- इस मस्जिद का निर्माण 1947 में हुआ था.वर्ष 2010 में इस मस्जिद में पुनर्निमाण का कार्य शुरू किया गया है. बताया जाता है कि इस मस्जिद में पहले एक मंजिल का निर्माण किया गया था, लेकिन बाद में निर्माण कार्य को और बढ़ाया गया.
- मस्जिद में हुए अवैध निर्माण कार्य को लेकर शिमला नगर निगम ने कई बार नोटिस जारी किया है. लेकिन इसके बावजूद भी अवैध निर्माण को नहीं रोका जा सका.
नगर निगम की नोटिस के बाद भी इस मस्जिद में अवैध निर्माण को नहीं रोका गया. अब यह मस्जिद कई मंजिल की हो चुकी है.
मस्जिद में हुए अवैध निर्माण कार्य के खिलाफ शिमला में बड़ी संख्या लोग सड़कों पर हैं. लोगों को कहना है कि वह इस धार्मिक स्थल के खिलाफ नहीं बल्कि इसके अंदर जो अवैध निर्माण हुआ है वो उसका विरोध कर रहे हैं.
मस्जिद की आड़ में मदरसा चलाने का है आरोप. प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि उन्हें शक है कि इस मस्जिद के अंदर मदरसा चलाया जा रहा है. और इस मदरसे में यूपी के अलग-अलग शहरों से मौलाना तालिम देने आ रहे हैं.
मस्जिद में अवैध निर्माण को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा है. ओवैसी कांग्रेस की 'मोहब्बत की दुकान'पर सवाल उठा रहे हैं.
इस मामले पर हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बयान दिया है. उन्होंने अपने इस बयान में कहा है कि हर किसी को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है. लेकिन ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए जिससे प्रदेश की शांति भंग हो.
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि फिलहाल ये मामला कोर्ट में है अगर निर्माण अवैध पाया गया तो उसे कानूनी प्रक्रिया के तहत ही गिराया जाएगा.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि यह मस्जिद का विवाद नहीं है, बल्कि यह मामला अवैध निर्माण का है.
शिमला में पुलिस प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मंगलवार देर रात इलाके में फ्लैग मार्च भी निकाला था. इस दौरान पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर मौजूद थे.
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