
- राजा भैया और भानवी सिंह पिछले दस वर्षों से अलग रह रहे हैं, और उनके बीच विवाद सोशल मीडिया पर बढ़ रहा है
- उनके बड़े बेटे शिवराज प्रताप सिंह ने पहली बार इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर साझा की है
- शिवराज ने बताया कि उनकी मां ने तलाक की मांग के बाद राजा भैया के खिलाफ सोशल मीडिया और मीडिया में बदनाम किया
जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के अध्यक्ष और कुंडा सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह के बीच का विवाद इस वक्त यूपी की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी बीच दोनों के बेटे शिवराज प्रताप सिंह और ब्रज प्रताप सिंह ने अपनी बात सामने रखी है.
राजा भैया और भानवी सिंह के बड़े बेटे ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर की है. इस पोस्ट में उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया सामने रखी है. अपनी इस पोस्ट में उन्होंने लिखा, "मैं पहली बार सोशल मीडिया पर इस बारे में पोस्ट कर रहा हूं और मैं चाहूंगा कि इसके बाद इस बारे में कभी कुछ न लिखना पड़े. इस तरह बदनाम करने के लिए फर्जी पोस्ट करना कोई बहादुरी का काम नहीं है. हमारे माता-पिता पिछले 10 सालों से अलग रह रहे हैं. उसके पहले कुछ साल परिवार के बड़ों के कहने पर हम बच्चों के लिए माता-पिता ने साथ में एक छत के नीचे रहना स्वीकार किया था लेकिन दोनों मं संबंध सामान्य नहीं थे. इसके बाद मम्मी ने दाऊ को बिना बताए घर छोड़ दिया और अकेले दिल्ली के एक मकान में रहने लगीं."
उन्होंने आगे लिखा-"हम सब बड़े हो गए तो दाऊ ने कोर्ट में तलाक की अर्जी डाली, तभी से संपत्ति व रुपयों की चाह में मम्मा ने सोशल मीडिया से लेकर मीडिया व संबंधियों में दाऊ की badvertisement शुरु कर दी. बहुत दुखद है, लेकिन अधिक कहना सोशल मीडिया पर उचित नहीं. मैंने स्वयं दोनों के बीच mediation का प्रयास किया जिससे दोनों अपना अपना जीवन आराम से जी सकें, लेकिन मेरी व मेरे भाई की इस पहल को हमारी मम्मा ने ठुकरा दिया, हमारे बाबा, आजी एवं परिवार के अन्य वरिष्ठ जनों ने भी अनेक प्रयास किया लेकिन हमारी मां ने किसी की बात नहीं सुनी."
राजा भैया के बेटे ने आगे कहा-"कोर्ट में उन्होंने कहीं 50 करोड़ रुपये तो कहीं उसके ऊपर से 100 करोड़ रुपये एक मुश्त मांगा है साथ ही 25 लाख रुपये प्रति माह अलग. इनके इसी स्वभाव के चलते दाऊ ही नहीं, इनके अपने माता-पिता, सास-ससुर, चचेरे ममेरे भाई-बहन और यहां तक की हम दोनों भाई भी इनसे बात नहीं करते हैं, इनकी किसी से नहीं बनती है, लेकिन ये ‘महिला कार्ड' और ‘विक्टिम कार्ड' के जरिए लोगों को सोशल मीडिया पर भड़का रही हैं. जितने वर्ष ये यहां रहीं नौकरों को मारा पीटा, मुकद्दमे इन्होंने कई कर रखे हैं उसे मुकद्दमे की तरह लड़ना चाहिए सही गलत का फैसला न्यायालय करेगा न कि सोशल मीडिया पर पोस्ट लाइक करने वाले पार्टी विशेष के लोग."
जय सियाराम
— Shivraj Pratap Singh (@shivrajpsbhadri) September 20, 2025
मैं पहली बार सोशल मीडिया पर इस विषय में पोस्ट कर रहा हूं और चाहूंगा कि इसके बाद इस विषय पर कुछ न लिखना पड़े।
इस प्रकार बदनाम करने के लिए फ़र्जी पोस्ट करना कोई बहादुरी का काम नहीं है।
हमारे माता पिता( मम्मा और दाऊ) गत करीब 10 वर्ष से अलग रह रहे हैं, उसके पहले कुछ…
शिवराज प्रताप सिंह ने आगे लिखा-"दाऊ के बारे में पिछले दिनों बहुत कुछ कहा गया लेकिन ये बताना जरूरी है कि दाऊ ने हम सबका अच्छा भरण पोषण किया, अच्छी शिक्षा दी, धर्म संस्कार दिये अपार स्नेह दिया. हमारे दाऊ ने इस विषय पर सार्वजनिक तौर पर अब तक कुछ नहीं कहा है, और शायद कहेंगे भी नहीं इसलिए मुझे लिखना पड़ रहा है, दुख इस बात का है कि हमारी मम्मा बदले की भावना में इतना बह गयी हैं कि उन्हें अपने बच्चों का भविष्य खासकर बेटियों की शादी तक की चिंता नहीं है."
उन्होंने आगे कहा-" रही बात संपत्ति की तो हमारी मां के पास दाऊ से अधिक अचल संपत्ति है, उन्हें कहीं कोई ठोकर खाने की जरूरत नहीं है, आराम का जीवन जी रही हैं, कोर्ट में महंगे से महंगा वकील खड़ा कर रही हैं. कई वर्ष दाऊ से कहीं अधिक इनकम टैक्स भी भरा है. आशा करता हूं कि मेरी इस पोस्ट के बाद वे अपनी ऊर्जा अदालत में मुकदमा लड़ने में लगायें न की सोशल मीडिया पर."
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