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मराठवाड़ा में हर दिन 3 किसान कर रहे आत्महत्या, जनवरी से अक्टूबर तक 899 अन्नदाताओं ने दी जान

कर्ज का बोझ, फसलों की बर्बादी, आय में कमी, न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव, और अतिवृष्टि जैसे तमाम कारण इस क्षेत्र के किसानों को गहरे आर्थिक संकट और यह चरम कदम उठाने पर मजबूर कर रहे हैं.

मराठवाड़ा में हर दिन 3 किसान कर रहे आत्महत्या, जनवरी से अक्टूबर तक 899 अन्नदाताओं ने दी जान
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में किसानों की आत्महत्या के मामले डरा रहे हैं.

Maharashtra Farmer Suicide: महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले मराठवाड़ा में किसानों की आत्महत्याओं का दुखद सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में किसानों की आत्महत्या के मामले चौंका रहे हैं. इस इलाके में हर दिन तीन किसान मौत को लगे लगा रहे हैं. बीते 10 महीनों में यहां 899 किसानों ने अपनी जान दी है. आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, जनवरी से अक्टूबर 2025 तक—इन 10 महीनों में 899 किसानों ने अपनी जान दी है. जिसका अर्थ है कि औसतन हर दिन तीन किसान मौत को गले लगा रहे हैं.

किसे जिले में कितने खुदकुशी

जिलेवार आंकड़ों में सबसे ज़्यादा 200 आत्महत्याएँ बीड में दर्ज हुई हैं. इसके बाद छत्रपति संभाजीनगर में 179, नांदेड़ में 145 और धाराशिव में 115 मामले सामने आए हैं. परभणी में 90, लातूर में 67, जालना में 58 और हिंगोली में 53 किसानों ने आत्महत्या की है. 

मासिक रूप से, मार्च, जुलाई और अक्टूबर सबसे घातक महीने रहे. जिनमें क्रमशः 110, 109 और 109 आत्महत्याएँ हुईं. जबकि जनवरी (88), अप्रैल (88), मई (78), जून (85), अगस्त (76) और फरवरी (75) में भी लगातार मौतें दर्ज की गईं. 

कर्ज का बोझ, फसलों की बर्बादी, आय में कमी, न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव, और अतिवृष्टि जैसे तमाम कारण इस क्षेत्र के किसानों को गहरे आर्थिक संकट और यह चरम कदम उठाने पर मजबूर कर रहे हैं.

प्रभावित किसानों के लिए 32 हजार करोड़ के पैकेज का ऐलान

राज्य सरकार ने मराठवाड़ा में प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे के तौर पर लगभग 32,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है. इस क्षेत्र में नांदेड़, परभणी, हिंगोली, लातूर, बीड और धाराशिव जिले आते हैं. अत्यधिक वर्षा और बाढ़ के कारण (20 सितम्बर तक रिकॉर्ड के मुताबिक,) काफी क्षति हुई जिसमें 12 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई, लगभग 1,300 घर क्षतिग्रस्त हो गए और 357 पशु मारे गए.

किसान नेता और पूर्व सांसद बोले- किसानों को कम मुआवजा मिला

किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने आत्महत्याओं पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि बेमौसम बारिश के बाद आई बाढ़ और लंबे मानसून ने बागों और फसलों को बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा, 'इस घटनाक्रम ने निश्चित रूप से मराठवाड़ा के किसानों का मनोबल गिराया है.' शेट्टी ने आरोप लगाया कि किसानों को फसलों के नुकसान के लिए बहुत कम मुआवजा मिला.

उन्होंने दावा किया, 'केले के बगीचे वाले एक किसान ने एक व्यापारी के साथ 25,000 रुपये प्रति टन की दर से लगभग 100 टन फसल का सौदा तय किया था. सिना नदी में आई बाढ़ में उसकी पूरी फसल नष्ट हो जाने के बाद उसे केवल 25,000 रुपये का मुआवजा मिला. ऐसे कई मामले हैं.'

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