
2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण पूरा हो गया. रविवार रात 9:57 बजते ही चंद्र ग्रहण शुरू हुआ, जो 1 बजकर 26 मिनट तक चला. ग्रहण का सूतक दोपहर 12 बजकर 57 मिनट से ही लग गया था. रविवार दोपहर सूतक से पहले उत्तराखंड में बदरीनाथ और केदारनाथ से लेकर देशभर में कई प्रमुख मंदिरों में पूजा-पाठ कर उनके कपाट बंद कर दिए गए. वाराणसी में गंगा घाट और हरिद्वार में हर की पौड़ी पर होने वाली संध्याकालीन गंगा आरती भी दोपहर को कर ली गई. चंद्र ग्रहण हमारे जीवन पर आध्यात्मिक और ज्योतिषीय प्रभाव डालता है. ग्रहण का समय उन लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिनकी कुंडली में चंद्रमा दोष मौजूद है. चंद्रमा को ज्योतिष में मन, भावना और मानसिक स्थिरता का कारक माना गया है. जब चंद्रमा कमजोर हो या पाप ग्रहों से पीड़ित हो, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, अस्थिरता, नींद की समस्या और पारिवारिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में चंद्र ग्रहण इस दोष से राहत पाने का एक बड़ा अवसर बन सकता है. रांची के बड़ा हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी श्यामानंद पांडे ने चंद्र ग्रहण से जुड़ी सावधानियों और धार्मिक नियमों की जानकारी देते हुए बताया कि ग्रहण के समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. जानिए उन्होंने क्या उपाय बताए...

- सूतक काल शुरू होने से पहले भोजन कर लेना चाहिए. हालांकि, वृद्ध और बीमार लोगों को शास्त्रों के अनुसार साढ़े छह बजे तक भोजन करने की छूट मिलती है.
- विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए, क्योंकि यह समय संवेदनशील होता है.
- ग्रहण का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग पड़ता है. किसी पर इसका असर सकारात्मक हो सकता है, तो किसी पर नकारात्मक हो सकता है.
- भगवान के मंत्रों का जाप किया जाए, तो इसका नकारात्मक असर कम हो सकता है.
- साधु-संत इस समय का इंतजार करते हैं, क्योंकि ग्रहण के दौरान की गई पूजा, ध्यान और हवन का विशेष फल मिलता है.
- ग्रहण काल को एक आध्यात्मिक साधना का समय माना जाता है. इस दौरान भगवान की मूर्तियों और तस्वीरों को छूना वर्जित होता है. वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय रहती है.
- अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा दोष हो, तो इस दौरान सफेद चीजों का दान करना बेहद लाभकारी होता है.
- इसमें चावल, चीनी, दूध, दही और चांदी जैसी वस्तुएं शामिल हैं. ये वस्तुएं पहले से निकालकर रख लेनी चाहिए और ग्रहण खत्म होने के बाद दान कर देनी चाहिए.
- इससे चंद्र दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है.
- चंद्र ग्रहण भले ही कुछ घंटे का होता है, लेकिन इसके असर लंबे समय तक रह सकते हैं.
- अगर किसी की कुंडली में चंद्र दोष हो, तो यह समय उसे दूर करने का एक अनोखा अवसर भी हो सकता है.
- भगवान के नाम का स्मरण, मंत्र जाप, दान और संयम ही इस समय को शुभ बना सकते हैं.

यह तस्वीर अयोध्या के श्री राम मंदिर की है. रविवार को सूतक काल से पहले मंदिर दर्शनों के लिए खुला था तो यह अम्मा भी रामलला के दर्शन के लिए पहुंची थीं. दर्शन पाकर वह भाव विभोर हो गईं.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नरेश चंद्र दास
- चंद्र ग्रहण रात 9:57 बजे शुरू होगा और रात 1:26 बजे समाप्त होगा. ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल आरंभ हो जाता है. इस बार दोपहर 12:57 बजे से सूतक लग चुका है, जो ग्रहण समाप्त होने तक रहेगा.
- सूतक में न तो खाना बनाना चाहिए और ना ही खाना चाहिए. पूजा-पाठ भी ग्रहण के समय बंद कर देना होता है. ग्रहण खत्म होने के बाद ही फिर से पूजा या भोजन की इजाजत होती है.
- ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार ये ग्रहण वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, मीन, और कुंभ राशि वालों के लिए ठीक नहीं है
- ऐसे लोगों को सलाह दी गई है कि वे ग्रहण न देखें और घर के भीतर ही रहें.
- वहीं, मेष, तुला, वृश्चिक, कन्या, मकर, और धनु राशियों के लिए इसे शुभ माना गया है.
- गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग, बीमार और छोटे बच्चों को इन नियमों में थोड़ी छूट दी जाती है.
- उनके लिए कोई सख्ती नहीं है. ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को बेहद सावधानी बरतने की सलाह भी दी जाती है.

