लगभग 30 दिनों की यात्रा के बाद, भारत का चंद्रयान 2 अपने लक्ष्य के करीब है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) मंगलवार को सुबह 8:30 से 9:30 बजे के बीच चंद्रयान-2 के तरल रॉकेट इंजन को दाग कर उसे चांद की कक्षा में पहुंचाने का अभियान पूरा करेगा. यह इस मिशन के सबसे मुश्किल अभियानों में से एक है क्योंकि अगर सेटेलाइट चंद्रमा पर उच्च गति वाले वेग से पहुंचता है, तो वह उसे उछाल देगा और ऐसे में वह गहरे अंतरिक्ष में खो जाएगा. लेकिन अगर वह धीमी गति से पहुंचता है तो चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) को खींच लेगा और वह सतह पर गिर सकता है.
वेग बिल्कुल ठीक होना चाहिए और योजना के अनुसार ऑपरेशन के लिए चंद्रमा के बजाय ऊंचाई पर ही गति सटीक होनी चाहिए. यहां तक कि एक छोटी सी त्रुटि भी मिशन को नाकाम कर सकती है.
चंद्रमा से साथ कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर सेटेलाइट फिर से उन्मुख होगा और सिर्फ सही परिमाण में धीमा होगा ताकि चंद्रमा अंतरिक्ष यान को अपने कब्जे में ले सके और चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) का चंद्रमा की सतह पर पहुंचने का रास्ता साफ हो सके. लगभग एक पखवाड़े तक चंद्रमा की कक्षा में घूमने के बाद, चंद्रयान 2 की लैंडिंग 7 सितंबर को निर्धारित है.
भारत के सपनों को पंख लगाते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है 'चंद्रयान-2'
चन्द्रयान 2 (Chandrayaan 2) को चंद्रमा पर स्थापित करने की प्रक्रिया बहुत जटिल है क्योंकि इसमें 39,240 किलोमीटर प्रति घंटे का वेग है. यह गति हवा के माध्यम से ध्वनि की गति से लगभग 30 गुनी है. इसरो के अध्यक्ष डॉ के सिवन ने कहा, "एक छोटी सी त्रुटि भी चंद्रयान 2 की चंद्रमा के साथ मुलाकात नाकाम कर सकती है."
इसरो उपग्रह केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ एम अन्नादुरई, जो कि भारत के पहले चंद्रमा मिशन चंद्रयान 1 के प्रमुख थे, ने चल रहे ऑपरेशन की जटिलता के बारे में कहा, "यह एक ऐसे जेंटलमेन के समान है, जो हाथ में गुलाब लेकर एक महिला को प्रपोज करता है, जो है 3,600 किलोमीटर प्रति घंटे (हवाई जहाज की गति का लगभग पांच गुना) की आश्चर्यजनक गति से नाच रही है. और वह भी अगले दरवाजे पर नहीं, बल्कि 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी पर. अगर इस जोड़े को मिलना है तो सटीकता का सर्वाधिक महत्व है."
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यह भारत का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियान है. गत 22 जुलाई को प्रक्षेपण यान जीएसएलवी मार्क।।।-एम 1 के जरिए प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-2 ने गत 14 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्र पथ पर आगे बढ़ना शुरू किया था. बेंगलुरु के नजदीक ब्याललू स्थित डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के एंटीना की मदद से बेंगलुरु स्थित इसरो, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के मिशन ऑपरेशंस कांप्लेक्स (एमओएक्स) से यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. इसरो ने 14 अगस्त को कहा था कि चंद्रयान-2 की सभी प्रणालियां सामान्य ढंग से काम कर रही हैं.
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यदि यह अभियान सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर रोवर पहुंचाने वाला चौथा देश बन जाएगा.
VIDEO : चांद की ओर चला चंद्रयान 2
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