प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 500 व 1000 के नोट बंद करने की घोषणा की (फाइल फोटो).
खास बातें
- बड़े नोटों को अमान्य करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना
- शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में की गई निंदा
- विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने में कितनी सफल रही सरकार?
मुंबई: शिवसेना ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को अमान्य करने के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि सीमापार सेना के लक्षित हमले के बाद भी संघर्ष विराम उल्लंघन के मामले बढ़े हैं और समय बताएगा कि कालाधन पर दूसरा लक्षित हमला कितना सफल रहता है.
भाजपा की सहयोगी घटक ने कहा कि हमें इंतजार करो और देखो का रूख अख्तियार करना चाहिए कि कालाधन के खिलाफ मोदी के दूसरे लक्षित हमले से नोटों के अवैध कारोबार पर कितनी लगाम लग सकेगी.
पार्टी ने कहा कि भ्रष्टाचार एक सोच है और जब तक इसमें कोई बदलाव नहीं आता है, कालाधन की बीमारी पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकेगी.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि, ‘‘ मोदी ने पिछले महीने पाकिस्तान के आतंकी शिविरों के खिलाफ अचानक लक्षित हमला किया और अब उन्होंने कालाधन के खिलाफ लक्षित हमला किया है. दूसरे लक्षित हमले से लोगों में अफरातफरी फैल गई है क्योंकि यह हमला भी अचानक था.’’ इसमें कहा गया है कि अतीत में भी अवैध कारोबार के प्रवाह को रोकने के प्रयास हुए लेकिन इसमें जो सवाल उठे, वे अनुत्तरित रह गए और उसका आज भी जवाब सामने नहीं आया है.
शिवसेना ने कहा कि सवाल विदेशों में जमा कालाधन को देश में वापस लाने और भारतीयों के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने से था. विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के बारे में सरकार अभी तक कितनी सफल रही है? इसमें कहा गया है कि मोदी ने अपने तरीके से इसका जवाब दिया है और 500 रुपये एवं 1000 रुपये के नोटों को अमान्य कर दिया. केवल समय बताएगा कि सरकार इन उद्देश्यों को हासिल करने में कितनी सफल रही.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)