केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन दिनों मणिपुर (Manipur Violence) के दौरे पर हैं. वह यहां पिछले एक महीने से जारी हिंसा को लेकर समीक्षा कर रहे हैं. अमित शाह (Amit Shah Manipur Visit) इंफाल में मणिपुर के हालात पर सर्वदलीय बैठक के अलावा, मणिपुर पुलिस, सीआरपीएफ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की. साथ ही भारत म्यांमार सीमा पर मोरेह और कंगपोकपी इलाकों का दौरा किया. शाह की तीन दिनों की यह यात्रा राज्य में शांति बहाली और विश्वास पैदा करने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
शांति बहाली के लिए इन पर बनी सहमति:-
- कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा.
- प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में तेजी लाई जाएगी.
- मृतकों के परिवारों को 10 लाख मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी.
-चिन-कुकी-मिजो समुदाय को 15 दिनों में राजनीतिक समाधान का आश्वासन.
-अफवाह दूर करने के लिए बीएसएनएल की टेलीफोन लाइन को फिर शुरू होगी.
मोरेह कस्बे हिंसा का असर ज्यादा
बुधवार की इस यात्रा में अमित शाह मोरेह कस्बे में गए, जहां राज्य की मौजूदा अशांति का असर पड़ा है. इस यात्रा में शाह ने कुकी नागरिक समूह के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. केंद्रीय मंत्री ने मौजूदा हालात के बारे में उनका पक्ष समझा. जब शाह यहां पहुंचे, तब दोनों जगहों पर उनसे मिलने के लिए हजारों लोग निकल आए.
व्यापार के सबसे पुराने केंद्रों में एक है मोरेह
मोरेह इंफाल से 110 किलोमीटर दूर है. म्यांमार सीमा पर स्थित यह कस्बा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सबसे पुराने केंद्रों में से एक है. सीमा की दूसरी ओर तामू शहर है. भारत म्यांमार सीमा पर बना मित्र सेतु दोनों देशों को जोड़ता है. यहां भारत के विभिन्न राज्यों से आए कई समुदायों के लोग रहते हैं. मैतेई और कुकी समुदाय के लोग भी यहां दशकों से साथ रहते आए हैं.
हजारों लोग ने मोरेह से किया विस्थापन
हालांकि, 3 मई से शुरू हुई हिंसा के बाद से सभी समुदायों के हजारों लोग मोरेह छोड़ चुके हैं. उन्होंने आसपास के इलाकों में शरण ले ली थी. यह हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में से एक है. अपनी यात्रा के दौरान अमित शाह ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और शांति वार्ताओं में भी हिस्सा लिया.
कंगपोकपी दौरे पर भी गए शाह
इसी तरह बुधवार को उनकी यात्रा का एक प्रमुख पड़ाव कंगपोकपी जिला भी रहा. इस जिले में कुकी समुदाय काफी संख्या में है लेकिन यहां कई मैतई गांव भी हैं. यह वह जिला उन इलाकों में है, जहां मौजूदा संघर्ष का बहुत खराब असर पड़ा. यहां कई धार्मिक इमारतों और दोनों समुदायों की इमारतों को निशाना बनाया गया.
सुरक्षा हालात की समीक्षा की
बुधवार शाम को इंफाल वापस पहुंचने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने एक बार फिर सुरक्षा हालात की समीक्षा की. ग्राउंड जीरो पर गृह मंत्रालय और सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गृह मंत्री शाह की यह मौजूदगी शांति प्रयासों के उनके इरादों के बारे में काफी कुछ बता रही है.
राज्य के हालात पर उच्चस्तरीय बैठक भी की
बता दें कि अमित शाह सोमवार रात को इंफाल पहुंचे थे. इंफाल पहुंचते ही उन्होंने राज्य के हालात पर उच्चस्तरीय बैठक की. वे मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से भी मिले थे. मंगलवार भी उनका व्यस्त कार्यक्रम रहा. उन्होंने मैतई समुदाय की महिलाओं से चर्चा की. इसके बाद शाह ने राज्य की सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन के साथ बैठक की. फिर इंफाल में ही उनकी मुलाकात मैतेई समुदाय के प्रमुख व्यक्तियों से हुई
सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात
इसके बाद अमित शाह चूड़ाचांदपुर पहुंचे. वहां उनकी कुकी समुदाय के व्यक्तियों से चर्चा हुई. चूड़ाचांदपुर में ही शाह ने सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की. चुराचांदपुर का दौरा समाप्त कर गृहमंत्री शाह दोपहर बाद इंफाल वापस आए. शांति बहाली के प्रयासों के सिलसिले में इंफाल में शाह की विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक हुई.
10-10 लाख रुपये की सहायता राशि का ऐलान
29 मई को मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचते ही अमित शाह ने सबसे पहले मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मीटिंग की. शाह ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है. उन्होंने राज्य में राशन और तेल जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई को बेहतर करने के निर्देश दिए हैं. इस बैठक में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ तपन डेका मौजूद थे.
अब तक 80 लोगों की जान गई
मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है. राजधानी इंफाल से लगे सेरौ और सुगनू इलाके में रविवार को हिंसक झड़प हुई थी. इसमें 1 पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल हुए हैं. राज्य में हिंसा के चलते अब तक करीब 80 लोगों की जान गई है.
सेना ने 2,000 ग्रामीणों को सुरक्षित निकाला
मणिपुर में ताजा हिंसा के बाद सेना और असम राइफल्स ने 28 मई को एक बड़ा रेस्क्यू अभियान चलाया. इस दौरान कुकी जनजाति और मेइती समुदाय के ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद की.
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