सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मामले में संविधान पीठ ने सुनवाई की. आरक्षण विरोधी याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि आरक्षण का कानून बिना बहस के ही दोनों सदनों से पारित कर दिया गया, यह कितना खतरनाक है.
याचिकाकार्ताओं ने कहा कि अब तो गुर्जर अपने लिए अनुसूचित जाति के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं. क्रीमी लेयर बराबरी के सिद्धांत का मूल है. नागराज के फैसले को तभी आगे भेजा जाए जब उसका मूल कमजोर हो. संतुलन के बगैर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. यह राज्य का दायित्व है कि वह संतुलन बनाए रखे. जहां तक प्रोन्नति में आरक्षण की बात है तो वह पोस्ट के हिसाब से गिना जाएगा कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व है कि नहीं.
यह भी पढ़ें : SC में केन्द्र सरकार ने कहा, क्रीमी लेयर को प्रमोशन के आरक्षण के लाभ से नहीं किया जा सकता वंचित
इंदिरा साहनी मामले में फैसला प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध करता है. बाद में कानून में संशोधन कर इसको लागू किया गया. क्रीमी लेयर का कॉन्सेप्ट बराबरी के लिए है. क्रीमी लेयर ग्रुप की बात नहीं करता. ये किसी एक व्यक्ति की बात करता है. नागराज फैसले की पृष्ठभूमि में पहले समीक्षा की जाए. इसके बाद फैसले के निष्कर्ष के लिए तरीकों को देखा जाए. टुकड़ों में न देखा जाए. नागराज का फैसला कहता है कि कुछ करने से पहले पर्याप्त प्रतिनिधित्व है कि नहीं, ये देखा जाए. अनिश्चितकाल तक आरक्षण नहीं दिया जा सकता.
VIDEO : मराठा आरक्षण पर सियासत
मामले में 29 अगस्त को भी सुनवाई जारी रहेगी. प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की सविधान पीठ सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि क्या SC/ST में क्रीमी लेयर के नियम लागू होते हैं?
केंद्र सरकार ने कहा कि SC/ST में क्रीमी लेयर को लेकर कोई फैसला नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा कि SC/ST में कोई क्रीमी लेयर नहीं होती. 341/342 आर्टिकल के मुताबिक SC/ST में कोई क्रीमी लेयर नहीं है.
याचिकाकार्ताओं ने कहा कि अब तो गुर्जर अपने लिए अनुसूचित जाति के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं. क्रीमी लेयर बराबरी के सिद्धांत का मूल है. नागराज के फैसले को तभी आगे भेजा जाए जब उसका मूल कमजोर हो. संतुलन के बगैर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. यह राज्य का दायित्व है कि वह संतुलन बनाए रखे. जहां तक प्रोन्नति में आरक्षण की बात है तो वह पोस्ट के हिसाब से गिना जाएगा कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व है कि नहीं.
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इंदिरा साहनी मामले में फैसला प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध करता है. बाद में कानून में संशोधन कर इसको लागू किया गया. क्रीमी लेयर का कॉन्सेप्ट बराबरी के लिए है. क्रीमी लेयर ग्रुप की बात नहीं करता. ये किसी एक व्यक्ति की बात करता है. नागराज फैसले की पृष्ठभूमि में पहले समीक्षा की जाए. इसके बाद फैसले के निष्कर्ष के लिए तरीकों को देखा जाए. टुकड़ों में न देखा जाए. नागराज का फैसला कहता है कि कुछ करने से पहले पर्याप्त प्रतिनिधित्व है कि नहीं, ये देखा जाए. अनिश्चितकाल तक आरक्षण नहीं दिया जा सकता.
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मामले में 29 अगस्त को भी सुनवाई जारी रहेगी. प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की सविधान पीठ सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि क्या SC/ST में क्रीमी लेयर के नियम लागू होते हैं?
केंद्र सरकार ने कहा कि SC/ST में क्रीमी लेयर को लेकर कोई फैसला नहीं है. केंद्र सरकार ने कहा कि SC/ST में कोई क्रीमी लेयर नहीं होती. 341/342 आर्टिकल के मुताबिक SC/ST में कोई क्रीमी लेयर नहीं है.
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