केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को यहां कहा कि सरकार बुनियादी ढांचे में बदलाव किए बिना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पुलिस प्रणाली को आधुनिक बनाने की 'बड़ी चुनौती' पर काम कर रही है. नेशनल फोरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) में 'बिहेवियरल फोरेंसिक' पर एक सेमिनार में शाह ने कहा कि चूंकि प्रौद्योगिकी तेजी से बदल रही है, इसलिए पुलिस को अपराधियों से 'दो पीढ़ी' आगे रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम - के तहत सभी प्रणालियां लागू होने के बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली अगले पांच वर्षों में दुनिया में सबसे उन्नत होगी.
शाह ने कहा, ‘‘जब तक हम फोरेंसिक विज्ञान को न्यायिक प्रक्रिया के सभी हितधारकों के साथ एकीकृत नहीं करते, हमें लाभ नहीं होगा. फोरेंसिक विज्ञान का उपयोग जांच, अभियोजन और न्याय के लिए किया जाना चाहिए. अब शिक्षा में फोरेंसिक विज्ञान को अपनाकर एक कदम आगे बढ़ने का समय आ गया है.'' केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा, ‘‘ऐसे में जब हम एक मजबूत आधार के साथ आजादी के 100 साल के सफर की ओर बढ़ रहे हैं, तो मैं अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में चार चुनौतियां देख सकता हूं. बुनियादी ढांचे को बदले बिना पूरी पुलिस प्रणाली में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके इसे एक आधुनिक पुलिस प्रणाली बनाना हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है.''
उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नयी प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न ‘हाइब्रिड' और बहुआयामी खतरे भी एक चुनौती पैदा करते हैं और हमारी प्रणाली की सुरक्षा के लिए एक नेटवर्क की पहचान करने और उसे बनाने की आवश्यकता है. शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने 9,000 से अधिक वैज्ञानिक अधिकारियों और फोरेंसिक विज्ञान अधिकारियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कदम उठाए हैं, जिनकी देश को हर साल भर्ती करने की आवश्यकता होगी.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने तीन चुनौतियों पर काम किया है - एनएफएसयू के माध्यम से मानव संसाधन का निर्माण, एक तकनीकी डेटाबेस का निर्माण, डेटा एकीकरण को पूरा करना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके सॉफ्टवेयर का निर्माण और उन्हें कानूनी रूप देना .'' शाह ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली, प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक जांच को एकीकृत करना एक और बड़ी चुनौती है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं (फोरेंसिक विज्ञान के) छात्रों से अनुरोध करूंगा कि वे तीन कानूनों का सूक्ष्मता से अध्ययन करें. हमने जांच, अभियोजन और न्यायिक प्रणाली में कानूनी आधार पर फोरेंसिक विज्ञान को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया है और करियर के दृष्टिकोण से एक बहुत बड़ा क्षेत्र उभर कर सामने आने वाला है.'' मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे अपराधों के रूप और तरीके बदलते हैं, पुलिस को अपराधियों से आगे रहने की जरूरत है.
शाह ने कहा, ‘‘संभवतः (स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व केंद्रीय मंत्री) के एम मुंशी ने एक बार कहा था कि पुलिस को अपराधियों से दो कदम आगे रहना चाहिए. मैं कहना चाहूंगा कि पुलिस को अपराध और अपराधियों से दो पीढ़ी आगे रहने की जरूरत है. प्रौद्योगिकी की पीढ़ी, मानव पीढ़ी से कहीं अधिक तेज है. यदि हमारी प्रणाली अपराध से दो पीढ़ी आगे रहेगी, तो ही हम अपराध को रोकने में सफल होंगे.'' उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी की नीति और नियमों में एकरूपता लाने के भी प्रयास किये जाने चाहिए. शाह ने कहा कि न्याय को उपलब्ध, सुलभ और किफायती बनाने के लिए प्रौद्योगिकी ही उत्तर है और नए कानून इसी को ध्यान में रखते हुए पेश किए गए हैं.
उन्होंने कहा कि व्यवहार विज्ञान अपराध को रोकने में उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जितनी मजबूत प्रशासन और अच्छी न्याय प्रणाली. उन्होंने कहा कि यदि अपराध के लिए निर्धारित सजा सात साल से अधिक है, तो नए आपराधिक कानून फोरेंसिक अधिकारियों द्वारा अपराध स्थल का दौरा अनिवार्य बनाते हैं और यह प्रावधान जांच, अभियोजन के साथ-साथ न्याय प्रदान करने और सजा दर बढ़ाने में मदद करने के लिए है.
उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, गुजरात फोरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी को नेशनल फोरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी में बदलने और नए आपराधिक कानूनों को पारित करने को नरेन्द्र मोदी सरकार की उपलब्धियों में से एक बताते हुए कहा कि इन्हें अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता. उन्होंने कहा, 'हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र बन गए हैं और इसकी नींव पाताल से भी ज्यादा गहरी है. हमने खून की एक बूंद बहाए बिना सत्ता का हस्तांतरण देखा है और लोकतंत्र में लोगों के विश्वास पर सवाल नहीं उठाया जा सकता.'
शाह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले पांच वर्षों में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके एक विशाल डेटाबेस बनाने पर कड़ी मेहनत की है. उन्होंने कहा कि आठ करोड़ से अधिक ई-प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और पहाड़ी क्षेत्रों के सात पुलिस थानों को छोड़कर देश के सभी पुलिस थानों को प्रौद्योगिकी के माध्यम से जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि शेष पुलिस थानों को जोड़ने के लिए एक समाधान पर काम किया जा रहा है. शाह ने कहा कि 15 करोड़ से अधिक अभियोजन मामलों का डेटा हर भारतीय भाषा में ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है, ई-जेल प्रणाली का उपयोग करके दो करोड़ कैदियों का डेटाबेस संकलित किया गया है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी प्रकार के डेटा का विश्लेषण विकसित करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करके एक सॉफ्टवेयर विकसित कर रहे हैं. मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं और मैंने संसद में भी कहा है कि पूरी व्यवस्था इन तीन (नए आपराधिक) कानूनों पर चलेगी.'' गृहमंत्री ने कहा कि एनएफएसयू के अब तक नौ परिसर स्थापित किए जा चुके हैं और नौ अन्य प्रक्रिया में हैं. उन्होंने कहा कि युगांडा में भी एक परिसर खोला गया है.
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