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मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी 7 आरोपियों के बरी होने पर जानिए किसने क्या कहा

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, "कहीं ऐसा तो नहीं की खबरें दबाने के लिए नई खबरें लाई जा रही है. मैं कोर्ट का फैसला देखा नहीं है. लेकिन जो दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए".

मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी 7 आरोपियों के बरी होने पर जानिए किसने क्या कहा
मालेगांव ब्लास्ट केस: प्रज्ञा ठाकुर समेत 7 बरी
नई दिल्ली:

मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद NIA की स्पेशल कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया. इस फैसले की गूंज संसद भवन परिसर में हर तरफ सुनाई दी. जहां इस केस पर कई साल तक बहस और राजनीति चलती रही. इस मामले में पहली बार हिंदी आतकवाद का भी मुद्दा उठा था जिसपर जमकर राजनीति हुई थी. फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कांग्रेस नेता और सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा, “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, न हिन्दू आतंकवाद होता है और न मुस्लिम आतंकवाद होता है. हर धर्म प्रेम और सद्भावना सिखाता है”.

इस फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में मशहूर वकील और सांसद उज्जवल निकम ने एनडीटीवी से कहा, "चाहे मालेगांव बम धमाका मामला हो या फिर ट्रेन ब्लास्ट केस जिस भी मामले में कैसे लंबा चलता है तो आरोपी के मन में यह सवाल रहता है कि जब मैं निर्दोष था तो मुझे इतने साल तक जेल में क्यों रखा गया. जिस भी मामले में दो एजेंसियां जांच करती हैं तो उसमें समन्वय को लेकर सवाल उठता है और इसका फायदा आरोपियों को मिलता है. इस मामले में काफी विवाद भी हुआ की क्या जो पकड़े गए थे वह सही आरोपी थे. कर्नल पुरोहित ने यह कहा था कि उन्हें गलत तरीके से इस मामले में फसाया गया है...देखिए, आतंकवाद का कोई धर्म या जाति नहीं होता".

पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया

शिवसेना (उद्धव) सांसद अनिल देसाई मानते हैं कि इस फैसले से पीड़ितों और आरोपियों दोनों को पीड़ा हुई होगी. देसाई ने एनडीटीवी से कहा, "मालेगांव बम धमाका मामले में पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया. जांच एजेंसियां जरूरी सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर सकी जिस वजह से आरोपी बरी हो गए. मुझे लगता है कि अगर जिन आरोपियों के खिलाफ कई साल तक कार्रवाई की गई उन्हें भी पीड़ा हो रही होगी कि जब उनके खिलाफ सबूत नहीं थे तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों हुई".

केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र से सांसद रामदास अठावले कहते हैं, NIA की स्पेशल कोर्ट के फैसले पर महाराष्ट्र सरकार को ये तय करना होगा कि इस पर आगे क्या रणनीति ज़रूरी होगी. अठावले ने एनडीटीवी से कहा, "मालेगांव एक मुस्लिम बहुल इलाका है जहां पर यह ब्लास्ट हुआ था. जिन लोगों पर आरोप लगे थे जांच में उनके खिलाफ सबूत नहीं मिले और इसलिए कोर्ट ने उनको निर्दोष करार दिया। इस मामले में आगे क्या करना यह महाराष्ट्र सरकार तय करेगी".

जबकि बीजेपी के सांसद मानन मिश्रा ने इस फैसले का स्वागत किया. मिश्रा ने एनडीटीवी से कहा, "कोर्ट ने इस मामले में न्याय किया है. आरोपियों के खिलाफ जांच में कोई आरोप साबित नहीं हुआ. कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद शब्द को कॉइन किया था. मैं मांग करता हूं कि कांग्रेस देश से माफी मांगे".

उधर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, "कहीं ऐसा तो नहीं की खबरें दबाने के लिए नई खबरें लाई जा रही है. मैं कोर्ट का फैसला देखा नहीं है. लेकिन जो दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए".

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