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This Article is From Dec 14, 2022

अनिल देशमुख को मिल सकती है राहत, कोर्ट ने केस की कमजोर कड़ियों की तरफ किया इशारा

पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को मिली जमानत पर भले ही 10 दिन के लिए रोक लग गई है, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में किस तरह से केस की कमजोर कड़ियों की तरफ इशारा किया है, वो अनिल देशमुख के लिए बड़ी राहत देने वाला है.

अनिल देशमुख को मिल सकती है राहत, कोर्ट ने केस की कमजोर कड़ियों की तरफ किया इशारा
मुंबई:

पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को मिली जमानत पर भले ही 10 दिन के लिए रोक लग गई है, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में किस तरह से केस की कमजोर कड़ियों की तरफ इशारा किया है, वो अनिल देशमुख के लिए बड़ी राहत देने वाला है. खासकर मामले में माफी के गवाह सचिन वझे के विवादास्पद कार्यकाल पर सवाल उठाया है.

13 महीने से जेल में बंद अनिल देशमुख के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला बड़ी राहत लेकर आया है. अपने फैसले के तुरंत बाद भले ही अदालत ने उसके अमल पर दस दिन की रोक लगा दी. लेकिन 16 पन्नों के अपने आदेश में अदालत ने जमानत देने का जो आधार बताया है, वो देशमुख के लिए न्याय की उम्मीद लेकर आया है. अदालत ने मामले में मांफी के गवाह पूर्व एपीआई सचिन वझे की साख पर भी सवाल उठाया है.

अनिल देशमुख के वकील इंद्रपाल सिंह ने कहा, "सबसे बड़ी बात की उनका चरित्र बहुत दागदार है. फर्जी एनकाउंटर के केस उनपर है, हत्या का केस भी उनके ऊपर है. एंटीलिया में जिलेटिन रखने का जो आरोप है. गोरेगांव, मरीन लाइंस और थाने में एक्सट्रोशन के केस हैं तो उनका जो चरित्र है. वो ब्लैक है, तो कोर्ट ने अपने फैसले में कहा भी है कि उनपर कहां तक भरोसा करना है. ये बहुत मुश्किल है.

सीबीआई  केस के मुताबिक सचिन वझे को 100 करोड़ की वसूली का टारगेट तत्कालीन गृहमंत्री  अनिल देशमुख ने दिया था. लेकिन केस से जुड़े एक गवाह के बयान के मुताबिक खुद वझे ने उसे नंबर वन मतलब सीपी बताया था.

अनिल देशमुख के वकील इंद्रपाल सिंह ने कहा, "डीसीपी राजू भुजबल और एसीपी संजय पाटिल और बार मालिक इन सबके 164 में बयान दर्ज हैं. वो बयान ये है कि सचिन वझे कहता था कि मैं सीपी के लिए पैसा इकठ्ठा कर रहा हूं. नंबर वन के लिए पैसा इकठ्ठा कर रहा हूं और नंबर वन है.

अदालत ने अनिल देशमुख को पैसे दिए जाने का कोई पुख्ता सबूत होने पर भी सवाल उठाया है. अदालत ने जमानत देते समय याचिकाकर्ता की 73 साल की उम्र को भी ध्यान में रखा है. शिवसेना नेता संजय राऊत को जमानत देते समय पीएमएलए जज एम जी देशपांडे ने जिस तरह जांच एजेंसी ED की कार्रवाई पर सवाल  उठाया था. अनिल देशमुख के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस एम एस कर्णिक ने उतने कड़े शब्दो का इस्तेमाल भले नही किया है. लेकिन केस की कमजोर कड़ियों पर सवाल उठाकर सीबीआई को आईना दिखाने की कोशिश जरूर की है.

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