बेंगलुरू के चामराजपेट ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी पूजा की अनुमति के खिलाफ आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में दो जजों में असहमति होने के बाद इस मामले को तीन जजों की बेंच को भेजा गया है. मामले में हस्तक्षेप करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने ईदगाह मामले के कागजात मांगे. CJI ने आखिरकार यह फैसला सुनाया कि ईदगाह मामले की सुनवाई अब तीन जजों की बेंच करेगी. जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस ए एस ओक और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच इस मामले की सुनवाई अब थोड़ी देर में करेगी.
गौरतलब है कि आज बेंगलुरू के चामराजपेट ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी पूजा की अनुमति के खिलाफ याचिका पर जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने सुनवाई की. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ कर्नाटक वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. वक्फ बोर्ड का दावा है कि मैदान उसकी संपत्ति है और वहां 1964 से ईद की नमाज़ हो रही है. वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा की वहां पूजा से सांप्रदायिक तनाव होगा इसलिए पूजा की अनुमति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं
वक्फ बोर्ड ने कहा है कि ईदगाह मैदान वक्फ की संपत्ति है न कि सार्वजनिक स्थान जिसे सभी धार्मिक और सांस्कृतिक समारोहों के लिए खोला जा सकता है. वक्फ बोर्ड ने इस अदालत के 1964 के फैसले का उल्लंघन करते हुए हाईकोर्ट के आदेश का विरोध किया है जिसमें सिविल अपील में 1962 मे प्रश्न का निपटारा किया था और वक्फ के पक्ष में कब्जा दिया गया था. पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उल्लंघन धार्मिक चरित्र को बदलता है. यह 1877 तक मुसलमानों के लिए एक कब्रगाह था और तब स्थानीय मुस्लिम आबादी के लिए एक ईदगाह के रूप में काम कर रहा था. प्रतिवादियों द्वारा जानबूझकर बनाए गए विवाद के कारण क्षेत्र में व्याप्त स्थिति तनावपूर्ण हो गई है.
यदि हाईकोर्ट के आदेश को संचालित करने की अनुमति दी जाती है तो यह मामले को और बढ़ा सकता है जिससे क्षेत्र में सांप्रदायिक सद्भाव को अपूरणीय क्षति हो सकती है. कर्नाटक हाईकोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने एकल पीठ के अंतरिम आदेश को संशोधित करते हुए कहा है कि सरकार 31 अगस्त से एक सीमित समय के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की इजाज़त दे सकती है. इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि यहां की दो एकड़ ज़मीन का इस्तेमाल खेल मैदान के लिए किया जाना चाहिए. इसके अलावा रमज़ान और बक़रीद पर मुस्लिम समुदाय नमाज़ के लिए इसका उपयोग कर सकता है.
कर्नाटक के चामराजपेट ईदगाह की भूमि पर मालिकाना हक़ को लेकर विवाद चल रहा है. इस विवाद के तीन पक्ष हैं -- एक राज्य वक्फ़ बोर्ड, दूसरा बेंगलुरू महानगरपालिका और तीसरा राजस्व विभाग.
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने वक्फ बोर्ड की तरफ से हाजिर हुए अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि आप इस याचिका में मालिकाना हक मांग रहे हैं. इसपर सिब्बल ने कहा,”टाइटल पहले से ही हमारे पास है और वक्फ संपत्ति होने के फैसले को किसी ने चुनौती नहीं दी है. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा,”लेकिन हाईकोर्ट ने कहा था कि इसे स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस आदि के लिए भी दिया जाए. आप इनके लिए क्यों इजाजत देते हैं अगर ये आपकी संपत्ति है.” इसपर कपिल सिब्बल ने कहा,”हमें उसमें कोई दिक्कत नहीं है, ये जगह बच्चों के खेलने के लिए भी दी गई है. लेकिन धार्मिक गतिविधि के लिए इजाजत क्यों ? हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए. नोटिस जारी हो और आगे सुनवाई हो.”
कपिल सिब्बल ने कहा,”200 साल से ज्यादा यानी 1881 से मालिकाना हक हमारे पास है और गणेश चतुर्थी के लिए नोटिफिकेशन 2022 में हुआ..अगले साल चुनाव भी होने हैं.”
याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा,”ये हमारी संपत्ति है और ये हम तय करेंगे कि क्या समारोह हों और क्या ना हो. अदालत हमें ये नहीं कह सकती कि इस समारोह को इजाजत दीजिए.”
दुष्यंत दवे ने कहा,”हाईकोर्ट को इस तरह के समारोह की इजाजत देने का फैसला नहीं देना चाहिए था. ईदगाह मैदान 200 साल से ज्यादा से हमारे पास है. अब कोई विवाद नहीं हो सकता है.” दवे ने कहा,”यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विचार करने की आवश्यकता है…अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपने मामलों का प्रबंधन करने का पूरा अधिकार है. यह अनुचित अतिक्रमण है.”
दुष्यंत दवे ने पूछा,”क्या मुस्लिम समुदाय को हिंदू ट्रस्ट के स्वामित्व वाले मैदान में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है?
कर्नाटक सरकार की ओर से SG तुषार मेहता ने कहा,”हम एक ऐसे प्लॉट की बात कर रहे हैं जो खुला है.. इस पर ना कोई चारदीवारी है ना कोई फेंसिंग. इस ग्राउंड पर नगर निगम स्कूल बनाना चाहता था, लेकिन मुस्लिम समुदाय पिछले 200 साल से इसे अपने उपयोग पर ला रहा है, जिसके मद्देनज़र कार्पोरेशन ने याचिका दायर की थी
SG तुषार मेहता ने कहा कि कॉर्पोरेशन ने HC में याचिका दायर की थी. HC ने साफ कर दिया कि हम मालिकाना हक़ को लेकर सुनवाई नहीं करेंगे कि ज़मीन कॉर्पोरेशन की है या वक़्फ़ की.ये सिविल कोर्ट निर्धारित करेगा. HC ने ज़मीन पर मालिकाना हक़ को नहीं तय किया है.”
जस्टिस धुलिया ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि ये एक खुली जमीन है तो इसका मतलब ये नहीं है कि ये सरकारी जमीन है. इसपर तुषार ने कहा,” राज्य ने दो दिनों के लिए धार्मिक समारोह की इजाजत दी है. हम अंडरटेकिंग देने को तैयार हैं कि गुरुवार के बाद फिर से बच्चों को खेलने के लिए दिया जाए….दो दिन के लिए गणेश उत्सव के लिए दिया गया है.”
इस पर जस्टिस धुलिया ने पूछा,”क्या पहले भी ये जमीन गणेश उत्सव के लिए दी गई है ?
तुषार मेहता ने कहा कि कल और परसों के लिए जमीन पर गणेश उत्सव की इजाजत दे दी जाए . राज्य सरकार इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेती है.
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