- दिल्ली-एनसीआर वालों को सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर बड़ी राहत दे दी है
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखे छोड़ने की इजाजत दे ही है
- पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे बैन पर फैसला सुरक्षित रख लिया था
सुप्रीम कोर्ट कुछ देर में दिल्ली-एनसीआर वालों को दिवाली का तोहफा दे दिया है. दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बैन पर चीफ जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए यहां ग्रीन पटाखे जलाने की इजाजत दे दी है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पटाखा बैन में छूट देने के संकेत दिए थे. शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखा फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना न तो व्यावहारिक है और न ही आदर्श स्थिति है. सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली के लिए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध में ढील दी और कहा कि इन्हें केवल निर्धारित स्थानों पर ही जलाएं.
SC ने कहा कि हमने पर्यावरणीय चिंताओं, त्योहारों के मौसम की भावनाओं और पटाखा निर्माताओं के आजीविका के अधिकार को ध्यान में रखा है.
हमें संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा
CJI ने कहा कि हमने सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी के सुझावों पर विचार किया है. हमने पाया है कि उद्योग जगत की भी चिंताएं हैं. पारंपरिक पटाखों की तस्करी की जाती है, जिससे ज़्यादा नुकसान होता है. हमें एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा. हरियाणा के 22 ज़िलों में से 14 ज़िले एनसीआर में आते हैं. जब प्रतिबंध लगाया गया था, तबसे कोविड काल को छोड़कर वायु गुणवत्ता में ज़्यादा अंतर नहीं आया था. ग्रीन पटाखों के आने के बाद पिछले छह वर्षों में ग्रीन पटाखों से प्रदूषण में काफ़ी कमी आई है. इसमें NERE का भी योगदान रहा है.
पटाखों के इस्तेमाल के लिए समय
दिवाली से एक दिन पहले और दिवाली वाले दिन पटाखों का इस्तेमाल केवल सुबह 6 बजे से 7 बजे तक और रात 8 बजे से 10 बजे तक ही किया जा सकता है. ग्रीन पटाखों की ऑन लाइन सेल नहीं होगी
सुप्रीम कोर्ट ने जानें क्या-क्या टिप्पणियां की
- नीरी द्वारा अनुमोदित हरित पटाखों की सूची को फोड़ने की अनुमति होगी.
- केवल निर्दिष्ट स्थान पर ही उपयोग करें.
- नीरी यादृच्छिक नमूने एकत्र करेगी.
- उल्लंघन करने पर दुकानदारों को दंडित किया जाएगा.
- दिल्ली/एनसीआर के बाहर से कोई भी पटाखा नहीं लाया जाएगा.
- ऑनलाइन बिक्री नहीं की जाएगी.
- औचक निरीक्षण किया जाएगा.
पिछली सुनवाई में SC ने दिए थे संकेत
10 अक्तूबर को पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हरित पटाखों के निर्माण में और बिक्री की अनुमति देने संबंधी याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा था कि क्या पटाखा बैन के बाद AQI पर कोई असर पड़ा था.
कोर्ट ने दिल्ली में तस्करी वाले पटाखे का क्यों किया जिक्र?
चीफ जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि चूंकि पटाखे तस्करी करके लाए जाते हैं तो वो ग्रीन पटाखे ज्यादा नुकसानदायक हैं. कोर्ट ने कहा कि हमें इसे लेकर बैलेंस एप्रोच लेने की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने कहा कि बाहरी क्षेत्र से एनसीआर क्षेत्र में किसी भी प्रकार के पटाखे की अनुमति नहीं होगी. अदालत ने कहा कि नकली ग्रीन पटाखे पाए जाने पर लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा. कोर्ट ने ये भी साफ किया कि ग्रीन पटाखों की ऑनलाइन सेल नहीं होगी.
CJI गवई ने क्या-क्या कहा जानिए
CJI ने कहा कि हमने सॉलिसिटर जनरल और एमिकस क्यूरी के सुझावों पर विचार किया है. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने पाया है कि उद्योग जगत की भी चिंताएं हैं. पारंपरिक पटाखों की तस्करी की जाती है जिससे ज्यादा नुकसान होता है.
हमें एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा. हरियाणा के 22 ज़िलों में से 14 जिले NCR में आते हैं. जब प्रतिबंध लगाया गया था, तबसे कोविड काल को छोड़कर वायु गुणवत्ता में ज्यादा अंतर नहीं आया था. ग्रीन पटाखों के आने के बाद पिछले छह वर्षों में ग्रीन पटाखों से प्रदूषण में काफी कमी आई है. इसमें NERE का भी योगदान रहा है.
दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने जताया आभार
दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए एक्स पर पोस्ट किया है.उन्होंने लिखा कि दिल्ली सरकार के विशेष आग्रह पर राजधानी में ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति प्रदान करने हेतु माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभार. यह निर्णय दीपावली जैसे पवित्र पर्व पर जनभावनाओं और उत्साह का सम्मान करता है, साथ ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है. दिल्ली सरकार जनभावनाओं का सम्मान करते हुए स्वच्छ और हरित दिल्ली के संकल्प के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। हमारा लक्ष्य है कि त्योहारों की रौनक बरकरार रहे और पर्यावरण की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो. इस दीपावली, हम सब मिलकर ग्रीन पटाखों के साथ उत्सव और पर्यावरण संरक्षण का सामंजस्य स्थापित करें और 'हरित एवं खुशहाल दिल्ली' के संकल्प को साकार करें.
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