विज्ञापन
This Article is From May 01, 2023

NDTV-CSDS सर्वे: बेरोजगारी, आरक्षण और भ्रष्टाचार... कर्नाटक के 7 मुद्दे जो तय करेंगे कौन जीतेगा बाजी

कर्नाटक में चुनाव को लेकर NDTV ने लोकनीति-CSDS के साथ मिलकर जो सर्वे किया, उसमें सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बेरोजगारी निकलकर आया. सर्वे में शामिल 28 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा माना है.

NDTV-CSDS सर्वे: बेरोजगारी, आरक्षण और भ्रष्टाचार... कर्नाटक के 7 मुद्दे जो तय करेंगे कौन जीतेगा बाजी
कर्नाटक चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस और जेडीएस बढ़ती महंगाई का मुद्दा उठाती आई है.
नई दिल्ली:

कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections 2023) के लिए वोटिंग होनी है. वैसे तो यह एक राज्य का चुनाव है, लेकिन यह कांग्रेस और बीजेपी दोनों की राष्ट्रीय राजनीति के लिए अहम बन गया है. कर्नाटक राज्य दक्षिण भारत में बीजेपी (BJP) की सबसे बड़ी राजनीतिक प्रयोगशाला मानी जाती है. इस बार की जीत 2024 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2024) में बीजेपी का मनोबल ऊंचा रखेगी. वहीं, कांग्रेस (Congress) राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी विरोधी एक बड़ा मोर्चा बनाने और उसमें अपनी केंद्रीय भूमिका तय करने में जुटी है. 

कर्नाटक चुनाव को लेकर NDTV ने लोकनीति-CSDS के साथ मिलकर एक सर्वे किया है. आइए जानते हैं इस बार किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा कर्नाटक चुनाव:-

1) बेरोजगारी:-कर्नाटक में चुनाव को लेकर NDTV ने लोकनीति-CSDS के साथ मिलकर जो सर्वे किया, उसमें सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बेरोजगारी निकलकर आया. सर्वे में शामिल 28 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा माना है. कांग्रेस ने पहले ही बेरोजगारी मुद्दे पर बड़ा पासा फेंका है. मार्च में कर्नाटक पहुंचे राहुल गांधी ने बेरोजगारी भत्ते को लेकर कई बड़े ऐलान किये थे. इनमें सबसे बड़ी घोषणा युवा निधि योजना थी. राहुल ने ग्रेजुएट्स बेरोजगारों को हर माह 3 हजार रुपये और डिप्लोमा होल्डर को हर महीने 1500 रुपये देने की बात कही थी. 

2) गरीबी:- कर्नाटक में दूसरा चुनावी मुद्दा गरीबी है. लोकनीति-CSDS के सर्वे में 25 फीसदी लोगों ने गरीबी को ऐसा मुद्दा बताया, जो चुनाव को प्रभावित कर सकती है. सर्वे में शामिल 67 फीसदी लोगों का मानना है कि राज्य में महंगाई बढ़ गई है. जबकि 23 फीसदी लोग मानते हैं कि महंगाई पहले जैसे ही है. कांग्रेस ने गरीबी दूर करने के लिए अपने घोषणा-पत्र में कई ऐलान किए हैं. कांग्रेस ने कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो हर घर की महिला मुखिया को 2 हजार रुपये प्रति माह भत्ते के तौर पर दिया जाएंगे. वहीं, बीजेपी ने ऐलान किया है कि प्रदेश के सभी जरूरतमंद लोगों को अन्‍न की कमी नहीं होगी. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी. अच्‍छी स्वास्थ्य सेवाएं दी जाएंगी. बीजेपी ने बीपीएल कार्ड धारकों को तीन फ्री कुकिंग गैस सिलेंडर देने का वादा किया है.

3) भ्रष्टाचार: कर्नाटक में बीजेपी नेताओं को लेकर कांग्रेस ने जोर-शोर से भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है. कांग्रेस ने '40 फीसदी पे-सिएम करप्शन' अभियान की शुरुआत की. लोकनीति-CSDS के सर्वे में शामिल 6 फीसदी लोगों ने भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बताया है. सर्वे में शामिल 51 प्रतिशत लोगों का मानना है कि 5 साल के दौरान भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी हुई है. 35 फीसदी लोग मानते हैं कि भ्रष्टाचार पहले जैसा ही है. 11 फीसदी लोगों के मुताबिक, भ्रष्टाचार कम हुआ है. जबकि सर्वे में शामिल 3 फीसदी लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया.

