भारत ने मुंबई में 2008 में आंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के भीषण हमले में मारे गये लोगों को रविवार को श्रद्धांजलि दी. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि राष्ट्र इस आतंकवादी हमले में हताहत हुए लोगों को पीड़ा के साथ याद करता है . उन्होंने कहा, ‘‘ हम सभी प्रकार के आतंकवाद का डटकर मुकाबला करने का अपना संकल्प दोहरायें.'' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भारत ने आज के दिन सबसे जघन्य हमले का सामना किया था लेकिन अब वह पूरे हौसले के साथ ‘‘आतंकवाद को कुचल'' रहा है.
मुंबई में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 15 साल पहले आज के ही दिन मुंबई पर हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों से लड़ते हुए जान गंवाने वाले शहीदों को रविवार को पुष्पांजलि अर्पित की. बैस और शिंदे ने दक्षिण मुंबई में पुलिस आयुक्त के कार्यालय के परिसर में शहीदों के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की, जहां राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, दीपक केसरकर, शहर के पुलिस प्रमुख विवेक फणसालकर और पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.
पुलिसकर्मियों के परिवार के सदस्यों ने भी 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के दौरान जान गंवाने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी. राज्यपाल ने हमले में जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों के परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की. राष्ट्रीय सुरक्षा गारद, मुंबई पुलिस के कर्मियों और भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी समीर वानखेड़े ने ताज महल पैलेस होटल के सामने ‘गेटवे ऑफ इंडिया' पर आयोजित कैंडल मार्च में हिस्सा लिया. आतंकवादियों ने जिन जगहों पर हमला किया उनमें से एक ताज महल पैलेस होटल भी था.
मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात' में कहा कहा, ‘‘26 नवंबर के दिन को हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं. आज के ही दिन देश पर सबसे जघन्य आतंकी हमला हुआ था. आतंकियों ने मुंबई को, पूरे देश को थर्राकर रख दिया था. लेकिन यह भारत का सामर्थ्य है कि हम उस हमले से उबरे और पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचल भी रहे हैं.''
उन्होंने बाद में भी तेलंगाना में चुनावी रैलियों में मुंबई हमले का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘26/11 का यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि कमजोर और अक्षम सरकारें देश को कितना नुकसान पहुंचा सकती हैं. वर्ष 2014 में आपने कांग्रेस की कमजोर सरकार को हटाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मजबूत सरकार को चुना, जिसके कारण आज देश से आतंकवाद का खात्मा हो रहा है.'' राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देश अपने बहादुर जवानों की याद करते हुए इस हमले में जान गंवाने वालों लोगों के परिवारों एवं प्रियजनों के साथ खड़ा है.
उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘ मैं उन साहसी सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि देती हूं जिन्होंने मातृभूमि की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी. उनके सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए हम सभी प्रकार के आतंकवाद का डटकर मुकाबला करने का संकल्प दोहराएं.'' उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और अन्य नेताओं ने भी इस हमले में हताहत हुए लोगों को याद किया और सुरक्षाकर्मियों की प्रशंसा की.
धनखड़ ने कहा, ‘‘ हम अपने सुरक्षाकर्मियों के साहस को सलाम करते हैं जिन्होंने हमारी रक्षा की खातिर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया. ...'' विदेश मंत्री एस जयंशकर ने कहा कि मुंबई हमले के 15 साल हो गये. उन्होंने कहा , ‘‘जिन लोगों ने यह भयावह हरकत की साजिश रची और उसे अंजाम तक पहुंचाया उन्हें इंसाफ के कठघरे में खड़ा करने की हमारी कोशिश जारी है. '' अमेरिका और इजराइल के दूतों ने भी इस हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का सहयेाग करने का संकल्प व्यक्त किया.
मुंबई में शहीदों की याद में आयोजित मार्च में रोटरी क्लब के सदस्य और मीठीभाई कॉलेज के छात्र भी शामिल हुए. दस पाकिस्तानी आतंकवादी समुद्री मार्ग से 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में घुसे और अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए थे. हमले में करोड़ों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था.
आतंकी हमलों में शहीद हुए सुरक्षा बलों के जवानों में आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विजय सालस्कर शामिल थे. सुरक्षा बलों ने बाद में नौ आतंकवादियों को मार गिराया था. अजमल कसाब एकमात्र आतंकवादी था, जिसे जिंदा पकड़ा गया था. उसे चार साल बाद 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी.
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