
- भारत में उपराष्ट्रपति को वेतन नहीं मिलता, उन्हें राज्यसभा सभापति के पद के लिए वेतन मिलता है.
- जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है.
- विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी हैं, जो पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश और गोवा के लोकायुक्त रह चुके हैं.
भारत में उपराष्ट्रपति का पद देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है. मगर शायद एकमात्र ऐसा पद है, जिसे नियमित वेतन का लाभ नहीं मिलता. उपराष्ट्रपति, संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में अपनी भूमिका के लिए वेतन प्राप्त करते हैं. साल 2018 में हुए संशोधन के बाद, उपराष्ट्रपति का मासिक वेतन 4 लाख रुपये है. इसके अलावा उन्हें अन्य कई सुविधाएं मिलती है. जैसे:-
- उपराष्ट्रपति को एक बड़ा और सुंदर आधिकारिक आवास दिया जाता है, जिसकी रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी सरकार की होती है.
- उन्हें दैनिक भत्ता (Daily Allowance), यात्रा भत्ता (Travel Allowance) और अन्य कई तरह के अलावेंस दिए जाते हैं.
- उपराष्ट्रपति और उनके परिवार को फ्री में मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं.
- उन्हें 24 घंटे हाई लेवल सिक्योरिटी एक बड़ा स्टाफ मिलता है, जिसमें प्राइवेट सेक्रेटरी और अन्य कर्मचारी शामिल होते हैं.
- रिटायरमेंट के बाद, उन्हें उनके वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है.
जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के बाद एनडीए की तरफ से सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं विपक्ष के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी हैं. 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव होगा. यह चुनाव 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण आवश्यक हो गया है.
कौन हैं सीपी राधाकृष्णन

20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुपुर में जन्मे सीपी राधाकृष्णन ने 1974 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. फिर भारतीय जनसंघ के राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य बने. 1996 में वह भाजपा तमिलनाडु के सचिव नियुक्त हुए. इसके बाद 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए. इसके अलावा, 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में भाषण दिया और ताइवान की पहली संसदीय यात्रा में भी शामिल हुए थे.
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर
चंद्रपुर पोन्नुसामी राधाकृष्णन को 31 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में काम किया. इसके अलावा, वे तेलंगाना के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल चुके हैं. वह 2004 से 2007 तक भाजपा तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2020 से 2022 तक भाजपा केरल के अखिल भारतीय प्रभारी रहे. साथ ही 18 फरवरी 2023 को झारखंड के राज्यपाल नियुक्त किए गए थे.
सीपी राधाकृष्णन की संपत्ति
सीपी राधाकृष्णन का लंबा राजनीतिक करियर रहा है. वे भाजपा से जुड़े हैं और कोयंबटूर से दो बार सांसद रह चुके हैं. पेशे से बिजनेसमैन सीपी राधाकृष्णन करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. साल 2019 में चुनाव को दिये हलफनामे के मुताबिक, सीपी राधाकृष्णन के चल, अचल संपत्ति के अलावा करोड़ों रुपये बैंक खातों में भी जमा हैं. सीपी राधाकृष्णन के पास लगभग 67,11,40,166 रुपये की संपत्ति हैं. इसमें 7,31,07,436.32 रुपये की चल संपत्ति है, जिसमें कैश, बैंक में जमा रुपये, इंश्योरेंस पॉलिसी, बॉन्ड शेयर, ज्वेलरी आदि शामिल है. वहीं, 44,43,25,040 रुपये की एग्रीकल्चर लैंड, 7,23,73,690 की नॉन एग्रीकल्चर लैंड, 6,63,34,000 रुपये की कमर्शियल बिल्डिंग और 1,50,00,000 रुपये का घर है.
बी सुदर्शन रेड्डी कौन हैं

बी सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को आंध्र प्रदेश के रंगारेड्डी जिले के आकुला मायलावरम गांव में हुआ. वो किसान परिवार से आते हैं. उन्होंने हैदराबाद में पढ़ाई पूरी की और 1971 में उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद से कानून की डिग्री हासिल की. उसी साल वकालत के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. इसके बाद वे सीनियर एडवोकेट के प्रताप रेड्डी के चैंबर में शामिल हुए.
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बी सुदर्शन रेड्डी का सफर
- बी सुदर्शन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में रिट और क्रिमिनल मामलों में वकालत की.
- 1988 से 1990 तक, उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में सरकारी वकील के तौर पर काम किया.
- कुछ समय के लिए केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील के रूप में नियुक्त हुए.
- साल 1993-94 के लिए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए.
- 8 जनवरी 1993 को उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील नियुक्त किए गए.
- 2 मई 1995 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए.
- 5 दिसंबर, 2005 को उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया.
- 12 जनवरी, 2007 को बी. सुदर्शन रेड्डी को भारत के सुप्रीम कोर्ट का जज चुना गया था. जिसके बाद 8 जुलाई 2011 को वो रिटायर हुए.
- साल 2013 में उन्हें गोवा का लोकायुक्त नियुक्त किया गया, हालांकि, निजी कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने 7 महीने में ही इस्तीफा दे दिया.
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