्र दिवस के मौके पर देशवासी ही नहीं, बल्कि दुनिया भी देख रही है. दोस्त भी देख रहे हैं और भारत पर बुरी नजर रखने वाले भी. कर्तव्य पथ पर भारतीय थलसेना इस बार अपने सारे स्वदेशी हथियारों का प्रदर्शन कर रही है. यह बेहद घातक हैं. नौसेना और वायुसेना भी परेड में अपने खास हथियारों का प्रदर्शन कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं, आज गणतंत्र दिवस में शामिल कुछ खास हथियारों और सुरक्षा बलों के बारे में. इनके बारे में जानकर आपको गर्व होगा.  

एमबीटी अर्जुन 

यह तीसरी पीढ़ी का देश में बना युद्धक टैंक है. इसमें 120 एमएम की मुख्य राइफल गन है.12.7 एमएम एंटी एयर क्राफ्ट मशीन गन है. यह 70 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है.  

नाग मिसाइल सिस्टम (नामिस)

नाग मिसाइल सिस्टम एक टैंक विध्वंसक है, जिसे डीआरडीओ ने बनाया है. एक व्हीकल छह नाग एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों को फायर करने में सक्षम है. इसकी रेंज 5 किलोमीटर है. 

आईसीवीबीएमपी-2  (सारथ) 

सारथ नाम का यह इंफ्रैट्री कॉम्बेट व्हीकल है, जिसमें घातक हथियार होते हैं. खासकर इससे रात में युद्ध में घातक क्षमता और बढ़ जाती है. यह हर क्षेत्र में प्रभावी ढंग से काम कर सकता है. यह 30 एमएम गन, 7.62 एमएम पीकेटी और कॉकर्स मिसाइलों से लैस है.

क्यू आरएफवी (मीडियम)

क्विक रियेक्शन लड़ाकू वाहन को आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत टाटा एडवांस सिस्टम और भारत फोर्ज ने तैयार किया है. यह गाड़ी 10 सशस्त्र सैन्य दलों को ले जाने सक्षम है. इस वाहन को लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदएश में तैनात सैनिकों के लिए खास तौर से डिजाइन किया गया है.  

क्यू आरएफवी (हेवी)

यह वाहन माइन और बुलेट प्रूफ भी है. इसकी अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह 25 ड्रिग्री तक चढ़ाई करने में सक्षम है. 

के-9 वज्र टैंक
15 एमएम /52 कैलिबर ट्रैक्ड सेल्फ प्रोपेल्ड की फायरिंग रेंज 40 किलोमीटर है. यह रेगिस्तानी इलाके में 60 किमी प्रतिघंटा से आगे बढ़ सकता है.

ब्रम्होस प्रक्षेपात्र प्रणाली 

यह देश में बना सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसकी रेंज 400 किमी है. यह सटीक और दुश्मन के क्षेत्र में अंदर तक लक्ष्य साधने में सक्षम है.

लघु अवधि बिजिंग प्रणाली  (शार्ट स्पैन ब्रिज) 

10 मीटर शार्ट स्पैन ब्रिज सिस्टम एक यांत्रिक रुप से लॉन्च हमलावर ब्रिज है, जिससे कुछ मिनटों में नहर या नाले पर पुल तैयार कर दिया जाता है. इसे डीआरडीओ ने बनाया है.  

मोबाइल माइक्रोवैव नोड और मोबाइल नेटवर्क सेंटर

इस कॉलम में दो वाहन हैं. एक माइक्रोवैव नोड और उसके साथ मोबाइल नेटवर्क सेंटर. इससे सेना को युद्ध क्षेत्र में संचार के मामले में काफी मदद मिलती है. इसे भी देश में ही तैयार किया गया है. 

आकाश आर्मी रडार 

इसको डीआरडीओ ने देश में ही तैयार किया है. यह दुश्मन के हवाई प्लेटफार्म के खिलाफ कम दूरी की सतह से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल को फायर करने में सक्षम है. 

आकाश आर्मी लांचर 

इस प्रणाली में 150 किलोमीटर तक एयरस्पेस की निगरानी करने और 25 किलोमीटर तक शत्रु के हवाई प्लेटफार्मों के प्रभावी ढंग से उलझाए रखने में सक्षम है. 2019 में बालाकोट हमले के बाद सीमा पर इसे तैनात किया गया है.  

मैकेनाइज्ड इंफ्रैंट्री रेजिमेंट 

इसे आज की सेना में कल की रेजिमेंट के रुप में जाना जाता है. सेना में सबसे कम उम्र की रेजिमेंट है. आज यह ऐसी ताकत बन चुकी है, जो भविष्य में किसी भी युद्ध क्षेत्र का नक्शा पलट करने के लिए तैयार है. इसका युद्दघोष है, "बोल भारत माता की जय". 

पंजाब रेजिमेंट सेंटर 

यह भारतीय सेना की एकमात्र इन्फैंट्री रेजिमेंट है, जिसके पास नौसेना का प्रतीक चिन्ह द गैली है. यह सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट इन्फैंट्री में एक है. इसका युद्धघोष है, "जो बोले सो निहाल" "सत श्री अकाल". 

मराठा लाइट इंफ्रैंट्री

यह सेना की सबसे पुरानी और सम्मानित रेजीमेंट में से एक है. इसका गौरवशाली इतिहास 254 वर्षों से ज्यादा पुराना है. इसकी पहली बटालियन 1768 में स्थापित की गई. ये छत्रपति शिवाजी महराज से प्रेरणा लेते हैं. इनका युद्धघोष है, "बोल छत्रपति शिवाजी महराज की जय."     

डोगरा रेजिमेंट 

इस रेजीमेंट का उद्भव ब्रिटिश इंडियन आर्मी की 17 वी डोगरा रेजिमेंट से हुआ. डोगरा रेजिमेंट की यूनिटों ने आजादी के बाद के सारे जंग लड़े हैं. इस रेजीमेंट के जवान हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और पंजाब से आते हैं. 

बिहार रेजीमेंट 

बिहार रेजीमेंट की पहली बटालियन की स्थापना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान की गई थी. इस रेजीमेंट में 50 फिसदी बिहार के और 50 फिसदी आदिवासी हैं. इसका युद्धघोष है, "बोल बजरंग बली की जय." 

गोरखा ब्रिगेड 

गोरखा ब्रिगेड भारत और नेपाल के बीच मजबूत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रमाण है. फील्ड मार्शल सैम मानेकशा ने एक दफा कहा था कि अगर कोई कहता है कि वह मरने से नही डरता तो वह या तो झूठ बोल रहा है या वह गोरखा है.  

असम रेजीमेंट

इस बल को पूर्वोत्तर का प्रहरी भी कहा जाता है.  इस दस्ते में देशभर से भर्ती किए गए सैनिक शामिल हैं, जो विविधता में एकता की मिसाल है. 187 सालों का इतिहास और 994 बहादुरों के बलिदान स्तंभों पर बना है. 

यह भी पढ़ें-

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के ये रास्ते रहेंगे बंद, मेट्रो भी होगी प्रभावित, दिल्‍ली ट्रैफिक पुलिस की एडवाइजरी

Stock Market Holiday 2023: आज रिपब्लिक डे के मौके पर शेयर बाजार रहेगा बंद, देखें 2023 में बाजार की छुट्टियों की पूरी लिस्ट

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com