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This Article is From Jan 14, 2022

कश्मीर में जारी है कड़ाके की सर्दी, कई इलाकों में न्यूनतम तापमान ज़ीरो डिग्री से नीचे

दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 10.3 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 3.4 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 10.3 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा.

कश्मीर में जारी है कड़ाके की सर्दी, कई इलाकों में न्यूनतम तापमान ज़ीरो डिग्री से नीचे
कश्मीर में भीषण ठंड के कहर के बीच अधिकतर स्थानों पर न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई.
श्रीनगर:

कश्मीर में भीषण ठंड के कहर के बीच अधिकतर स्थानों पर न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई. अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार रात घाटी के अधिकतर इलाकों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई. केवल उत्तर कश्मीर के गुलमर्ग रिजॉर्ट में न्यूनतम तापमान एक दिन पहले के मुकाबले अधिक दर्ज किया गया. वहां, तापमान शून्य से 10.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि एक दिन पहले वहां तापमान 11.0 डिग्री सेल्सियस था. गुलमर्ग में लगातार छह दिन से न्यूनतम तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे या उससे भी कम है.

उन्होंने बताया कि दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में न्यूनतम तापमान शून्य से 10.3 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 3.4 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. काजीगुंड में न्यूनतम तापमान शून्य से 7.8 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा. वहीं, दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में तापमान शून्य से 7.5 डिग्री सेल्सियस नीचे और उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में शून्य से 4.2 सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया.

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मौसम वैज्ञानिकों ने अगले कुछ दिनों में मौसम मुख्य रूप से शुष्क रहने और न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज करने का पूर्वानुमान लगाया है.

कश्मीर में 40 दिन का 'चिल्लई कलां' का दौर 21 दिसंबर से शुरू हो गया. इस दौरान क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ती है और तापमान में भी गिरावट दर्ज की जाती है, जिससे यहां की प्रसिद्ध डल झील के साथ-साथ घाटी के कई हिस्सों में पानी की आपूर्ति लाइन सहित जलाशय जम जाते हैं. इस दौरान अधिकतर इलाकों में बर्फबारी की संभावना भी सबसे अधिक रहती है, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में, भारी हिमपात होता है.

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‘चिल्लई कलां' के 31 जनवरी को खत्म होने के बाद, 20 दिन का ‘चिल्लई-खुर्द' और फिर 10 दिन का ‘चिल्लई बच्चा' का दौर शुरू होता है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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