अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रिसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोकने के ऐलान से भारतीय एक्सपोर्टरों को फौरी राहत मिली है, हालांकि 26% रेसिप्रोकाल टैरिफ की तलवार उन पर अब भी लटक रही है. दरअसल राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा 90 दिनों तक रिसिप्रोकल टैरिफ पर रोक के इस ऐलान के बावजूद भारतीय एक्सपोर्टर असमंजस में है. गौतमबुध नगर में फार्च्यून राइस लिमिटेड के एक्सपोर्ट यूनिट में बासमती चावल के हजारों पैक का कंसाइनमेंट अमेरिका एक्सपोर्ट होने के लिए तैयार है. एनडीटीवी की टीम ने जब इस बासमती राइस एक्सपोर्ट यूनिट का दौरा किया तो पाया कि वहां हज़ारों टॉप क्वालिटी के बासमती चावल के पैक्ड बैग्स अमेरिका एक्सपोर्ट होने के लिए तैयार थे.
3 अप्रैल को अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 26% रिसिप्रोकल टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद राइस एक्सपोर्टर अजय भलोटिया ने बासमती चावल के कन्साइनमेंट को एक्सपोर्ट करने से रोक लिया था. अब रिसिप्रोकल टैरिफ से मिली 90 दिनों की छूट से राइस एक्सपोर्टर अजय भलोटिया को कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन 26% Tariff की तलवार अब भी लटक रही है.
आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव और फार्च्यून राइस लिमिटेड के डायरेक्टर, अजय भलोटिया ने एनडीटीवी से कहा, "हमारा बासमती चावल का नया कन्साइनमेंट फॉर्चून राइस अमेरिका एलएलसी कंपनी को एक्सपोर्ट करने के लिए तैयार है. हम इसको अमेरिका एक्सपोर्ट करने की तैयारी कर रहे थे लेकिन 26% टैरिफ लगने के बाद हमने इसे रोक दिया था. अब जो 90 दिन का पॉज (Pause) आ गया है. उसके बाद हम जल्दी ही इस शिपमेंट को अमेरिका एक्सपोर्ट करेंगे". भारत से अमेरिका बासमती चावल के एक्सपोर्ट कन्साइनमेंट को पहुंचने में करीब 45 दिन का समय लगता है. अब भारतीय एक्सपोर्टर्स रेसिप्रोकाल टैरिफ से मिली 90 दिन की छूट का फायदा उठाकर अपना तैयार एक्सपोर्ट कन्साइनमेंट जल्दी से जल्दी अमेरिका एक्सपोर्ट करने में लग गए हैं.
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक:
- बासमती चावल का निर्यात वित्तीय साल 2024-2025 में भारत से अमेरिका 2.5 लाख मैट्रिक टन बासमती चावल का निर्यात हुआ
- गैर बासमती चावल का निर्यात 0.6 लाख मैट्रिक टन था.
- इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 350 मिलियन डॉलर है, यानी करीब 3000 करोड रुपए!
अब ट्रंप की तारीफ हमले की वजह से भारत से करीब 3000 करोड़ का बासमती चावल का एक्सपोर्ट व्यापार धीमा पड़ने की आशंका है. भारत से अमेरिका बासमती चावल के एक्सपोर्ट का व्यापार सालाना 20% की रफ्तार से बढ़ रहा था जो अब धीमा पर पड़ता जा रहा है. अजय भलोटिया कहते हैं, "हमारे बासमती चावल का Export कंसाइनमेंट इन ट्रांजिट अलग-अलग देश में फंसा हुआ है. अगर ट्रंप 90 दिन के बाद 26% टैरिफ को लगाने के फैसले पर कायम रहते हैं तो इसका बासमती चावल के निर्यात पर बुरा असर पड़ेगा... हम चाहते हैं कि के एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स को अलग तरीके से ट्रीट किया जाए."
बासमती चावल के निर्यातकों का मानना है कि सरकार को इस मामले को अमेरिका के सामने उठाना चाहिए और उन्हें राहत दिलाना चाहिए क्योंकि कम समय में एक्सपोर्टरों के लिए नया बाजार ढूंढना एक मुश्किल चुनौती होगी. अब सबको इंतज़ार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अगले कदम का है. ज़ाहिर है, अगर ट्रम्प एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट्स पर रेसिप्रोकाल टैरिफ नहीं घटाते हैं तो इसका सीधा असर भारत से अमेरिका एक्सपोर्ट होने वाले करीब ३००० करोड़ के बासमती और गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर पड़ना तय है.