रविवार दोपहर चंद्रग्रहण का सूतक काल शुरू होने से पहले भोपाल के बिरला मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए गए. सूतक 12 बजकर 57 मिनट पर लगा.
पटना स्थित महावीर मंदिर के पुजारी पंडित भवनाथ झा
- चंद्र ग्रहण राहु और केतु की छाया के कारण लगता है. इन दोनों को "छाया ग्रह" कहा जाता है, जिनका प्रभाव ग्रहण काल में विशेष रूप से सक्रिय माना जाता है.
- ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, जो गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे शिशु पर अशुभ असर डाल सकता है. इसी कारण इस समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार की धारदार चीजों का उपयोग करने से बचना चाहिए, जैसे कि काटना या जोड़ना.
- यह माना जाता है कि ऐसे कार्यों से गर्भ में पल रहे शिशु पर शारीरिक प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा, ग्रहण को देखने से भी बचना चाहिए.
- इस समय महिलाओं को मंत्र जाप या किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करना चाहिए, जिससे मानसिक शांति बनी रहे और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो सके.

सूतक काल के कारण काशी से हरिद्वार तक शाम की गंगा आरती दोपहर में ही हो गई.
ज्योतिषाचार्य पंडित विवेक मिश्रा
- सूतक काल शुरू होने से पहले भोजन बना लें और खा लें, क्योंकि इस दौरान खाना बनाना, खाना ग्रहण करना और पूजा-पाठ जैसे धार्मिक कार्य शास्त्रों में वर्जित है.
- सूतक काल से पहले अपने घर के पूजा स्थल को साफ कर लेना चाहिए और वहां गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए ताकि वातावरण शुद्ध हो जाए. खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते डालने चाहिए, जिससे उनकी शुद्धता बनी रहे.
- सूतक काल के दौरान इष्ट देव का नाम जपना सबसे उत्तम माना गया है. मंत्र जाप इस समय विशेष फलदायी होता है.
- मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल में जो मंत्र जपे जाते हैं, वे जल्दी सिद्ध होते हैं. विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को इस दौरान मंत्रों का जाप करना चाहिए. इससे मां-बच्चा दोनों की सुरक्षा होती है.
- ग्रहण के समय सोना और भोजन करना वर्जित माना जाता है, लेकिन गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य कारणों से ताजे फल, सात्विक भोजन और आवश्यक दवाइयां ले सकती हैं. पहले से बना खाना ग्रहण से पहले हटा लें और बाद में ताजा बनाएं.
पीतांबरा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य विक्रमादित्य, नई दिल्ली

- चंद्रग्रहण का समयः यह रविवार की रात को 9 बजकर 57 मिनट पर आरंभ होने जा रहा है. यह ग्रहण करीब साढ़े तीन घंटे का रहने वाला है. ग्रहण के समाप्त होने के बाद स्नान करना जरूरी है.
- राशियों पर असर: कुंभ राशि में राहु के साथ चंद्रमा की जो युति बन रही है, उसमें यह ग्रहण काल बनेगा. करीब साढ़े तीन घंटे का यह ग्रहण रहने वाला है.
- क्यों खास है: यह विशेष समय पर आया है. श्राद्ध से पहले चंद्र ग्रहण और बाद में सूर्य ग्रहण पड़ रहा है. इन दो ग्रहणों के बीच में 15 दिन का समय चल रहा है, यह बहुत सावधानी भरा है. इसमें कई ग्रहों के परिवर्तन का योग बन रहा है. आने वाले 40 दिनों में विश्व में कई प्रकार से उथल-पुथल होने की संभावना है.
- ग्रहणकाल भारतीय ज्योतिष गणना के अनुसार पर्व काल माना जाता है. इस दौरान भगवान के मंत्र जप, साधना और चिंतन के द्वारा पुण्य अर्जित कर सकते हैं.
- ग्रहण के प्रभाव को राशियों के दृष्टिकोण से बहुत विस्तृत रूप से समझा जा सकता है. 12 राशियों में से प्रत्येक पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है.
- ग्रहण काल के बाद सबसे पहले स्नान करना चाहिए. ग्रहण रात में करीब डेढ़ बजे समाप्त होगा.
- ग्रहण का दोष लगता है, क्योंकि स्नान न करने पर सूतक काल व्याप्त रहता है.
- ग्रहण के बाद क्या करें: भारतीय संस्कृति स्नानमय संस्कृति है. शनि को उतारना है तो ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी है.

ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश नारायण मिश्रा, अंबिकापुर
- यह खगोलीय घटना केवल विज्ञान की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.
- इस चंद्रग्रहण का सबसे शुभ प्रभाव चार राशियों मेष, वृश्चिक, कन्या और धनु पर पड़ेगा. इन राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण नई ऊर्जा, सफलता और सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा.
- बची आठ राशियों के लिए यह चंद्रग्रहण थोड़ा सावधानी बरतने का समय होगा. इन जातकों को इस दौरान मानसिक तनाव, स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, मान-सम्मान की हानि या पारिवारिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है.
- उन्होंने बताया कि जिन राशियों के लिए यह ग्रहण अनुकूल नहीं है, वे लोग इस समय अपने गुरु मंत्र या इष्ट देवता के मंत्र का जाप अवश्य करें. इससे ग्रहण के दोष से राहत मिलती है और मानसिक शांति बनी रहती है.
- चंद्रग्रहण को नंगी आंखों से देखना उचित नहीं है, क्योंकि इससे मानसिक अशांति और मनोरोग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
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