- इंडोनेशिया में नए साल का जश्न नहीं मनाने और आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया गया है
- सुमात्रा द्वीप पर हालिया बाढ़ और भूस्खलन में 1100 से अधिक लोग मारे गए और लाखों विस्थापित हुए हैं
- केंद्र सरकार ने क्षेत्रीय सरकारों के आतिशबाजी प्रतिबंध को समर्थन देते हुए पीड़ितों के प्रति सहानुभूति जताई है
इस बार दुनिया में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश यानी इंडोनेशिया में नए साल का जश्न नहीं मनाया जाएगा. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है. इंडोनेशिया के कई राज्यों ने इस साल नए साल के मौके पर आतिशबाजी नहीं करने की योजना बनाई है और अब राष्ट्रपति कार्याकल के अधिकारी ने भी कहा है कि इंडोनेशिया की केंद्र सरकार इस योजना का समर्थन करेगी. अब आपके दिल में यह ख्याल आ रहा होगा कि आखिर किसी देश की सरकार ऐसा फैसला क्यों ले रही है. चलिए आपको इस आर्टिकल में बताते हैं.
दरअसल इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर हाल ही में भयंकर बाढ़ आई थी. बाढ़ और भूस्खलन से 1,100 से अधिक लोग मारे गए हैं, जबकि लगभग 400,000 लोग अभी भी विस्थापित हैं. अब बाढ़ के पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखाते हुए नए साल का जश्न नहीं मानने, पटाखे नहीं फोड़ने का फैसला किया गया है. इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता और लोकप्रिय पर्यटक द्वीप बाली सहित कई सरकारों और पुलिस बलों ने कहा है कि वे सुमात्रा में पीड़ितों के सम्मान में आतिशबाजी करने की अनुमति नहीं देंगे.
अब केंद्र सरकार ने लिया फैसला
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्राबोवो सुबिआंतो के कार्यालय के प्रवक्ता प्रासेत्यो हादी ने मीडिया से बात की. उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि यह सही है कि क्षेत्रीय सरकारों को आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए या लोगों से जश्न के दौरान आतिशबाजी न करने का आग्रह करना चाहिए. उन्होंने कहा, "यह सही है क्योंकि हमें एक देश के रूप में सहानुभूति और एकजुटता दिखानी होगी... कि कुछ लोग ऐसे हैं जो आपदा से पीड़ित हैं."
- इंडोनेशिया की सरकारी न्यूज एजेंसी अंतरा ने शनिवार को बताया कि बाली की राजधानी देनपसार में पुलिस ने नए साल की आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया है.
- जकार्ता के गवर्नर ने भी पिछले हफ्ते कहा था कि शहर में कोई आतिशबाजी का प्रदर्शन नहीं होगा. उन्होंने निवासियों से किसी भी तरह की आतिशबाजी न करने का आग्रह किया था.
इंडोनेशियाई अधिकारियों ने बाढ़ से प्रभावित सुमात्रा के क्षेत्रों में पुल और आवास बनाए हैं, जिनमें उत्तरी सुमात्रा, पश्चिम सुमात्रा और आचे प्रांत शामिल हैं. सुमात्रा को फिर से खड़ा करने में कम से कम $3.11 बिलियन की लागत आने की उम्मीद है. देश के मानव विकास समन्वय मंत्री प्रतिकनो ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुमात्रा द्वीप पर कई क्षेत्र में इमरजेंसी लगाया गया है. वहीं गृह मामलों के मंत्री टीटो कार्नावियन ने उसी ब्रीफिंग के दौरान कहा कि तीन प्रांतों के 20 से अधिक गांव बाढ़ में बह जाने के बाद "गायब" हो गए हैं.
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