
- रॉयल नेवी का एफ-35बी जेट तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर तीन हफ्ते से मौजूद है.
- ब्रिटिश इंजीनियर जेट की मरम्मत के लिए तकनीकी सहायता प्रदान कर रहे हैं.
- 21 इंजीनियरों की नई टीम एयरबस A400M में तिरुवनंतपुरम पहुंची है.
- जेट की कीमत 110 मिलियन डॉलर से अधिक है, इसे ठीक करना महंगा हो सकता है.
रॉयल नेवी का F-35B स्टील्थ फाइटर जेट, जो पिछले तीन हफ्तों से केरल के तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर खड़ा था, करीब तीन हफ्तों बाद हैंगर में पहुंच गया है. ब्रिटिश टेक्नीशिंयस इस दौरान जेट में आई खराबी को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं. इंजीनियर F-35B को C-17 ग्लोबमास्टर कार्गो एयरक्राफ्ट की मदद से वापस इसे घर ले जाने पर भी विचार कर रहे हैं. 21 इंजीनियरों की एक नई टीम एयरबस A400M एटलस विमान में तिरुवनंतपुरम पहुंची है.
इंजीनियर करेंगे जेट की मरम्मत
इंजीनियर यह जांच करेंगे कि क्या इसे स्थानीय स्तर पर ठीक किया जा सकता है या इसे घर वापस लाने के लिए कार्गो विमान में फिट करने के लिए इसे अलग करना होगा. F-35B फाइटर जेट की कीमत 110 मिलियन डॉलर से ज्यादा है. जबकि अगर इसकी डेवलपिंग कॉस्ट की बात करें तो यह सबसे महंगा फाइटर जेट है. ब्रिटिश हाई कमीशन के प्रवक्ता ने कहा, 'ब्रिटेन की एक इंजीनियरिंग टीम को तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर एफ-35बी जेट का आकलन और इसकी रिपेयरिंग करेगी, जो इमरजेंसी डायवर्जन के बाद उतरा था.'
भारत आए 21 ब्रिटिश इंजीनियर
रॉयल एयर फोर्स का ए400 विमान 21 एक्सपर्ट्स के साथ एफ35 का निरीक्षण करने के लिए टीआरवी पर उतरा. A400 एयरबस की तरफ से निर्मित एक मिलिट्री कार्गो एयरक्राफ्ट है. यह C-130 हरक्यूलिस से बड़ा है लेकिन C-17 ग्लोबमास्टर से छोटा है. A400 करीब 3:30 बजे वापस चला गया जबकि विशेषज्ञ जेट के निरीक्षण और मरम्मत के लिए यहीं रुकेंगे. इसका मतलब यह भी है कि उन्होंने अभी तक F35 को हवाई मार्ग से बाहर ले जाने की योजना नहीं बनाई है. A400 इसे अलग-अलग हिस्सों में भी नहीं ले जा सकता. इसे विमान में ले जाने के लिए उन्हें C-17 लाने की जरूरत होगी.
हाईकमीशन ने कहा थैंक्स
हो सकता है कि इंजीनियर हाइड्रोलिक्स की मरम्मत करेंगे और इसे उड़ाने का प्रयास करें. यूके ने मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल (एमआरओ) फैसिलिटी में एक जगह की पेशकश को मान लिया है. इसके बाद संबंधित अधिकारियों के साथ व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा की गई. स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसेस (एसओपी) के तहत जेट को यूके इंजीनियरों के आने के बाद हैंगर में लेकर जाया गया. यह इंजीनियर जेट के मूवमेंट और इसकी रिपेयरिंग के लिए के लिए जरूरी इक्विपमेंट्स लेकर आ रहे हैं. हाईकमीशन की तरफ से कहा गया है, 'यूके भारतीय अधिकारियों और हवाई अड्डे की टीमों के लगातार समर्थन और सहयोग के लिए बहुत आभारी है.'
14 जून को हुई थी लैंडिंग
एफ-35 जेट को 14 जून को तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई थी. एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स के इंजीनियरों ने शुरू में स्थिति का आकलन किया और फैसला किया कि ब्रिटेन से एडीशनल टेक्निकल और इक्विपमेंट्स की जरूरत है. मई 2019 में पहली बार F-35 विंग को एयर ट्रांसपोर्टेशन के जरिये से हटाया और भेजा गया. F-35 लाइटनिंग II को फ्लोरिडा के एग्लिन एयर फोर्स बेस पर C-17 ग्लोबमास्टर ने एयरलिफ्ट किया था. एग्लिन AFB की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, 200,000 डॉलर की चार साल का प्रोजेक्ट जेट को हिल AFB, यूटा में ले जाने के साथ ही खत्म हो गया था.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं