केंद्र सरकार चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए विभिन्न उपाय करने में जुटी है. यही कारण है कि वाणिज्य मंत्रालय ने इस साल 20 जुलाई को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, उबले चावल और बासमती चावल की आड़ में निर्यात के लिए प्रतिबंधित गैर-बासमती सफेद चावल के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात को रोकने के लिए बासमती चावल के निर्यात के लिए 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया गया है. सरकारी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि सरकार के पास इस बात की विश्वसनीय जानकारी थी कि कुछ एक्सपोर्टर गैर-बासमती सफेद चावल का अवैध तरीके से निर्यात कर रहे हैं.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, गैर-बासमती सफेद चावल के अवैध निर्यात को रोकने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) को बासमती चावल के निर्यात के अनुबंधों के पंजीकरण के लिए तत्काल प्रभाव से अतिरिक्त सुरक्षा उपाय शुरू करने का निर्देश जारी किया है. वाणिज्य मंत्रालय के निर्देश के मुताबिक सिर्फ 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती निर्यात के अनुबंधों को ही पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाण पत्र (Registration-cum-Allocation certificate) जारी करने के लिए पंजीकृत किया जाना चाहिए.
निर्यात अनुबंधों का मूल्यांकन करने का आदेश
साथ ही, APEDA को 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम मूल्य के बासमती निर्यात के सभी निर्यात अनुबंधों का मूल्यांकन करने का भी निर्देश दिया गया है. वाणिज्य मंत्रालय ने आदेश दिया है कि 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम के बासमती के सभी निर्यात अनुबंधों का मूल्यांकन APEDA अध्यक्ष द्वारा गठित एक समिति द्वारा किया जाना चाहिए ताकि यह जांच हो सके कि क्या इस मार्ग का उपयोग गैर-बासमती सफेद चावल के अवैध निर्यात के लिए किया गया था.
स्टॉक बनाये रखने और मूल्य नियंत्रण की कवायद
इसी शुक्रवार देर रात वित्त मंत्रालय ने उबले चावल के एक्सपोर्ट पर 20% एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था. ये फैसले घरेलू बाजार में पर्याप्त स्टॉक बनाये रखने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए लिए गए हैं.
पिछले सालों में रिकॉर्ड निर्यात
थाईलैंड जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में 2022-23 में उत्पादन व्यवधान और अल नीनो की शुरुआत के संभावित प्रतिकूल प्रभावों की आशंका के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें पिछले साल से ही लगातार बढ़ रही हैं. भारतीय चावल की कीमतों के अंतरराष्ट्रीय कीमतों से कम होने के कारण भारतीय चावल की मजबूत मांग रही है, जिसके परिणामस्वरूप 2021-22 और 2022-23 के दौरान इसका रिकॉर्ड निर्यात हुआ है.
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