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This Article is From Feb 08, 2019

कांग्रेस ने कहा- राफेल सौदे में पीएम या PMO बिचौलिए की तरह काम कर रहे थे!

कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा- पहली बार ऐसा हुआ कि किसी पीएम ने खुद किसी डिफेंस नेगोशिएशन में दखल दिया

कांग्रेस ने कहा- राफेल सौदे में पीएम या PMO बिचौलिए की तरह काम कर रहे थे!
राफेल सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप को लेकर कांग्रेस ने पीएम मोदी को निशाना बनाया है.
नई दिल्ली:

राफेल सौदे (Rafale Deal) में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के हस्तक्षेप के खुलासे को लेकर कांग्रेस (Congress) के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा है कि 'पर्रिकर को मामले की जानकारी ही नहीं थी. उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने खुद को मामले से अलग कर लिया जिससे कल को कुछ हो तो उनके ऊपर कुछ न आए. हालांकि अदालत में यह बात कितनी मानी जाएगी, पता नहीं.'

उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पहली बार ऐसा हुआ कि किसी पीएम (PM Narendra Modi) ने खुद किसी डिफेंस नेगोशिएशन में दखल दिया. हमारी चुनौती है, कोई एक भी ऐसा दूसरा मामला दिखा दे जिसमें पीएम नेगोशिएशन में शामिल हुए हों. हमारे मन मे प्रधानमंत्री पद के लिए बहुत सम्मान है लेकिन सुबह से जैसे कागज़ात सामने आए हैं उनसे ऐसा लगता है मानो इस मामले में पीएम या पीएमओ बिचौलिए की तरह काम कर रहे हों.

तिवारी ने कह कि कल चौकीदार ने हवा में खूब लाठियां चलाईं लेकिन आज सुबह चौकीदार की असलियत सामने आ गई. सरकार की तरफ से तथ्यों को छुपाने की हरसंभव कोशिश की गई, पर ये जो कम्बख्त सच है, ये उजागर हो जाता है. जब सच सामने आया तो सरकार ने घबराहट में अपने बचाव में कुछ पेपर सामने रखे. लेकिन ये पेपर पहले से भी ज्यादा फंसा रहे हैं पीएम को. नोट में साफ है कि डिफेंस मिनिस्ट्री ने कोई ऐसा इनपुट नहीं दिया था कि बैंक गारंटी की जरूरत नहीं होगी. लेकिन इसके बावजूद पीएमओ ने बैंक गारंटी के बिना समझौते की बात का भरोसा फ्रेंच अधिकारियों को कैसे और किस आधार पर दिया?

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कांग्रेस नेता ने कहा कि रक्षा मंत्री ने नोट में लिखा है 'it appears' मतलब उनको नहीं पता था कि क्या चल रहा है. वे अंदाजा लगा रहे हैं. रक्षा मंत्री ने साफ तौर पर मामले से किनारा कर लिया. जब रक्षामंत्री ने ये कहा कि आधा नोट ही प्रकाशित किया गया है, तो उनको शुक्रिया अदा करना चाहिए था न्यूज पेपर का. पूरा नोट सामने आने से तो सरकार की और किरकिरी हुई है.

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उन्होंने कहा कि कंफर्ट लेटर कब से प्रधानमंत्री को लिखे जाने लगे? फ्रांस की सरकार ने अगर ऐसा किया तो ये साफ दिखाता है कि उनकी नजर में नेगोशिएटर प्रधानमंत्री थे, रक्षा मंत्रालय या नेगोशिएशन कमेटी नहीं.70 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि पीएम या उनके कार्यालय ने सीधे किसी डील में नेगोशिएट कियाहो. ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री किसी बिचौलिए कई तरह व्यवहार कर रहे थे.

VIDEO : राफेल सौदे को लेकर सियासत तेज

उन्होंने कहा कि अगर पीएम का ये मानना है कि गठबंधन महा मिलावट है तो वे तो 44 पार्टियों की महामिलावट वाले गठबंधन के सरगना हैं.

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