
ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह (Vijender Singh) ने किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) का समर्थन किया है. विजेंदर ने कहा कि अगर सरकार ने इन काले कानूनों को वापस नहीं लिया तो वह खेल जगत के सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड को लौटा देंगे.बॉक्सर विजेंदर सिंह रविवार को दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर पहुंचे. वहां उन्होंने किसानों को संबोधित किया. विजेंदर ने वर्ष 2008 में भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीता था, जो बॉक्सिंग में भारत का पहला पदक था. हरियाणा (Haryana) से ताल्लुक रखने वाले विजेंदर के एक दिन पहले शनिवार को पंजाबी गायक दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) सिंघु बॉर्डर पहुंचे थे. उन्होंने किसानों के हक में आवाज बुलंद की थी.
विजेंदर ने कहा, ‘अब बहुत हो चुका, अगर सरकार किसानों की मांगें नहीं मानती है तो मैंने फैसला किया है कि एकजुटता दिखाते हुए मैं अपना खेल रत्न पुरस्कार लौटा दूंगा.मैं किसानों और सेना से ताल्लुक रखने वाले परिवार से आता हूं, मैं उनकी पीड़ा और मजबूरी समझ सकता हूं। समय आ गया है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान दे.'
विजेंदर पंजाब और हरियाणा के उन खिलाड़ियों और कलाकारों में शामिल हो गए हैं, जिन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों के पक्ष में आवाज बुलंद की है और दिल्ली चलो अभियान का समर्थन किया है. किसानों के आंदोलन का रविवार को 11वां दिन था. विजेंदर की बॉक्सिंग में निखार लाने वाले बड़े बॉक्सर कौर सिंह, जयपाल सिंह और गुरबक्स सिंह संधू ने भी एक दिन पहले किसानों का समर्थन करने के साथ आरोप लगाया था कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने 3 दिसंबर को किसानों के समर्थन में देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण लौटा दिया था. गौरतलब है कि दिल्ली बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान जमा हैं. पानी की बौछार, आंसू गैस के गोलों और कंटीले तारों का सामना कर ये आक्रोशित किसान हरियाणा के इलाकों को पार करते हुए यहां पहुंचे हैं. ये किसान केंद्र सरकार द्वारा सितंबर में पारित कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
(पीटीआई के इनपुट के साथ)
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