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This Article is From Mar 20, 2015

कोयला और माइनिंग बिल पास होने के बाद लैंड बिल पर फंसी सरकार

नई दिल्ली:

सरकार ने शुक्रवार को संसद से खान और खनिज बिल (माइनिंग बिल) के साथ-साथ कोयला बिल भी पास करा लिया, लेकिन भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर उसकी मुश्किलें बनी हुई हैं। जहां माइनिंग बिल के ज़रिये सरकार बाक्साइट और आयरन ओर जैसे खनिजों की नीलामी का रास्ता खोलने की बात कर रही है वहीं उसका कहना है कि कोयला बिल पास हो जाने से कोल ब्लॉक्स नीलामी आसान होगी।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि दोनों बिलों पास होना बेहतर दिशा में एक कदम है और इससे खनिजों की नीलामी एक पारदर्शी तरीके से हो सकेगी। सरकार के पास इन विवादित बिलों के लिए राज्यसभा में संख्या नहीं थी, लेकिन आखिरकार उसने कई विपक्षी पार्टियों को मनाने में कामयाबी हासिल की।

- केवल कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने ही माइनिंग बिल का विरोध किया।
- जबकि कोयला बिल पर कांग्रेस और लेफ्ट का साथ डीएमके ने भी दिया।
- तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बीएसपी और बीजेडी दोनों बिलों (कोयला और माइनिंग) पर सरकार के साथ रहीं।
- जबकि जेडीयू ने दोनों ही बिलों पर सदन से वॉक आउट किया।

सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने बाद में टीएमसी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अब हमें पता चल गया है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मीटिंग का क्या मतलब था। उधर सरकार इन बिलों को कामयाबी बता रही है, लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट ने सदन में बहस के दौरान बार-बार कहा कि नया कोयला बिल निजी कंपनियों को खुले बाजार में कोयला बेचने की छूट देगा और इससे मजदूरों व आदिवासियों के अधिकारों का हनन होगा। कांग्रेस और लेफ्ट ने ये भी कहा कि माइनिंग बिल के प्रावधान राज्यों के अधिकारों का हनन करते हैं और इस कानून को अदालत में चुनौती दी जाएगी।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि माइनिंग बिल मौजूदा शक्ल में असंवैधानिक है और इसे अदालत में जरूर चुनौती दी जाएगी। उधर इन दो विवादित बिलों से निकलने के बाद अब सरकार की नजर भूमि अधिग्रहण कानून पर है, जहां विपक्षी एकता अब तक टूटी नहीं है। पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि कोयला और माइनिंग बिल पर जिन लोगों ने हमारा साथ नहीं दिया, वह पार्टिंयां भी जमीन अधिग्रहण कानून पर हमारा साथ देंगी। सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव के लिए जो अध्यादेश जारी किया है उसकी मियाद 5 अप्रैल को खत्म हो रही है, लेकिन इस अध्यादेश को वह संसद से कानून की शक्ल में पास नहीं करा पा रही।

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