छत्तीसगढ़ के बस्तर में स्थित अबूझमाड़ के घने और अज्ञात जंगलों को अक्सर 'अज्ञात पहाड़ियां' कहा जाता है. लंबे समय से ये रहस्यमयी और अज्ञात पहाड़ियां माओवादियों का गढ़ रही है. यहां पहुंचना सुरक्षा बलों के लिए काफी हद तक दुर्गम है. लेकिन शुक्रवार को यही अबूझमाड़ के घने जंगल हाल के इतिहास में सबसे बड़े एनकाउंटर की जगह बन गया. बीती शाम सुरक्षाबलों ने एनकाउंटर में 31 नक्सलियों को मार गिराया है. ये ऑपरेशन इस क्षेत्र में वामपंथी उग्रवाद के लिए एक बड़ा झटका है.
मारे गए नक्सलियों में मोस्ट वॉन्टेड माओवादी कमांडर कमलेश उर्फ आरके और समूह की प्रवक्ता नीति उर्फ उर्मिला भी शामिल हैं. दोनों दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) का प्रमुख चेहरा भी थे. कमलेश पांच राज्यों में वॉन्टेड था. उर्मिला माओवादी प्रोपगैंडा मशीनरी में अहम भूमिका निभा रही थी.
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कैसे शुरू हुई मुठभेड़?
सुरक्षाबलों को मुखबिर से सूचना मिली थी कि नक्सली अबूझमाड़ में किसी बड़े हमले की फिराक में हैं. मुखबिर ने इंद्रावती एरिया कमेटी और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी कंपनी नंबर 6 के प्रमुख लोगों समेत कम से कम 50 माओवादियों की मौजूदगी की सूचना दी थी. इसके बाद सुरक्षाबलों ने इनपुट के आधार पर ऑपरेशन की प्लानिंग बनाई. खुफिया जानकारी के आधार पर पहले ओरछा-बारसूर पुलिस स्टेशन की सीमा में थुलथुली और नेंदुर गांवों के बीच घने जंगल क्षेत्रों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया.
जिला रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)ने मिलकर एक ज्वॉइंट ऑपरेशन शुरू किया. दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले को गुरुवार की सुबह ऑपरेशन लीड करने की जिम्मेदारी दी गई. जवानों ने भारी बारिश के बीच करीब 3 से 4 पहाड़, नदी-नाले पार किए और थुलथुली-नेंदुर गांव के जंगल में पहुंचे. सुरक्षाबलों के जवानों ने जंगल में 25 किलोमीटर अंदर तक ट्रैकिंग की. फिर एक पिंसर मूवमेंट (दोनों साइड से अटैक करना) शुरू किया, जिससे माओवादी हैरान रह गए. उन्हें बचने का मौका नहीं मिला. अतिरिक्त 10 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सुरक्षाबलों ने घंटों तक गोलीबारी भी जारी रखी.
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रिपोर्ट के मुताबिक, माओवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान DRG के एक जवान रामचन्द्र यादव घायल हो गए थे. लेकिन, गोलीबारी के बीच सुरक्षाबलों ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया. फिलहाल उनका इलाज चल रहा है. उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है. सुरक्षाबलों के जवान किसी भी जीवित माओवादी को पकड़ने के लिए आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं.
6 महीने में 3 कामयाबी
इस मुठभेड़ को बस्तर क्षेत्र में वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने के लिए चल रहे प्रयासों में एक बड़ी कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है. अप्रैल में कांकेर ऑपरेशन के बाद यह माओवादियों के लिए सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है.
इसके 4 महीने बाद 29 अगस्त को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में नारायणपुर और कांकेर सीमा पर एक बड़ी मुठभेड़ हुई. ऑपरेशन में तीन वर्दीधारी महिला माओवादी मारी गईं. उनकी पहचान उत्तर बस्तर डिवीजन कमेटी और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी कंपनी नंबर 5 के सदस्यों के रूप में की गई थी.
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अधिकारियों ने कहा कि इस साल छत्तीसगढ़ में मुठभेड़ों में अब तक 180 से अधिक माओवादी मारे गए हैं. ये राज्य में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में सबसे सफल चरणों में से एक है. अकेले मॉनसून सीज़न के दौरान बस्तर में 212 से अधिक माओवादियों को गिरफ्तार किया गया है. जबकि 201 ने सरेंडर किया है.
2026 तक बस्तर से माओवादियों के खात्मे का वादा
छत्तीसगढ़ में माओवाद विरोधी अभियानों को व्यापक राष्ट्रीय रणनीति से जोड़ा गया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की 23 से 25 अगस्त तक राज्य की यात्रा के बाद नक्सलवादी समूह के खिलाफ प्रयासों कमजोर करने के लिए कई रणनीति बनाई गई है. अमित शाह ने दावा किया था कि 2026 तक बस्तर से माओवादियों का खात्मा कर दिया जाएगा. बस्तर नक्सलवाद की समस्या से आजाद हो जाएगा.
गृहमंत्री ने साफ किया कि वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ सरकार का रुख कड़ा रहेगा. उन्होंने कहा कि माओवादी या तो आत्मसमर्पण कर सकते हैं और मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं. या सुरक्षा अभियानों की पूरी ताकत का सामना कर सकते हैं.
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