आईआईटी के छात्रों की खुदकुशी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इन घटनाओं के बीच आईआईटी दिल्ली ने कुछ नए कदम उठाए हैं, जिससे छात्रों का तनाव कम किया जा सके. इसके लिए सिर्फ क्लास रूम तक नहीं, फैकल्टी क्लास रूम से बाहर भी छात्रों को वक्त दे रहे हैं. उनकी उलझनों और परेशानियों को दूर कर रहे हैं.
आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर प्रोफेसर रंगन बैनर्जी ने इस पहले के बार में खास बात की. उन्होंने विस्तार से बताया कि आखिर आईआईटी के छात्रों का तनाव कम करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं इस बारे में...
प्रोफेसर रंगन बैनर्जी ने कहा कि आईआईटी छात्रों का तनाव कम करने के लिए हम मेंटल वेलनेस और काउंसलिंग पर हम ज़ोर दे रहे हैं. इसके लिए हमने काउंसलर्स की संख्या भी बढ़ाई है.
इसके अलावा सीनियर स्टूडेंट्स भी छात्राओं के साथ संवाद कर रहे हैं. इस दौरान स्टूडेंट्स से फीडबैक लेने के बाद हमने सेमेस्टर के दौरान पहले होने वाले दो माइनर एग्जाम को अब एक कर दिया है. एक्जाम की संख्या घटाई है.
वहीं, फैकल्टी और स्टूडेंट्स के बीच होने वाले संवाद को बढ़ाया है. इसके तहत फैकल्टी हॉस्टल में जाकर स्टूडेंट्स के साथ डिनर करते हैं. फर्स्ट ईयर में हमारी कोशिश इस बात को लेकर ज़्यादा होती है कि पैरेंट्स से भी बच्चों को बातचीत होती रही. जब जरूरत अब भी पड़ती है तो हमारे काउंसलर और फैकल्टी एडवाइजर पैरेंट्स को इन्वॉल्व करते हैं.
यहां स्टूडेंट को समझने और सपोर्ट करने के प्रयास लगातार हो रहे हैं. साइकियाट्रिक सर्विसेज को 24 घंटे करने की हमारी कोशिश है. फिलहाल कैंपस में 12 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं. जिनको जरूरत लगती है वो संपर्क करते हैं. कई स्टूडेंट्स आगे नहीं आते, तो उनको आइडेंटिफाई करते हैं.
हेल्पलाइन | |
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वंद्रेवाला फाउंडेशन फॉर मेंटल हेल्थ | 9999666555 या help@vandrevalafoundation.com |
TISS iCall | 022-25521111 (सोमवार से शनिवार तक उपलब्ध - सुबह 8:00 बजे से रात 10:00 बजे तक) |
(अगर आपको सहारे की ज़रूरत है या आप किसी ऐसे शख्स को जानते हैं, जिसे मदद की दरकार है, तो कृपया अपने नज़दीकी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास जाएं) |
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