भारतीय सेना ने पहली बार मिलिट्री स्पेशल ट्रेन के जरिए कश्मीर घाटी में एलओसी पर तैनाती के लिए टैंक और तोपें भेजकर एक बड़ा लॉजिस्टिक्स मील का पत्थर हासिल किया है. यह कदम उत्तरी सीमाओं पर सेना की ऑपरेशनल तैयारी को मजबूत करने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है. इससे पहले सितंबर में सेना ने स्पेशल ट्रेन से सर्दियों के लिये राशन समेत जरूरी सामान भेजी थी .

सेना के मुताबिक यह इंडक्शन एक वैलिडेशन एक्सरसाइज के तहत किया गया, जिसके दौरान टैंक और तोपें जम्मू क्षेत्र से अनंतनाग तक सफलतापूर्वक पहुंचाए गए. इससे सेना की तेज़ तैनाती क्षमता, बेहतर मोबिलिटी और मज़बूत लॉजिस्टिक्स व्यवस्था का प्रदर्शन हुआ.सेना प्रवक्ता ने बताया कि यह उपलब्धि रेल मंत्रालय के सहयोग से संभव हुई है. इससे उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना की अहमियत और सीमावर्ती क्षेत्रों में तेजी से सैन्य संसाधन पहुंचाने की इसकी क्षमता भी सामने आई है.

सेना ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य सीमाओं पर अपनी क्षमताओं को और अधिक सुदृढ़ करना है. इससे पहले सेना अपने हथियार समेत जरूरी साजो सामान सड़क मार्ग के जरिये कश्मीर घाटी तक पहुंचाती थी. अब रेल मार्ग के जरिये उसने जो मोबिलिटी और लॉजिस्टिक क्षमता बनाई है उससे उसकी रणनीतिक पहुंच में इजाफा हुआ है . इससे जम्मू से कश्मीर तक सेना की आवाजाही और रसद पहुचाने की क्षमता काफी मजबूत हुई है.रेल मार्ग का यह सफल उपयोग युद्ध की स्थिति में त्वरित तैनाती सुनिश्चित करेगा, जो देश की सीमाओं की सुरक्षा और सैन्य गतिशीलता के लिए एक बड़ा परिवर्तन साबित होगा
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