- महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए MLA और MP के प्रति सम्मानजनक व्यवहार की नई नियमावली जारी की है
- निर्देश में विधायक या सांसद के कार्यालय आने पर कर्मचारियों को विनम्रता से उनका स्वागत और तत्पर सहायता करना है
- अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों का जवाब अधिकतम दो महीने के भीतर देना अनिवार्य होगा
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हमें बताएं।महाराष्ट्र की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई नियमावली और निर्देश जारी किए हैं. इस निर्देश में कर्मचारियों को विधायक और सांसद जैसे जनप्रतिनिधियों के प्रति आदर और सम्मानजनक व्यवहार रखने की सख्त हिदायत दी गई है. सरकार ने अब तक के सभी पुराने सर्कुलर्स को एक साथ मिलाकर ये निर्देश जारी किए हैं. यह सर्कुलर सामान्य प्रशासन विभाग, महाराष्ट्र शासन द्वारा 20 नवंबर 2025 को जारी किया गया है. इसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के व्यवहार को विधायक (MLA) और सांसद (MP) जैसे जनप्रतिनिधियों के प्रति एकीकृत, सुनिश्चित और मर्यादित करना है. पढ़िए कैसे देनी होगी इज्जत...
सम्मान और विनम्रता
- विनम्र व्यवहार: विधायक/सांसद के कार्यालय आने पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी उनसे विनम्र और आदरयुक्त व्यवहार करें. उनकी बातों को ध्यान से सुनें और शासकीय नियमों के अनुसार तुरंत सहायता करें.
- खड़े होकर अभिवादन: जब वे मिलने आएं या मिलकर जा रहे हों, तो अधिकारी को खड़े होकर उन्हें विनम्रतापूर्वक अभिवादन करना चाहिए.
- फोन पर शिष्टाचार: फोन या मोबाइल पर बात करते समय हमेशा आदरयुक्त, विनम्र और शिष्टाचारपूर्ण भाषा का उपयोग करें.
पत्राचार और बैठकों का समय
- पत्राचार का जवाब: जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों/निवेदनों पर संबंधित अधिकारी को ज्यादा से ज्यादा दो महीने के भीतर कार्रवाई करनी चाहिए और उन्हें सूचित करना चाहिए.
- मुलाकात का समय: विधायक/सांसदों को बिना किसी रुकावट के अधिकारियों से मिलने देने के लिए साप्ताहिक भेंट का समय/चैंबर निश्चित किया जाए और उन्हें तुरंत सूचित किया जाए.
शासकीय कार्यक्रम और निमंत्रण
- आमंत्रण: जिला/राज्य स्तरीय सरकारी/अर्ध-सरकारी कार्यक्रमों (जैसे उद्घाटन, भूमिपूजन) में संबंधित क्षेत्र के विधायकों, सांसदों और विधानमंडल के सदस्यों को उनकी उपस्थिति के अनुसार आमंत्रित किया जाना चाहिए.
मार्गदर्शन/सूचना का उल्लंघन करने पर कार्रवाई
- सख्त पालन: उपर्युक्त सभी सूचनाओं और निर्देशों का संबंधित अधिकारी/कर्मचारी कड़ाई से पालन करें.
- अनुशासनहीनता: यदि कोई अधिकारी/कर्मचारी इन निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ तत्काल प्रशासनिक अनुशासनहीनता की कार्रवाई की जाएगी.
सूचना का अधिकार
- जानकारी: जनप्रतिनिधि जब भी किसी कल्याणकारी योजना या संसदीय कामकाज से संबंधित कोई जानकारी मांगते हैं, तो उन्हें यह जानकारी 'सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005' के नियम (2) (ई) के तहत प्रदान की जानी चाहिए.
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