केंद्र ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से उड़ानों के 2% यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच को कहा

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्‍यों को लेकर कहा कि उन्हें ‘‘आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए, जिसमें भारत में आने वाली प्रत्येक उड़ान में से 2 प्रतिशत यात्रियों की बिनाक्रम के आरटी-पीसीआर जांच करना शामिल है.’’

केंद्र ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से उड़ानों के 2% यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच को कहा

केंद्र ने हर उड़ान के दो प्रतिशत यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच के लिए कहा है. (फाइल)

नई दिल्ली :

देश में पिछले कुछ दिनों से कोविड-19 (Covid 19) के दैनिक मामलों की संख्या दस हजार से अधिक होने के बीच केंद्र ने बुधवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आने वाली प्रत्येक उड़ान के लगभग दो प्रतिशत यात्रियों की क्रमरहित आरटी-पीसीआर जांच (RT-PCR test) सुनिश्चित करने को कहा. साथ ही सभी संक्रमित नमूनों को जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजने के भी निर्देश दिए. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने 9 जून को केंद्र द्वारा जारी 'कोविड-19 के संदर्भ में संशोधित निगरानी रणनीति के लिए परिचालन दिशानिर्देश का हवाला देते हुए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक पत्र के माध्यम से सलाह जारी की. 

भूषण ने उन्हें संशोधित रणनीति को लागू करने के लिए कहा, जो संदिग्ध और पुष्टि मामलों का शीघ्र पता लगाने और समय पर प्रबंधन और कोरोना वायरस के नये स्वरूप के प्रकोप की रोकथाम पर केंद्रित है.

भूषण ने कहा कि मौजूदा एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) तंत्र के भीतर कोविड-19 निगरानी को पूरी तरह से एकीकृत करने के लिए दीर्घकालिक दृष्टि के साथ 9 जून की रणनीति जारी की गई थी. 

राज्यों को जो कार्रवाई करने की आवश्यकता है, उसका सारांश देते हुए भूषण ने कहा कि उन्हें ‘‘आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए, जिसमें भारत में आने वाली प्रत्येक उड़ान में से 2 प्रतिशत यात्रियों की बिनाक्रम के आरटी-पीसीआर जांच करना शामिल है.''

उन्होंने उनसे कहा कि सभी संक्रमितों के नमूनों को जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजा जाना चाहिए और ऐसे यात्रियों को मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार पृथक करने और चिकित्सकीय प्रबंधन की सलाह दी जानी चाहिए. 

उन्होंने यह भी कहा कि सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के मामलों की जानकारी देनी चाहिए और उल्लेख किया कि जिला निगरानी अधिकारी (डीएसओ) डेटा का विश्लेषण करने के लिए जिम्मेदार होगा.  उन्होंने कहा कि आईएलआई के पांच फीसदी मामलों की जांच आरटी-पीसीआर के जरिए की जाएगी. 

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को सभी जिला अस्पतालों और चयनित अस्पतालों में गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) के मामलों की निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए और कोविड के लिए उनकी आरटी-पीसीआर जांच करनी चाहिए. 

उन्होंने कहा कि राज्य आईडीएसपी इस डेटा को पाक्षिक आधार पर साझा करेगा और कोविड-19 के लिए जांच प्रयोगशाला को अपना डेटा इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च पोर्टल पर अपलोड करना चाहिए. 

संशोधित रणनीति में समुदाय आधारित निगरानी पर जोर दिया गया ताकि समुदाय में बड़े प्रकोप, मामलों की असामान्य क्लीनिकल ​​प्रस्तुति, मृत्यु दर आदि का पहले ही पता लग सके. 

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