छावला गैंगरेप मामला: दोषियों को बरी करने के फैसले पर दायर पुनर्विचार याचिका पर SC जल्द करेगा सुनवाई

दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच से जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि एक लड़की की बेरहमी से रेप कर हत्या कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया  लेकिन एक आरोपी ने फिर हत्या कर दी.

छावला गैंगरेप मामला: दोषियों को बरी करने के फैसले पर दायर पुनर्विचार याचिका पर SC जल्द करेगा सुनवाई

फैसले पर पुनर्विचार के लिए दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं. 

नई दिल्ली:

छावला गैंगरेप मामले में तीन दोषियों के बरी करने के फैसले पर दायर पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करने को तैयार हो गया है. CJI ने दिल्ली पुलिस को भरोसा दिया कि उनकी अगुवाई में तीन जजों की बेंच का गठन होगा और खुली अदालत में सुनवाई पर भी विचार करेंगे. दिल्ली पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच से जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि एक लड़की की बेरहमी से रेप कर हत्या कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया  लेकिन एक आरोपी ने फिर हत्या कर दी. ये लोग अपराधी हैं. मामले की जल्द ही खुली अदालत में सुनवाई हो.

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CJI ने कहा कि वो खुद जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी के साथ बेंच का गठन कर विचार करेंगे. ये भी देखेंगे कि मामले की खुली अदालत में सुनवाई हो. बता दें दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और तीनों दोषियों को बरी करने के आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा है कि मेडिकल सबूत आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं. अभियोजन पक्ष के पास उपलब्ध साक्ष्य ऐसे अपराध को जघन्य अपराधों की उच्चतम श्रेणी में रखते हैं और वर्तमान मामले में परिस्थितिजन्य साक्ष्य इतने अकाट्य हैं कि यह उचित संदेह के लिए कोई आधार नहीं छोड़ते हैं. 

इसमें सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ के सात नवंबर 2022 को दिए गए उस फैसले पर पुनर्विचार की गुहार लगाई गई है. जिसमें मेडिकल और वैज्ञानिक रिपोर्ट में गड़बड़ को आधार बनाकर अदालत ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के सजा ए मौत का फैसला पलटते हुए दोषियों को बरी कर दिया था.

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फैसले पर पुनर्विचार के लिए दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं. इन दोनों याचिकाओं के साथ ही इस मामले में पुनर्विचार के लिए चार याचिकाएं दाखिल हो गई हैं. पहली याचिका तो उत्तराखंड बचाओ मूवमेंट नामक संगठन ने दाखिल की फिर पीड़ित परिवार ने अर्जी लगाई और अब सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने भी दोषियों की रिहाई के फैसले पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई है.