
देश में साइबर क्राइम से जुड़े हजारों मामले रोजाना सामने आते हैं. एक ओर इंटरनेट और टेक्नोलॉजी हमारे जीवन को आसान बना रही है तो दूसरी ओर साइबर क्रिमिनल्स भी अपने नापाक इरादों को अंजाम दे रहे हैं. आइए जानते हैं कि एआई के जरिए किस तरह के साइबर क्राइम हो रहे हैं और कैसे लोगों को फाइनेंशियली और इमोशनली नुकसान पहुंचाया जा रहा है. टेक्नोलॉजी और एआई के इस दौर में फिल्मी सितारों सहित अपने-अपने क्षेत्रों के दिग्गजों की परेशानी भी कम नहीं है. NDTV के शो 'रूल ऑफ लॉ' में जानी मानी वकील सना रईस खान इस तरह के कुछ मामलों के बारे में बता रही हैं.

.... जब अरिजीत पहुंचे थे कोर्ट
सोच कर देखिए कि आप एक वर्ल्ड फेमस सिंगर हैं. आपकी आवाज आपका अंदाज़ करोड़ो फैंस की यादों में है और फिर एक दिन आपको पता चलता है कि कुछ एप्स और वेबसाइट आपकी आवाज का एआई से डुप्लीकेट बना रहे हैं. आपके एक्सेंट में सांग्स गा रहे हैं. बिना आपकी परमिशन के और पैसा भी कमा रहे हैं. यही हुआ सिंगर अरिजीत सिंह के साथ. उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में केस फाइल किया और कोर्ट ने उनके फेवर में कहा कि बिना कंसेंट के किसी सेलिब्रिटी की आवाज या इमेज का कमर्शियल इस्तेमाल उनके पर्सनैलिटी राइट्स का वायलेशन है. कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का मतलब ये नहीं होता कि आप किसी और के व्यक्तित्व का व्यावसायिक शोषण
कर सकें. ये केस एक मिसाल बन गया कि एआई के जमाने में भी कानून व्यक्तित्व की सुरक्षा कर रहा है.
डॉ. देवी शेट्टी के नाम पर बनाए फेसबुक पेज
हेल्थ सेक्टर में भी ऐसा ही मामला सामने आया है. डॉक्टर देवी शेट्टी वो नाम हैं, जिन्होंने लाखों लोगों की जान बचाई लेकिन साइबर क्रिमिनल्स ने उनके नाम का गलत इस्तेमाल करके फेक वीडियो बनाया, फेसबुक पेज बनाए और उनका नाम जोड़ दिया उनके हॉस्पिटल नारायणा हृदयालय से जोड़ दिया. उद्देश्य था सिर्फ लोगों को कन्फ्यूज करके पैसे कमाना. डॉक्टर शेट्टी ने दिल्ली हाई कोर्ट से मदद मांगी और कोर्ट ने कहा कि किसी भी प्लेटफॉर्म को उनका नाम इमेज या हॉस्पिटल के ट्रेडमार्क का गलत इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. यह जजमेंट एक पावरफुल मैसेज था. चाहे आप एक डॉक्टर हों या आर्टिस्ट हों, आपकी आइडेंटिटी आपकी प्रॉपर्टी है.

अमिताभ बच्चन भी हो चुके हैं शिकार
दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन के साथ भी एक ऐसा ही मामला पेश आ चुका है. नवंबर 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके पर्सनैलिटी राइट्स को प्रोटेक्ट करते हुए उनके नाम इमेज, वॉइस और पर्सोना के ऑथोराइजेशन पर कंप्लीट बैन लगा दिया. उन्होंने नोटिस किया था कि उनके नाम पर फेक लॉटरीज और भ्रामक एआई जनरेटेड वीडियोज सर्कुलेट हो रहे हैं, जो लोगों को बेवकूफ बना रहे थे. कोर्ट ने साफ कहा था कि एक व्यक्ति का नाम और पहचान सार्वजनिक उपयोग या उनकी निजी संपत्ति के लिए नहीं है. अमिताभ बच्चन का केस लैंडमार्क बन गया क्योंकि उसने ये स्थापित किया कि इस डिजिटल दुनिया में भी कानून आपका साथ देता है.

टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल सही नहीं: रवीना
रवीना टंडन हर सोशल इश्यू पर अपनी आवाज उठाती हैं. रवीना टंडन ने कहा कि टेक्नोलॉजी ने हमें नए टूल्स दिए हैं और टेक्नोलॉजी में इतनी एडवांसमेंट हुई है, लेकिन जब इसी टेक्नोलॉजी का मिस यूज किया जाता है या इसका किसी तरीके से गलत उपयोग होता है तो यह सही नहीं है. उदाहरण के रूप में यदि मेरे ही कैरेक्टरिस्टिक्स या मेरी आवाज या मेरा बोलने का अंदाज या मेरी फोटो अगर एआई के जरिए रिक्रिएट किए जाते है और मेरी इजाजत के बिना तो यह एक पहचान का स्पष्ट उल्लंघन है और इसके अलावा मुझे लगता है कि यह साफ तौर पर उल्लंघन है और यह डरावना है.
उन्होंने कहा कि कुछ भी बन सकता है और कोई किसी को भी भड़काने के लिए या किसी को बहकावे में लाने के लिए भी यह हो सकता है. इसलिए मैं सोचती हूं कि सोसायटी को भी इस बारे में सोचने की जरूरत है. साथ ही हमारे कानूनों को भी ज्यादा प्रो एक्टिव होना होगा.
लोगों में अवेयरनेस बढ़ रही है: रवीना
AI रेग्युलेशन के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम थोड़ा लेट तो जरूर हैं, लेकिन मेरा मानना है कि कभी नहीं होने से थोड़ा लेट होना बेहतर है. अब एक्शन लिया जा रहा है और मैं सोचती हूं कि अवेयरनेस बढ़ती जा रही है .
साथ ही रवीना ने कहा कि पब्लिक फिगर होने का यह मतलब यह नहीं है कि कोई भी कुछ भी बोलकर के निकलकर के जा सकता है. कोई भी आपको गलत रूप में पेश कर सकता है. कोई भी कुछ भी बनाकर सोशल मीडिया पर डाल देता है, लेकिन मेरा यह मानना है कि यह पूरी तरह से गलत है. साथ ही कहा कि कानून को भी सख्त बनाया जाना चाहिए.
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