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कार में ले गए, नशा देकर घंटों तक किया गैंगरेप, फिर मारा पीटा, पीड़िता के दोनों सहकर्मी चढ़े पुलिस के हत्थे

हैदराबाद में गैंगरेप (Hyderabad Gangrape) की घटना सामने आने के बाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए आरोपियों को ढूंढ निकाला. भरोसा किस पर किया जाए और किस पर नहीं, ये सवाल खड़ा होने लगा है.

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कार में ले गए, नशा देकर घंटों तक किया गैंगरेप, फिर मारा पीटा, पीड़िता के दोनों सहकर्मी चढ़े पुलिस के हत्थे
हैदराबाद में गैंगरेप के आरोपी गिरफ्तार.
नई दिल्ली:

हैदराबाद से दिल दहलादेने वाली खबर सामने आई है. एक फेमस रियल एस्टेट फर्म के दो सेल्स एग्जिक्यूटिव ऑफिसर्स ने अपनी महिला साथी को नशीला पदार्थ खिलाकर गैंगरेप (Gang Rape) किया. ये घटना 30 जून की रात की है. दोनों अधिकारी अपनी महिला सहकर्मी को पहले तो अपने साथ कार में ले गए और फिर न सिर्फ उसे नशीला पदार्थ खिलाकर गैंगरेप किया बल्कि घंटों तक उसके साथ मारपीट भी की. दोनों आरोपियों को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया गया.

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान 39 साल के सांगा रेड्डी और 25 साल के जनार्दन रेड्डी के रूप में हुई है. दोनों को बुधवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. पुलिस के मुताबिक, दोनों आरोपियों ने गैंरेप और मारपीट के बाद लड़की को मियापुर में निजी हॉस्टल के बाहर छोड़ दिया था. 

ये भी पढ़ें-क्या है Zero FIR, नए कानूनों के तहत दर्ज करवाने का नियम और इसके फायदे भी जानें

पहले जीरो FIR, फिर आरोपी गिरफ्तार

पीड़ित लड़की ने शुरुआत में इस घटना के बाद उप्पल पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज करवाई थी. बाद में इस मामले को मियापुर पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया, क्यों कि ये अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में ही हुआ था. मियापुर के थाना प्रभारी वी दुर्गा राम लिंग प्रसाद ने बताया कि आरोपियों पर IPC की धारा 376 (रेप), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 509 (महिला की गरिमा का अपमान करना) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने बताया कि रेप पीड़िता को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया है. 

इन धाराओं के तहत आरोपियों पर केस दर्ज

बता दें कि देश में अब तीन नए कानून लागू हो चुके हैं और आईपीसी को खत्म कर दिया गया है. इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह अब अब भारतीय न्याय संहिता (BNS)ने ले ली है. लेकिन हैदराबाद में हुई घटना कानून लागू होने से पहले की है, इसीलिए आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धाराएं लगाई गई हैं.

क्या साथ काम करने वालों पर भी भरोसा न करें?

हालांकि ये घटना सोचने समझने पर मजबूर कर देने वाली है. इस घटना के बाद ये सवाल खड़ा हो गया है कि क्या साथ काम करने वाले साथियों पर भी भरोसा न किया जाए. आमतौर पर जब लोग दफ्तर में साथ काम करते हैं तो उनके बीच दोस्ती का रिश्ता कायम हो जाता है. दफ्तर में सब एक परिवार जैसे होते हैं लेकिन इस घटना के बाद  इस विश्वास पर भी सवाल खड़ा हो गया है. अपनी ही महिला साथी के साथ इस तरह की घटना सवाल खड़े रह देने वाली है. 

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