नई दिल्ली:
दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल में बंद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला द्वारा अंतरिम जमानत के लिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने स्वास्थ्य आधार पर जमानत मांगी थी।
अदालत ने 78-वर्षीय चौटाला के आग्रह पर सीबीआई से जवाब मांगा और जेल अधिकारियों से उनका मेडिकल रिकॉर्ड भी मांगा। पांच बार मुख्यमंत्री रहे चौटाला 16 जनवरी से तिहाड़ जेल में बंद हैं। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने मामले की सुनवाई 4 अप्रैल तक स्थगित करते हुए कहा, सीबीआई को नोटिस जारी कीजिए। सुनवाई की अगली तारीख को अदालत के समक्ष मेडिकल रिकॉर्ड रखे जाएं।
अदालत ने अंतरिम जमानत के चौटाला के आग्रह और निचली अदालत के 22 जनवरी के फैसले के खिलाफ दायर उनकी अपील पर नोटिस जारी किया। निचली अदालत ने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले में चौटाला को दोषी पाया था और उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। चौटाला की पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम ने स्वास्थ्य आधार पर दायर उनके जमानत आग्रह पर अदालत से जल्द सुनवाई करने की अपील की।
पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने कहा, वृद्धावस्था की वजह से वह (चौटाला) विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं, जिसके लिए चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है। उनकी हालत ठीक नहीं है और दस्तावेज पहले ही अदालत के समक्ष पेश किए जा चुके हैं। जमानत आग्रह में उल्लेखित आधारों का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इस मामले में कोई साक्ष्य नहीं है। निचली अदालत के तथ्य आईएएस अधिकारी संजीव कुमार की गवाही पर आधारित थे, जिन्हें खुद भी मामले में 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है, ये तथ्य जांच और सबूतों के आधार पर पर आधारित नहीं थे।
उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा विधानसभा में चौटाला के नेता प्रतिपक्ष होने के नाते बजट सत्र में उनकी मौजूदगी जरूरी है, जो 22 फरवरी से शुरू होगा। इस पर अदालत ने पूछा, क्या अन्य सदस्य सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते? अदालत ने यह कहकर सुनवाई के लिए जल्द तारीख तय करने से इनकार कर दिया, मेरे पास कोई आदेश जारी करने के लिए अध्ययन हेतु कोई रिकॉर्ड नहीं है। अगर कोई तात्कालिकता है, तो आपका स्वागत है, आप अदालत से संपर्क करिए। चौटाला के आग्रह का विरोध करते हुए सीबीआई के वकील राजदीप बेहुरा ने कहा, उन्हें (चौटाला को) पहले ही अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है और इस चरण में उनकी जमानत जरूरी नहीं है।
अदालत ने 78-वर्षीय चौटाला के आग्रह पर सीबीआई से जवाब मांगा और जेल अधिकारियों से उनका मेडिकल रिकॉर्ड भी मांगा। पांच बार मुख्यमंत्री रहे चौटाला 16 जनवरी से तिहाड़ जेल में बंद हैं। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने मामले की सुनवाई 4 अप्रैल तक स्थगित करते हुए कहा, सीबीआई को नोटिस जारी कीजिए। सुनवाई की अगली तारीख को अदालत के समक्ष मेडिकल रिकॉर्ड रखे जाएं।
अदालत ने अंतरिम जमानत के चौटाला के आग्रह और निचली अदालत के 22 जनवरी के फैसले के खिलाफ दायर उनकी अपील पर नोटिस जारी किया। निचली अदालत ने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले में चौटाला को दोषी पाया था और उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। चौटाला की पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम ने स्वास्थ्य आधार पर दायर उनके जमानत आग्रह पर अदालत से जल्द सुनवाई करने की अपील की।
पूर्व सॉलिसिटर जनरल ने कहा, वृद्धावस्था की वजह से वह (चौटाला) विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं, जिसके लिए चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है। उनकी हालत ठीक नहीं है और दस्तावेज पहले ही अदालत के समक्ष पेश किए जा चुके हैं। जमानत आग्रह में उल्लेखित आधारों का हवाला देते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इस मामले में कोई साक्ष्य नहीं है। निचली अदालत के तथ्य आईएएस अधिकारी संजीव कुमार की गवाही पर आधारित थे, जिन्हें खुद भी मामले में 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है, ये तथ्य जांच और सबूतों के आधार पर पर आधारित नहीं थे।
उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा विधानसभा में चौटाला के नेता प्रतिपक्ष होने के नाते बजट सत्र में उनकी मौजूदगी जरूरी है, जो 22 फरवरी से शुरू होगा। इस पर अदालत ने पूछा, क्या अन्य सदस्य सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते? अदालत ने यह कहकर सुनवाई के लिए जल्द तारीख तय करने से इनकार कर दिया, मेरे पास कोई आदेश जारी करने के लिए अध्ययन हेतु कोई रिकॉर्ड नहीं है। अगर कोई तात्कालिकता है, तो आपका स्वागत है, आप अदालत से संपर्क करिए। चौटाला के आग्रह का विरोध करते हुए सीबीआई के वकील राजदीप बेहुरा ने कहा, उन्हें (चौटाला को) पहले ही अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है और इस चरण में उनकी जमानत जरूरी नहीं है।
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