नई दिल्ली:
खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर संसद में बने गतिरोध के बीच जहां वाम और भाजपा मत विभाजन वाले नियम के तहत चर्चा कराने की मांग पर अड़े हुए हैं, वहीं सरकार ने सोमवार को इस संबंध में बातचीत के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ द्वारा बुलाई गई बैठक ऐसे समय हो रही है, जब संसद के मौजूदा सत्र के दो दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। यह गतिरोध मौजूदा सत्र के पहले ही दिन 22 नवंबर से जारी है और सरकार विपक्ष की मांग पर झुकती नहीं दिखाई दे रही है।
सरकार की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है कि वह विपक्ष की मांग को स्वीकार करेगी या नहीं, लेकिन पार्टी के कई नेता लगातार प्रयास कर रहे हैं, ताकि मतदान की स्थिति में किसी संभावित खतरे को टाला जा सके।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे पर मत विभाजन पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है, क्योंकि सरकार ने मल्टी ब्रांड क्षेत्र में एफडीआई को लेकर संसद में दिए गए इस आश्वासन का उल्लंघन किया है कि सभी पक्षों के बीच आम सहमति बनाए बिना इसे लागू नहीं किया जाएगा।
सुषमा के अनुसार इसी वजह से वे नियम 184 के तहत चर्चा कराए जाने की मांग पर जोर दे रहे हैं। इस नियम में मत विभाजन का प्रावधान है। वाम दल भी नियम 184 के तहत चर्चा कराए जाने के पक्ष में हैं। सरकार की समस्या अपने सहयोगी दल डीएमके से भी है। पार्टी प्रमुख करुणानिधि ने हाल ही में संवाददाताओं से कहा था कि डीएमके मल्टी ब्रांड क्षेत्र में एफडीआई को अनुमति दिए जाने के फैसले का समर्थन नहीं करती।
इस मुद्दे को लेकर विपक्ष में भी दरार के संकेत हैं और सपा एवं बसपा ने इस संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पिछले हफ्ते तृणमूल कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया था, लेकिन यह नाकाम रहा। लेकिन मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई को अनुमति देने के खिलाफ वाम और भाजपा एक साथ दिखे हैं।
संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ द्वारा बुलाई गई बैठक ऐसे समय हो रही है, जब संसद के मौजूदा सत्र के दो दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। यह गतिरोध मौजूदा सत्र के पहले ही दिन 22 नवंबर से जारी है और सरकार विपक्ष की मांग पर झुकती नहीं दिखाई दे रही है।
सरकार की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है कि वह विपक्ष की मांग को स्वीकार करेगी या नहीं, लेकिन पार्टी के कई नेता लगातार प्रयास कर रहे हैं, ताकि मतदान की स्थिति में किसी संभावित खतरे को टाला जा सके।
लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस मुद्दे पर मत विभाजन पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है, क्योंकि सरकार ने मल्टी ब्रांड क्षेत्र में एफडीआई को लेकर संसद में दिए गए इस आश्वासन का उल्लंघन किया है कि सभी पक्षों के बीच आम सहमति बनाए बिना इसे लागू नहीं किया जाएगा।
सुषमा के अनुसार इसी वजह से वे नियम 184 के तहत चर्चा कराए जाने की मांग पर जोर दे रहे हैं। इस नियम में मत विभाजन का प्रावधान है। वाम दल भी नियम 184 के तहत चर्चा कराए जाने के पक्ष में हैं। सरकार की समस्या अपने सहयोगी दल डीएमके से भी है। पार्टी प्रमुख करुणानिधि ने हाल ही में संवाददाताओं से कहा था कि डीएमके मल्टी ब्रांड क्षेत्र में एफडीआई को अनुमति दिए जाने के फैसले का समर्थन नहीं करती।
इस मुद्दे को लेकर विपक्ष में भी दरार के संकेत हैं और सपा एवं बसपा ने इस संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पिछले हफ्ते तृणमूल कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का प्रयास किया था, लेकिन यह नाकाम रहा। लेकिन मल्टी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई को अनुमति देने के खिलाफ वाम और भाजपा एक साथ दिखे हैं।
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