महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) घूसकांड में लोकसभा की एथिक्स कमेटी सात नवंबर को रिपोर्ट का मसौदा तैयार करेगी. तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा से जुड़े कथित "कैश-फॉर-क्वेरी" मामले की सुनवाई कर रही संसद की एथिक्स कमेटी अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट पर विचार करने और उसे एडाप्ट करने के लिए सात नवंबर को बैठक करेगी.
इस केस की जांच के सिलसिले में संसदीय समिति ने सभी पक्षों को सुना है. आखिरी सुनवाई गुरुवार को महुआ मोइत्रा की हुई थी. इस बैठक में बीच में ही सांसद महुआ और पैनल के सदस्य विपक्ष के सांसद बाहर चले गए थे जिससे पूछताछ पूरी नहीं हो सकी थी.
कमेटी पर अपमानजनक निजी सवाल पूछने का आरोपमहुआ मोइत्रा ने आरोप लगाया है कि उनसे पैनल ने अपमानजनक निजी सवाल पूछे. उन्होंने इसे "कहावत के अनुसार वस्त्रहरण" कहा. एथिक्स कमेटी और इसके प्रमुख बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर ने महुआ मोइत्रा पर जांच में असहयोग करने का आरोप लगाया है.
एथिक्स कमेटी की जांच बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर की गई है. दुबे ने आरोप लगाया था कि महुआ मोइत्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अदाणी समूह को निशाना बनाने के लिए संसद में प्रश्न पूछने के एवज में उनके व्यापारिक प्रतिद्वंद्वी व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली है.
महुआ मोइत्रा को संसद से तत्काल निलंबित करने की मांगनिशिकांत दुबे की ओर से लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखे गए पत्र में महुआ मोइत्रा को संसद से तत्काल निलंबित करने की मांग की गई है.
दर्शन हीरानंदानी ने अपने हलफनामे में महुआ मोइत्रा के संसदीय लॉगिन पर प्रश्न पोस्ट करने की बात स्वीकार की है. हालांकि कैश-फॉर-क्वेरी मुद्दे पर वे चुप हैं. हीरानंदानी ने दावा किया है कि उन्होंने महुआ मोइत्रा को उपहार दिए थे. यह उन्होंने उनकी 'गुड बुक' में बने रहने और विपक्ष द्वारा शासित राज्यों में अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए उनकी मदद करने के लिए मांगे गए थे.
महुआ ने संसदीय लॉगिन शेयर करने की बात स्वीकारीमहुआ मोइत्रा ने कैश-फॉर-क्वेरी के आरोपों को खारिज किया है. हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने अपना संसदीय लॉगिन शेयर किया था. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया है कि इसके उपयोग को नियंत्रित करने वाले किसी भी नियम के बारे में सदस्यों को सूचित नहीं किया गया है.
टीएमसी सांसद महुआ पर "विशेषाधिकार का गंभीर उल्लंघन" और "सदन की अवमानना" के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. महुआ का कहना है कि एथिक्स कमेटी "कथित आपराधिकता के आरोपों की जांच करने के लिए उपयुक्त मंच" नहीं हो सकती है, क्योंकि उसके पास ऐसे आरोपों की जांच करने की शक्ति नहीं है.
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