ज्यादा पैसा हासिल करने की चाह बहुत से लोगों को जुर्म की दुनिया की ओर धकेल देती है. पैसे की चाह में लोग ऐसे-ऐसे तरीके अपनाते हैं कि जब खुलासा होता है तो हर कोई हैरान रह जाता है. मुंबई से सटे मीरा भायंदर इलाके में बीमा रकम हड़पने का मामला सामने आया है. आरोप है कि एक ही महिला की एक से ज्यादा बार मौत दिखाकर 70 लाख रुपए हड़प लिए गए. हैरानी की बात है कि मामले में मौत का सर्टिफिकेट देने वाला डॉक्टर भी एक ही है. भाइंदर पुलिस ने इस मामले में महिला, उसके पति, बेटे और डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच कर रही है.
भाइंदर पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक कंचन पई को पहले साल 2021 में मृत बताकर बीमा लिया गया था. दो साल बाद 2023 में फिर से उसी महिला को मृत बताया गया, लेकिन इस बार नाम कंचन से बदलकर पवित्रा रख दिया गया था. जबकि महिला के पति का नाम रोहित, बेटे का नाम धनराज ही रखा. यहां तक कि मौत का प्रमाणपत्र देने वाला भी वही डॉक्टर आशुतोष यादव था, जिसने साल 2021 में भी उसे मौत का प्रमाणपत्र दिया था.
4 लोगों के खिलाफ दर्ज की गई है एफआईआर
मीरा भाइंदर के डीसीपी प्रकाश गायकवाड ने बताया कि बीमा कंपनी की शिकायत पर 4 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया गया है, जिसमें मृत बताई गई महिला कंचन और पवित्रा को भी आरोपी बनाया गया है क्योंकि अभी ये साफ नहीं है कि उसकी वाकई में मृत्यु हुई है या नहीं. पूरा परिवार लापता है.
40 लाख रुपये और ठगने की फिराक में थे आरोपी
डीसीपी के मुताबिक, परिवार ने मौत के फर्जी दस्तावेजों के जरिए तीन अलग-अलग क्लेम कर करीब 70 लाख रूपये ले चुके हैं. बाकी के दो टर्म इंश्योरेन्स से 40 लाख लेने की फिराक में थे, लेकिन तभी बीमा कंपनी को उन पर शक हुआ और फिर उनकी शिकायत पर एफआइआर दर्ज की गई है.
महिला को मौत का सर्टिफिकेट देने वाला डॉक्टर भी एक
हैरानी की बात है कि महिला की मौत की वजह हर बार हार्ट अटैक ही बताई गई है और सर्टिफिकेट देने वाला भी एक ही डॉक्टर है आशुतोष यादव.
भाइंदर पुलिस ने मामले में 4 लोगों को आरोपी बनाया है, जिसमें खुद मृत महिला कंचन पई, उसका पति रोहित पई , बेटा और नॉमिनी धनराज पई और डॉक्टर आशुतोष यादव का नाम शामिल है.
एनडीटीवी की टीम ने की पड़ताल, सामने आया ये सच
सबसे पहले परिवार ने महिला को साल 2021 में मृत बताकर बीमा की रकम ली थी, लेकिन एनडीटीवी की टीम जब भाइंदर पश्चिम में प्रभात नगर की उस बिल्डिंग में पहुंची तो सोसायटी की सेक्रेटरी ने बताया कि उस नाम की महिला कभी उस फ्लैट में नहीं रही थी. इलाके में डॉक्टर का क्लिनिक तो मिला, लेकिन खुद डॉक्टर आशुतोष यादव नहीं मिला. वहां मौजूद दूसरे डॉक्टर ने बताया कि डॉक्टर आशुतोष पिछले कई दिनों से नही आ रहे हैं.
पुलिस के मुताबिक, अभी तक की जांच में यही लगता है कि बीमा रकम हड़पने के इरादे से ही आरोपियों ने अलग-अलग बीमा कंपनियों से 5 टर्म इंश्योरेन्स निकाले थे, कुछ महीने प्रीमियम भरने के बाद मौत का प्रमाणपत्र देकर बीमा रकम ले लेते थे.
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