प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
कई सेवानिवृत्त अधिकारियों के सरकारी फ्लैटों में 'अवैध' रूप से रहने की खबरें आने के बीच दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने ऐसे नौकरशाहों से कहा है कि वे अपनी सेवानिवृत्ति के दो महीने के भीतर इन मकानों को रखने की मंजूरी देने से जुड़ा आवेदन करें और यदि ऐसा नहीं किया गया तो उन पर 'नुकसान शुल्क' लगाया जाएगा।
लोक निर्माण विभाग की ओर से हाल ही में जारी सर्कुलर में कहा गया कि कई मामलों में अधिकारी अपनी सेवानिवृत्ति के 8 से 10 महीने बीत जाने के बाद भी सरकारी मकान में जमे रहते हैं और फिर ऐसे समय में मंजूरी मांगते हैं, जब काफी समय बीत चुका होता है।
सर्कुलर में कहा गया, 'इसलिए सरकारी फ्लैटों में रहने वाले सभी सेवानिवृत्त होने जा रहे अधिकारियों को सूचित किया जाता है कि उन्हें (सेवानिवृत्ति के बाद) फ्लैट रखने के लिए बहुत पहले ही आवेदन कर देना चाहिए और यह सेवानिवृत्ति के दो महीने बाद किसी भी स्थिति में नहीं होना चाहिए।' सर्कुलर के मुताबिक, सेवानिवृत्ति के दो महीने बाद यदि फ्लैट रखने से जुड़ा अनुरोध प्राप्त होता है तो उसे खारिज कर दिया जाएगा और दो महीने से ज्यादा रहने की अवधि पर नुकसान शुल्क लगाया जाएगा।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
लोक निर्माण विभाग की ओर से हाल ही में जारी सर्कुलर में कहा गया कि कई मामलों में अधिकारी अपनी सेवानिवृत्ति के 8 से 10 महीने बीत जाने के बाद भी सरकारी मकान में जमे रहते हैं और फिर ऐसे समय में मंजूरी मांगते हैं, जब काफी समय बीत चुका होता है।
सर्कुलर में कहा गया, 'इसलिए सरकारी फ्लैटों में रहने वाले सभी सेवानिवृत्त होने जा रहे अधिकारियों को सूचित किया जाता है कि उन्हें (सेवानिवृत्ति के बाद) फ्लैट रखने के लिए बहुत पहले ही आवेदन कर देना चाहिए और यह सेवानिवृत्ति के दो महीने बाद किसी भी स्थिति में नहीं होना चाहिए।' सर्कुलर के मुताबिक, सेवानिवृत्ति के दो महीने बाद यदि फ्लैट रखने से जुड़ा अनुरोध प्राप्त होता है तो उसे खारिज कर दिया जाएगा और दो महीने से ज्यादा रहने की अवधि पर नुकसान शुल्क लगाया जाएगा।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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