4) बढ़ती महंगाई:- कर्नाटक चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस और जेडीएस बढ़ती महंगाई का मुद्दा उठाती आई है. लोकनीति-CSDS के सर्वे के मुताबिक, 7 फीसदी लोगों ने बढ़ती महंगाई को चुनावी मुद्दा माना है. सर्वे में शामिल 67 फीसदी लोगों का मानना है कि पांच साल के दौरान महंगाई बढ़ी है, जबकि 23 फीसदी लोगों ने कहा कि महंगाई पहले जैसी ही है. सिर्फ 9 फीसदी लोगों का मानना है कि 5 साल में महंगाई कम हुई है, जबकि एक फीसदी लोगों ने कोई राय नहीं दी. 

5) विकास की कमी:- सर्वे में शामिल 7 फीसदी लोग राज्य के विकास कार्यों से संतुष्ट नहीं हैं. कई लोगों का मानना है कि राज्य सरकार ने बिजली, पानी, सड़क जैसे बुनियादी चीजों पर काम नहीं किया. सर्वे में शामिल अधिकांश लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों और स्कूलों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है.

6) शिक्षा:- लोकनीति-CSDS के सर्वे में शामिल 7 फीसदी लोग शिक्षा को भी एक मुद्दा मानते हैं. हालिया जारी रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक में शिक्षकों के 1 लाख 41 हज़ार 358 पद यानी 57% से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. देश में शिक्षकों के सबसे ज्यादा खाली पद कर्नाटक में हैं. इन खाली पदों में साल दर साल लगातार बढ़ोतरी ही हुई है. 

7) आरक्षण:- कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बन सकता है. राज्य में OBC आरक्षण के तहत 30 साल पहले मुस्लिमों के लिए जो 4 फीसदी कोटे की व्यवस्था की गई थी, उसे बीजेपी सरकार ने खत्म कर दिया है. इसे लेकर राज्य में आक्रोश भी है. सर्वे के मुताबिक, एक तिहाई लोग नए आरक्षण निर्णयों से वाकिफ हैं. सर्वे के मुताबिक, नई कोटा नीति के समर्थक ज्यादातर बीजेपी के पक्ष में हैं, जबकि इसका विरोध करने वाले कांग्रेस का समर्थन करते हैं. सर्वे के मुताबिक, 28 फीसदी लोग लिंगायत के लिए अलग रिजर्वेशन के फैसले का पूरी तरह से समर्थन करते हैं. 45 फीसदी लोग लिंगायत समुदाय के लिए अलग रिजर्वेशन का कुछ हद तक समर्थन करते हैं. 12 फीसदी लोग लिंगायतों के लिए रिजर्वेशन का कुछ हद तक विरोध करते हैं, जबकि 13 फीसदी लोग इस तरह के आरक्षण के पूरी तरह से विरोध में हैं. इसी तरह, वोक्कालिगा के लिए नई आरक्षण नीति के समर्थन में 27 फीसदी लोग हैं. जबकि 13 फीसदी लोग इस तरह के आरक्षण के खिलाफ हैं. 

कैसे हुआ सर्वे?
सर्वे के लिए कर्नाटक के 21 विधानसभा क्षेत्रों के 82 मतदान केंद्रों में कुल 2143 लोगों से बात की गई. दो मतदान केंद्रों में फील्डवर्क पूरा नहीं हो सका. सर्वे के फील्‍ड वर्क का को-ऑर्डिनेशन वीना देवी ने किया और कर्नाटक में नागेश के एल ने इसका मुआयना किया.

विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को 'प्रोबैबलिटी प्रपोर्शनल टू साइज (Probability Proportional to Size)' सैंपल का इस्तेमाल करके रैंडमली तरीके से चुना गया है. इसमें एक यूनिट के चयन की संभावना उसके आकार के समानुपाती होती है. हर निर्वाचन क्षेत्र से 4 मतदान केंद्रों को सिलेक्ट किया गया था. हर मतदान केंद्र सेसे 40 मतदाताओं को रैंडमली सिलेक्ट किया गया था.

ये भी पढ़ें:-

 क्या कर्नाटक में BJP सरकार को मिलेगा अपनी ही 'योजनाओं' का फायदा? : NDTV-CSDS सर्वे से समझें

NDTV-CSDS सर्वे: 'डबल इंजन की सरकार' को लेकर कर्नाटक के लोगों की क्या है राय?
 

कर्नाटक चुनाव में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा नहीं : पढ़ें NDTV ओपिनियन पोल के नतीजे 

NDTV-CSDS सर्वे: कर्नाटक में लिंगायत-वोक्कालिगा के लिए नई आरक्षण नीति से क्या BJP को मिलेगा फायदा?

NDTV-CSDS सर्वे: क्या टीपू सुल्तान विवाद का कर्नाटक चुनाव में दिखेगा असर? 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com