नई दिल्ली:
व्यापमं घोटाले से जुड़े 200 छात्रों की याचिका और यूपी में अहम फाइलों पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर के मामले सहित सुप्रीम कोर्ट में इन अहम मामलों पर गुरुवार को सुनवाई होगी।
व्यापमं घोटाले से जुड़े 200 छात्रों की याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट व्यापमं घोटाले से जुड़े 200 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करेगा। दरअसल व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 12 मई को अहम फैसला सुनाया था। दो जजों की बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए। फैसले सामूहिक नकल मे जुड़े 634 छात्रों के संबंध में थे।
सुनवाई कर रहे जस्टिस जे चेलमेश्वर ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा था कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा। पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी। इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जाएगा। वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए छात्रों की अपील को खारिज कर दिया था।
मध्य प्रदेश के व्यापम मे सामूहिक नकल की बात सामने आने पर वर्ष 2008 से 2012 के छात्रों के बैच का एडमिशन रद्द कर दिया गया था। इसके बाद सभी छात्रों ने कोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की थी।
यूपी : फाइलों पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर का मामला
सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करेगा। दरअसल नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि मुख्यमंत्री कार्यालय जाने वाली हर फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर होना जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं होता ज्यादातर फाइलों में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव या सचिव के हस्ताक्षर होते हैं। हाईकोर्ट ने यह मामला बड़ी पीठ को विचार के लिए भेज दिया था, जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट आई है। कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई में ही हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
सीमा पर सामानों पर लगने वाले एंट्री टैक्स का मामले
सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ राज्यों द्वारा सीमा पर सामान पर लगने वाले एंट्री टैक्स मामले की सुनवाई करेगी। दरअसल कई राज्यों में ये टैक्स लगाया गया है और कई व्यापारियों ने इस टैक्स को गैरकानूनी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि राज्यों ने जो एंट्री टैक्स लगाया है, वो संविधान के दिए मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
व्यापमं घोटाले से जुड़े 200 छात्रों की याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट व्यापमं घोटाले से जुड़े 200 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करेगा। दरअसल व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 12 मई को अहम फैसला सुनाया था। दो जजों की बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए। फैसले सामूहिक नकल मे जुड़े 634 छात्रों के संबंध में थे।
सुनवाई कर रहे जस्टिस जे चेलमेश्वर ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा था कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा। पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी। इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जाएगा। वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए छात्रों की अपील को खारिज कर दिया था।
मध्य प्रदेश के व्यापम मे सामूहिक नकल की बात सामने आने पर वर्ष 2008 से 2012 के छात्रों के बैच का एडमिशन रद्द कर दिया गया था। इसके बाद सभी छात्रों ने कोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की थी।
यूपी : फाइलों पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर का मामला
सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करेगा। दरअसल नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि मुख्यमंत्री कार्यालय जाने वाली हर फाइल पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर होना जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं होता ज्यादातर फाइलों में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव या सचिव के हस्ताक्षर होते हैं। हाईकोर्ट ने यह मामला बड़ी पीठ को विचार के लिए भेज दिया था, जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट आई है। कोर्ट ने शुरुआती सुनवाई में ही हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी।
सीमा पर सामानों पर लगने वाले एंट्री टैक्स का मामले
सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ राज्यों द्वारा सीमा पर सामान पर लगने वाले एंट्री टैक्स मामले की सुनवाई करेगी। दरअसल कई राज्यों में ये टैक्स लगाया गया है और कई व्यापारियों ने इस टैक्स को गैरकानूनी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि राज्यों ने जो एंट्री टैक्स लगाया है, वो संविधान के दिए मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
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