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भारत ने पाक को फिर दिखाया बड़ा दिल, तवी नदी पर उफान के बीच बाढ़ के खतरे पर फिर आगाह किया

तवी नदी हिमालय से निकलती है और पाकिस्तान में चिनाब में मिलने से पहले जम्मू संभाग से होकर गुजरती है.

भारत ने पाक को फिर दिखाया बड़ा दिल, तवी नदी पर उफान के बीच बाढ़ के खतरे पर फिर आगाह किया
तवी नदी के जलस्तर में बढ़ने से माधोपुर हेडवर्क्स बैराज का एक हिस्सा बह गया
  • भारत ने तवी नदी में बाढ़ की अत्यधिक आशंका को लेकर पाकिस्तान को मानवीय आधार पर नए अलर्ट जारी किए हैं.
  • उत्तरी राज्यों में लगातार बारिश के कारण प्रमुख बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ना आवश्यक हो गया है.
  • तवी नदी हिमालय से निकलती है और जम्मू संभाग से होकर पाकिस्तान में चिनाब नदी में मिलती है.
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भारत ने तवी नदी में बाढ़ की ‘‘अत्यधिक आशंका'' को लेकर पाकिस्तान को नए अलर्ट जारी किए हैं. उत्तरी राज्यों में लगातार बारिश के कारण भारत को प्रमुख बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ना पड़ रहा है. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी.

सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्रालय के माध्यम से इस्लामाबाद भेजे गए ये अलर्ट ‘‘मानवीय आधार'' पर जारी किए गए हैं. पहला अलर्ट सोमवार को जारी किया गया था.

एक सूत्र ने बताया, ‘‘हमने कल (मंगलवार) और आज (बुधवार) तवी नदी में बाढ़ की उच्च आशंका के मद्देनजर एक और अलर्ट जारी किया. भारतीय क्षेत्रों में हो रही अत्यधिक बारिश के कारण कुछ बांधों के फाटक खोलने पड़े.''

तवी नदी हिमालय से निकलती है और पाकिस्तान में चिनाब नदी में मिलने से पहले जम्मू संभाग से होकर गुजरती है.

भारत ने सिंधु जल संधि को किया है स्थगित

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 26 लोगों की हत्या करने के बाद भारत ने सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान के साथ जल विज्ञान संबंधी आंकड़ों के नियमित आदान-प्रदान को स्थगित कर दिया था. पहलगाम हमले में मारे गए अधिकतर लोग पर्यटक थे.

सूत्रों ने बताया कि इस रोक के बावजूद सीमा पार जान-माल के नुकसान से बचने के लिए बाढ़ की ताजा चेतावनी जारी की गई है. पंजाब में सतलुज, व्यास और रावी नदियां और बरसाती छोटी नदियां अपने जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण उफान पर हैं.

जम्मू में भी लगातार बारिश से बाढ़ आ गई है, जिससे नदियां उफान पर हैं.

सूत्रों के अनुसार, जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ने के कारण अधिकारियों के पास प्रमुख जलाशयों के फाटक खोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.

विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि लंबे समय से भारत और पाकिस्तान के बीच नदी जल के बंटवारे को नियंत्रित करती रही है.

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