Vijay Diwas 2025: भारत के अलावा बांग्लादेश में भी हर साल 16 दिसंबर को विजय दिवस मनाया जाता है. ये वही दिन है, जब भारतीय सेना की मदद से नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ था. पाकिस्तान के साथ चले कई दिनों के युद्ध के बाद आखिरकार भारतीय सेना की जीत हुई और बांग्लादेश को आजादी मिल गई. इसी दिन पाकिस्तान के हजारों सैनिकों ने भारतीय सेना के आगे घुटने टेके थे और सरेंडर कर दिया था. आज भी वो आइकॉनिक तस्वीर खूब वायरल होती है, जिसमें पाकिस्तानी सेना के अधिकारी सरेंडर करते दिख रहे हैं. आइए जानते हैं कि कैसे भारतीय सेना ने इस पूरे युद्ध को अपनी तरफ झुकाया और पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.
पाकिस्तान की गलती से उठी चिंगारी
भारत से अलग होकर धर्म के आधार पर बने पाकिस्तान के दो भौगोलिक हिस्से थे. पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान. इन दोनों के बीच केवल जमीन का फासला नहीं था, बल्कि भाषा, संस्कृति और राजनीतिक शक्ति का भी गहरा अंतर था. पूर्वी पाकिस्तान में देश की 56% से ज्यादा आबादी निवास करती थी, जिनकी पहचान उनकी बांग्ला भाषा थी. पश्चिमी पाकिस्तान में चलने वाली सरकार ने बांग्ला संस्कृति को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. उन्होंने बांग्ला को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा देने से मना किया और सरकारी कामकाज में इसके उपयोग पर रोक लगा दी. इस भाषाई और सांस्कृतिक अपमान ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों में एक गहरे असंतोष की भावना को जन्म दिया. यह असंतोष 1952 में एक बड़े भाषा आंदोलन के रूप में फूट पड़ा.
शेख मुजीबुर रहमान ने उठाई आवाज
पूर्वी पाकिस्तान के नागरिकों का हर स्तर पर अपमान और शोषण किया जा रहा था. इसी माहौल में शेख मुजीबुर रहमान एक ऐसे नेता के तौर पर उभरे, जिन्होंने बांग्लादेश बनाने के आंदोलन को एक नई धार दी. अवामी लीग के नेता रहमान पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की आवाज बनकर उभरे. पूर्वी पाकिस्तान में हुए 1970 के आम चुनाव ने हालात को और विस्फोटक बना दिया. शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग ने पूर्वी पाकिस्तान की 162 में से 160 सीटों पर प्रचंड जीत हासिल की, जिससे वह देश की सबसे बड़ी पार्टी बन गई.
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इस बड़ी जीत से साफ हो गया कि अब बांग्लादेश नया देश बनने की तरफ कदम बढ़ा चुका है. हालांकि पाकिस्तानी सैन्य हुकूमत ने इस लोकतांत्रिक जनादेश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. इसके बाद पाकिस्तानी सेना का एक्शन शुरू हुआ और ऑपरेशन सर्चलाइट शुरू किया गया. इस नरसंहार ने अलग देश की चिंगारी को आग का रूप दे दिया.
पाकिस्तानी सेना ने टेक दिए घुटने
बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम शुरू हो चुका था और मुक्ति वाहिनी के लड़ाकों ने भारत से मदद मांगनी शुरू कर दी. मानवीय संकट और लगातार होते नरसंहार को देखते हुए भारत ने आखिरकार 4 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा की. यह युद्ध 13 दिनों तक चला और 16 दिसंबर 1971 को ढाका में खत्म हुआ. भारतीय सेना के सामने, पाकिस्तानी सेना के करीब 82,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया. यह सैन्य इतिहास के सबसे बड़े आत्मसमर्पणों में से एक था.
इस निर्णायक जीत ने एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश के जन्म का रास्ता साफ कर दिया. कई सालों के दमन और संघर्ष के बाद आखिरकार पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को उनकी भाषा, संस्कृति और पहचान के साथ जीने का अधिकार मिला. यही वजह है कि 16 दिसंबर को भारत विजय दिवस और बांग्लादेश बिजय दिवस के रूप में मनाता है.
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