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GST सुधार: GDP के लिए बड़ा बूस्टर डोज, घरेलू खपत में 8% तक का इजाफा संभव

CAIT के मुताबिक उपभोग और औद्योगिक उत्पादन में तेजी से आगामी वित्तीय वर्ष में जीडीपी में अतिरिक्त 0.5% से 0.7% तक वृद्धि हो सकती है. इससे सरकारी राजस्व भी बढ़ेगा और भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी.

GST सुधार: GDP के लिए बड़ा बूस्टर डोज, घरेलू खपत में 8% तक का इजाफा संभव
जीएसटी की नई दरों से जीडीपी को मिलेगा बड़ा बूस्ट
  • FIEO ने GST परिषद के निर्यातकों के लिए रिफंड प्रक्रियाओं वाले फैसलों का स्वागत किया है
  • जीएसटी सुधार कार्यशील पूंजी की रुकावटें कम करेंगे और निर्यातकों को समय पर वित्तीय राहत प्रदान करेंगे
  • कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने जीएसटी सुधारों को कर संरचना सरल करने वाला बताया है
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नई दिल्ली:

देश में एक्सपोर्टरों के सबसे बड़े संगठन, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ओर्गनइजेशंस (FIEO) ने निर्यातकों के लिए नकदी की चुनौतियों (easing liquidity) को कम करने और रिफंड प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से GST परिषद द्वारा लिए गए फैसलों का स्वागत किया है. FIEO के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने कहा कि परिषद द्वारा रिस्क एनालिसिस के आधार पर सात दिनों के भीतर निर्यात रिफंड जारी करने और कपड़ा, फार्मा, रसायन और उर्वरक जैसे क्षेत्रों के लिए उल्टे शुल्क ढांचे (inverted duty structure) के तहत provisional refunds जारी करने की मंजूरी बहुत ही स्वागत योग्य कदम है. ये सुधार कार्यशील पूंजी (working capital) की रुकावटों को कम करने और हमारे निर्यातकों को समय पर राहत प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

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 रल्हन मानते हैं कि GST व्यवस्था में सुधार से न केवल भारत का निर्यात क्षेत्र मज़बूत होगा, बल्कि आपूर्ति श्रृंखलाओं (supply chains) पर दबाव कम करके घरेलू मांग में भी वृद्धि करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि एक मज़बूत निर्यात इकोसिस्टम अनिवार्य रूप से घरेलू विनिर्माण (domestic manufacturing) और उपभोग को बढ़ावा देता है। ये कदम अर्थव्यवस्था में सकारात्मक multiplier effect पैदा करेंगे, जिससे उद्योग और उपभोक्ता दोनों को लाभ होगा. 

उन्होंने आश्वासन दिया कि जहां भी अंतिम उत्पाद घरेलू उपभोक्ताओं तक पहुँच रहा है, उद्योग यह सुनिश्चित करेगा कि कम लागत का लाभ उन्हें उचित रूप से मिले. उन्होंने कहा कि निर्यातक भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के साथ-साथ घरेलू अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं को सहयोग देने में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. 1000 रुपये से कम के जीएसटी रिफंड को अनुमति से छोटे और ई-कॉमर्स निर्यातकों को काफी लाभ होगा.

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उधर, व्यापारियों की संस्था - कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा है कि जीएसटी सुधारों और टैक्स दरों के पुनर्गठन से छोटे व्यापारियों, उपभोक्ताओं और भारत की अर्थव्यवस्था को न केवल लाभ मिलेगा बल्कि यह कदम कर संरचना को सरल बनाएगा व उपभोग में भारी वृद्धि कर देश की आर्थिक गतिविधियों तथा व्यापार को नई गति देगा.

CAIT के मुताबिक उपभोग और औद्योगिक उत्पादन में तेजी से आगामी वित्तीय वर्ष में जीडीपी में अतिरिक्त 0.5% से 0.7% तक वृद्धि हो सकती है. इससे सरकारी राजस्व भी बढ़ेगा और भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी.CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा है कि 400 से अधिक वस्तुओं पर कर कम करने के सुधारों से आम आदमी को रोजमर्रा के खर्चे में बड़ी राहत मिलेगी व कर व्यवस्था भी चुस्त दुरुस्त होगी. यह वास्तव में देश को बड़ा दिवाली उपहार है.

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खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इन जीएसटी सुधारों से घरेलू खपत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. रिपोर्ट का अनुमान है कि आगामी त्योहारी सीजन में खपत में 7–8% की बढ़ोतरी होगी. इससे खुदरा व्यापार और छोटे दुकानदारों की बिक्री को सीधे लाभान्वित करेगा.

CAIT का आंकलन है कि कम जीएसटी दरें उपभोक्ताओं को अधिक खरीदारी के लिए प्रोत्साहित करेंगी, जिससे बाज़ार की मांग बढ़ेगी जिसका सीधा लाभ छोटे दुकानदारों, खुदरा व्यापारियों और थोक विक्रेताओं को मिलेगा. उपभोग बढ़ने से उद्योगों को उत्पादन बढ़ाना होगा, जिससे रोजगार और औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि होगी. साथ ही, GST दरों के सरलीकरण से जीएसटी कंप्लायंस आसान और सस्ता होगा.

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साथ ही, सीमेंट जैसी निर्माण सामग्री पर जीएसटी में कमी से निर्माण लागत में 3-5% तक की कमी आ सकती है. डेवलपर्स, खासकर किफायती आवास बनाने वाले डेवलपर्स, को नकदी प्रवाह और मार्जिन के मामले में बड़ी राहत मिलेगी. एनारॉक रिसर्च से पता चलता है कि किफायती आवास श्रेणी (40 लाख रुपये से कम) की कुल बिक्री में हिस्सेदारी 2019 के 38% से घटकर 2024 में केवल 18% रह गई है. कम निर्माण लागत का लाभ अगर घर खरीदारों को दिया जाए, तो इन क्षेत्रों में मांग बढ़ सकती है. इसका विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में ज़्यादा प्रभाव पड़ेगा.

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