पश्चिम बंगाल में एक नए राज्यपाल की नियुक्ति के बाद राज्य बीजेपी इकाई ने ला गणेशन, जो कि बंगाल का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे, के उपलब्ध न रहने पर नाखुशी व्यक्त की. अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नए राज्यपाल के लिए क्या चुनौतियां होंगी, खास तौर पर राज्य सरकार के साथ संबंधों के मामले में. बीजेपी की राज्य इकाई ने अब उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर इशारा किया है, जो अक्सर ममता बनर्जी से भिड़ते रहते थे और बीजेपी के साथ मित्रवत दिखाई देते थे. उनका उदाहरण देकर कहा जा रहा है कि राज्यपालों को कैसे कार्य करना चाहिए.
बीजेपी के विधायक मनोज तिग्गा ने NDTV से कहा, "राज्यपाल राज्य का सर्वोच्च संवैधानिक पद है. हम यह नहीं कह सकते कि वे क्या करेंगे, लेकिन राज्यपाल क्या भूमिका निभा सकते हैं, यह जगदीप धनखड़ जी ने दिखाया है. ठीक उसी तरह जैसे टीएन शेषन ने दिखाया कि चुनाव आयोग की क्या भूमिका होती है. मुझे यकीन है कि जगदीप धनखड़ ने जो रास्ता दिखाया है, उसका पालन किया जाएगा."
तिग्गा ने यह कहते हुए कि वे नहीं चाहते कि राज्य प्रगति न करे, कहा कि वे चाहते हैं कि राज्यपाल और राज्य के बीच संबंध "सौहार्दपूर्ण और सुखद" हों. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि राज्य प्रगति करे. हम चाहते हैं कि राज्य सरकार केंद्र के साथ अच्छे संबंध बनाए और राज्य की प्रगति के लिए केंद्र के साथ सहयोग करे."
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि उन्हें "बहुत उम्मीद" है कि आने वाले राज्यपाल धनखड़ के नक्शेकदम पर चलेंगे. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि, "उनकी नियुक्ति के बाद, हमें उनके बारे में जो पता चला है. उनसे हमें बहुत उम्मीद है कि वे वही करेंगे जो पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ संविधान को बनाए रखने और बंगाल के हालात को बदलने के लिए करते थे. हालांकि, उनके कार्यभार संभालने से पहले मेरे लिए यह टिप्पणी करना उचित नहीं होगा कि उन्हें क्या करना चाहिए.''
जगदीप धनखड़ के जाने के बाद बंगाल के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार ला गणेशन के पास था. इस हफ्ते की शुरुआत में NDTV ने बताया था कि सुवेन्दु अधिकारी कैसे ला गणेशन से परेशान थे.
तृणमूल कांग्रेस ने भी कहा है कि उसे राज्यपाल के साथ अच्छे संबंध की उम्मीद है. विधानसभा में राज्य सरकार के उप मुख्य सचेतक तापस रॉय ने NDTV से कहा, "मुझे लगता है कि इस बार नए राज्यपाल के बंगाल की सरकार के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रहेंगे. मुझे लगता है कि वे संविधान के ढांचे के भीतर काम करेंगे. हम भी राज्यपाल को सम्मान देंगे. अतीत में राज्यपाल के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध रहे हैं, और हम इसे जारी रखना चाहते हैं."
पश्चिम बंगाल के नवनियुक्त राज्यपाल सीवी आनंद बोस का मानना है कि राज्यपाल की भूमिका राजभवन और टीएमसी सरकार के बीच "सही समाधान" और "सभी संघर्षों के समाधान" के लिए राज्य और केंद्र के बीच "रेनबो ब्रिज" के रूप में कार्य करने की है.
बोस को गुरुवार को बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा कि राजभवन और राज्य सरकार के बीच मतभेदों को एक संघर्ष के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि "विचारों के अंतर" के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि दोनों पूरक संस्थान हैं.
उन्होंने पीटीआई को फोन पर दिए गए इंटरव्यू में कहा कि, "मैं संघर्षों के समाधान को प्राथमिकता देता हूं, क्योंकि हर समस्या का समाधान होता है, और हमें सही समाधान पर पहुंचना चाहिए. हमें खेल में सभी भागीदारों को एक साथ रखने में सक्षम होना चाहिए. इसलिए मैं कहूंगा कि संविधान क्या अपेक्षा करता है - राज्यपाल को रास्ता जानना है, रास्ता दिखाना है और रास्ते पर चलना है."
नए राज्यपाल की यह टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जगदीप धनखड़ के राज्य सरकार के साथ कड़वे रिश्ते रहे हैं जिससे राजभवन और सरकार के बीच संचार पूरी तरह से टूट गया. धनखड़ राज्य सरकार के साथ लगातार उलझते रहे थे. सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने उन पर राजभवन को राज्य बीजेपी कार्यालय का एक्सटेंशन बनाने का आरोप लगाया था. इस पर धनखड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि वे केवल संविधान को बनाए रखने और राज्यपाल को दी गई शक्तियों के अनुसार कार्य करने का अपना कर्तव्य निभा रहे हैं.
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