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शिमला: कोर्ट ने अवैध मस्जिद की 3 मंजिल ढहाने के दिए आदेश, कमेटी अपने खर्च पर करेगी सारा इंतजाम

संजौली की मस्जिद कमेटी ने बीते 12 सितंबर को को एक अर्जी नगर निगम आयुक्त को दी थी. इसमें टॉप की 3 मंजिलों को गिराने का प्रस्ताव रखा था. इसी अंडरटेकिंग के आधार पर MC आयुक्त भूपेंद्र अत्रि ने फाइनल ऑर्डर से पहले अंतरिम आदेश जारी किए.

शिमला: कोर्ट ने अवैध मस्जिद की 3 मंजिल ढहाने के दिए आदेश, कमेटी अपने खर्च पर करेगी सारा इंतजाम
मस्जिद के अवैध हिस्से को लेकर स्थानीय लोगों और पुलिस की झड़प भी हुई थी.
शिमला:

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली में अवैध मस्जिद मामले में शनिवार को नगर निगम (MC) आयुक्त ​​​​​​ने अवैध रूप से बनाई गईं 3 मंजिल गिराने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को अपने खर्चे पर अवैध हिस्से को गिराने को कहा है. शनिवार की सुनवाई में कोर्ट ने संजौली मस्जिद के आसपास रह रहे लोकल रेजिडेंट की इस केस में पार्टी बनने की अर्जी को खारिज कर दिया है. इससे पहले अदालत में लोकल रेजिडेंट को पार्टी बनाने की अर्जी को लेकर सवा घंटे बहस हुई थी. इस मामले में अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होगी.

इस मामले में संजौली की मस्जिद कमेटी ने बीते 12 सितंबर को को एक अर्जी नगर निगम आयुक्त को दी थी. इसमें टॉप की 3 मंजिलों को गिराने का प्रस्ताव रखा था. इसी अंडरटेकिंग के आधार पर MC आयुक्त भूपेंद्र अत्रि ने फाइनल ऑर्डर से पहले अंतरिम आदेश जारी किए. 

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क्या है विवाद?
दरअसल,  संजौली में आजादी से पहले सिर्फ 2 मंजिला मस्जिद थी. साल 2010 में यहां अवैध मस्जिद का निर्माण शुरू किया गया. 2010 में ही नगर निगम के ध्यान में मामला आया. निगम की तरफ से 2010 से 2020 तक अवैध निर्माण रोकने को 35 बार नोटिस दिया गया. तब तक मस्जिद कमेटी ने दो मंजिल की जगह 5 मंजिला मस्जिद बना दी. इसी केस में आज 46वीं बार सुनवाई हुई. अब मस्जिद के 3 फ्लोर गिराने का आदेश आया है.

स्थानीय लोगों के वकीलों ने दी ये दलीलें
स्थानीय लोगों के पक्ष के वकील ने मस्ज़िद को तोड़ने की मांग उठाई थी. वकील के मुताबिक, 2011 में नगर निगम ने मस्जिद कमेटी को पहला नोटिस दिया. 2018 तक पांच मंजिला बिल्डिंग कैसे बना दी गई. इसका कोई रिकॉर्ड नगर निगम को क्यों नहीं दिया गया.

वक्फ बोर्ड के पास संजौली में अवैध मस्जिद की जमीन को छोड़कर 156 बीघा जमीन हैं. संजौली के स्थानीय निवासी इसमें पार्टी है. जिसमें आरती गुप्ता का नाम मुख्य है. वकील ने मांग उठाई  कि भले ही हमें पार्टी न बनाएं लेकिन मस्जिद तोड़ दी जाए.

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कमिश्नर ने पूछा कि आप पार्टी कैसे हुए ये बताएं. इसके बाद कोर्ट ने स्थानीय निवासियों को पार्टी बनाने से इनकार कर दिया. कमिश्नर ने कहा की मामला अवैध निर्माण का है, जिसमें पहले ही वक्फ बोर्ड पार्टी है. इसलिए थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं.

जबकि, वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा कि जो भी अवैध निर्माण हुआ है, उस पर एमसी कोर्ट फैसला लेगा. जो लोग केस में सामने आ रहें ,हैं वह बताएं कि वह कैसे पार्टी हैं. इस मामले में नई पार्टी की जरूरत ही नहीं है. मामला पहले ही एमसी और वक्फ बोर्ड के बीच चल रहा है. ऐसे में सीधे आरोप लगाना सही नहीं है. 

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